डुमरियागंज ब्लाक के टड़वा ग्राम पंचायत में फर्जी मनरेगा श्रमिकों का हो रहा संचालन

सूरज गुप्ता

डुमरियागंज/सिद्वार्थनगर।सिद्धार्थनगर जिले में इस समय मनरेगा श्रमिकों की हालात ऐसी हो गयी है कि विकास तो होना नहीं है लेकिन मनरेगा श्रमिकों की उपस्थिति में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है सरकार के धन का ऐसी लूट-खसोट का माहौल बना लिया गया कि बिना कार्य के फर्जी वर्क आईडी पर मनरेगा श्रमिकों को चलाया जा रहा है। नया फोटो नहीं तो पुराने फोटो पर काम लगा दिया गया जबकि ग्राम पंचायत की स्थिति इतनी दयनीय हो गयी है कि क्राप फोटो के सहारे सरकारी धन के गोलमाल में लगे हैं। जहां सचिव से लेकर खण्ड विकास अधिकारी की नजर ऐसे भ्रष्टाचार पर नहीं पड़ती है। अब सबसे बड़ी सोचने वाली बात यह कि अगर ऐसे ही ग्राम पंचायत में काम होगा फिर विकास कैसे होगा? शनिवार को ग्राम पंचायत डुमरियागंज के टडवा का जहां ग्राम पंचायत के विकास के तरफ अधिकारियों की नजर नहीं पड़ती नहीं है। आखिर इस तरह के भ्रष्टाचार की पोल खुलती दिखाई दे रही है। फर्जी हाजिरी क्यों लगाया जा रहा है, इसमें कहीं न कहीं विकास खण्ड के चंद कर्मचारियों के मिलीभगत से ऐसा हो रहा है। लेकिन अगर मनरेगा श्रमिकों के साथ इस तरह से ग्राम पंचायतों में खिलवाड़ किया जा रहा है। जहां एक मनरेगा श्रमिक को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने की दावा सरकार कर रही है, लेकिन यहां तो सिर्फ दिखावा साबित हो रहा है। मनरेगा श्रमिकों की फर्जी हाजिरी लगाकर भुगतान करा लिया जाता है, लेकिन श्रमिकों तक उनके हक का काम नहीं मिल पाता है। अब विकास की धुरी ग्राम पंचायतों में उल्टा घूमता दिखाई देता नजर आ रहा है। आखिर ग्राम पंचायतों के जांच की क्या प्रतिक्रिया आयेगी या फिर ऐसे ग्राम पंचायत में लूट-खसोट चलता रहेगा। वहीं ग्राम पंचायत सचिव तथा ग्राम प्रधान के मिलीभगत का खेल है, अगर विभागीय अधिकारियों के द्वारा निरीक्षण किया जायें तो शायद इस तरह का लूट- खसोट नहीं होगा। लेकिन यहां अगर खण्ड विकास अधिकारी के द्वारा शायद निरीक्षण होता तो शनिवार को क्राप फोटो 40 फर्जी मनरेगा श्रमिकों को नहीं लगाया जाता, लेकिन यहां तो सिर्फ दिखावा साबित हो रहा है। क्योंकि कि यहां विभागीय अधिकारियों के द्वारा कभी ग्राम पंचायतों के तरफ नजर ही नहीं पड़ती है। सिर्फ सचिव के सहारे निर्भर होना आज ग्राम पंचायत का विकास समाप्त होता दिखाई दे रहा है। सरकार के ऐसे महत्वाकांक्षी योजनाओं पर ग्राम प्रधान से लेकर सचिव तकनीकी सहायक तक संलिप्त दिखाई देते हैं।

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