डीएम ने विद्यालयों में पहुंचकर शिक्षा की गुणवत्ता को गहनता से परखा। उन्होंने बच्चों से हिन्दी, अंग्रेजी, गणित और विज्ञान के विषयों से जुड़े कई सवाल बच्चों से पूछे, इसके साथ ही ब्लैक बोर्ड पर सवाल लिखकर बच्चों से हल कराए। उन्होंने बच्चों से जाना कि उन्हें स्कूल आना कैसा लगता है, कौन सा विषय सबसे ज्यादा पसंद है और वह बड़े होकर क्या बनना चाहेंगे। डीएम ने बच्चों को ड्रेस में नियमित रूप से आने के लिए प्रेरित किया, साथ ही विद्यालय न आने वाले बच्चों के अभिभावकों से फोन पर बात करके विद्यालय न आने के कारण जाने। डीएम ने अभिभावकों को शिक्षा की महत्वता के सम्बंध में बताते हुए बच्चों को विद्यालय नियमित भेजने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा उन्होंने शिक्षकों को भी निर्देश दिए कि जो बच्चे स्कूल नहीं आ रहे हैं, उनके अभिभावकों से मिलकर विद्यालय न आने का कारण पता लगाएं और बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित करें।
बुधवार को जिलाधिकारी दीपा रंजन ने बीएसए डॉ0 महेन्द्र प्रताप सिंह के साथ विकासखण्ड उझानी अन्तर्गत प्राथमिक विद्यालय ग्राम इटौआ तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय ग्राम दहेमूं का औचक निरीक्षण किया, जिसमें बच्चों के पंजीकरण एवं उपस्थिति कम पाए जाने पर डीएम ने नाराज़गी जताई है। उन्होंने निर्देश दिए कि शिक्षक शिक्षा व्यवस्था में सुधार करें, पढ़ाई के साथ बच्चों की रुचि के अनुसार उन्हें खेलों में भी सम्मिलित करें।

विद्यालयों में डीएम ने रसोई में मसाले एवं अन्य सामग्री की गुणवत्ता एवं वैधता, कार्यालय में उपस्थिति रजिस्टर को चेक किया। पुस्तकालय में समस्त प्रकार के कम्प्टीशन से जुड़ी आवश्यक किताबे रखवाने तथा विद्यालय में बेहतर साफ-सफाई के निर्देश दिए हैं। बच्चों को प्रार्थना के बाद शारीरिक स्वच्छता एवं संस्कारों के बारे में ज्ञान दें कि किस प्रकार बच्चों की दिनचर्या होनी चाहिए। बच्चों के बीच स्पीच कम्प्टीशन रखें, जिससे बोलने में झिझक दूर हो उनमें आत्मविश्वास जगाएं। बच्चों को महापुरुषों की जीवन के बारे में उनके चित्रों के साथ बताया जाए। डीएम ने यहां शौचालय एवं पेयजल व्यवस्था को भी देखा।
डीएम ने कक्षाओं में पहुंचकर एक अध्यापिका की तरह बच्चों को पढ़ाते हुए कहा कि प्रत्येक बच्चा अपने आप में खास होता है। सभी की काबिलियत एक जैसी नहीं होती, लेकिन सबमें कोई न कोई खास गुण जरूर होता है। इसलिए सभी बच्चे खास हैं। कोई सवाल न समझ में आएं तो बार-बार टीचर से पूछें वह आपको तब तक बताएंगे जब तक आपको समझ न आ जाए, अपने अंदर के डर को दूर करें। किसी खेल या गतिविधि में आपको शौक है तो उसके बारे में अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं। कभी भी किसी चीज के लिए निराश न हों। हमारे जनपद के बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो आज विभिन्न क्षेत्रों में अपने माता-पिता व जनपद का नाम रोशन कर रहे हैं। आप भी पूरी लगन के साथ मेहनत से पढ़ाई करें। प्रतिदिन ड्रेस पहनकर साफ-सफाई के साथ विद्यालय आएं।

✍️ ब्यूरो रिपोर्ट आलोक मालपाणी (बरेली मंडल)

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