हरदोई। गंभीर मरीजों को इलाज के लिए लखनऊ की दौड़ नहीं लगानी पड़े। इस उम्मीद केे साथ शहर से छह किलोमीटर दूरी पर वर्ष 2016 में ट्रामा सेंटर का संचालन शुरू किया गया था।
पांच वर्ष बाद भी ट्रामा सेंटर वास्तविक उद्देश्य से दूूर है। आम लोगों को इसका लाभ नहीं मिला, कुछ ही दिनों में ट्रामा सेेंटर पूरी तहर बंद हो गया था। एक बार फिर से ट्रामा सेंटर केे संचालन की उम्मीद जगी है। सीएमओ और मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य ने सीएमएस से ट्रामा सेंटर संचालन के लिए ब्योरा मांगा है।हरदोई-लखनऊ मार्ग पर नयागांव में लाखों खर्च करके बनाए गए ट्रामा सेंटर में मेडिकल संबंधी उपकरण, डॉक्टर व स्टॉफ की तैनाती की गई थी। शुरुआत में जैसे-तैसे कुछ दिनों तक यहां सिर्फ ओपीडी संचालित होती रही।
जिम्मेदारों की अनदेखी से डॉक्टरों व कर्मचारियों ने नियमित ड्यूटी नहीं की। ऐसे में ट्रामा सेंटर का संचालन शुरू होने के बाद से अब तक एक भी मरीज को लाभ नहीं मिल सका। ट्रामा सेंटर में सुविधाएं न मिलने पर मरीजों को लखनऊ की दौड़ लगानी पड़ रही है।
प्रति वर्ष औसतन 1500 से 2000 गंभीर केस लखनऊ ट्रामा सेंटर रेफर किए जा रहे हैं। लखनऊ तक पहुंचने में तीन घंटे से अधिक का समय लगता है। ऐसे में गंभीर मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।जिले में ट्रामा सेंटर का संचालन शुरू होने से आम जनमानस को बेहतर इलाज की उम्मीद थी, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही कहें या मरीजों का दुर्भाग्य ट्रामा सेंटर का उद्देश्य पूरा नहीं हो सका है।
विगत दिनों सीएमओ व मेडिकल कॉलेज प्राचार्य ने ट्रामा सेंटर को किसी तरह संचालित करने पर सहमति जताई। दोनों अफसरों ने जिम्मेदारों से ट्रामा सेंटर से जुड़ा ब्योरा मांगा है। इससे एक बार फिर ट्रामा सेंटर के संचालन की उम्मीद जगी है।
वर्जन
ट्रामा सेंटर संचालन के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए मानव संसाधन व उपकरण उपलब्ध कराने के लिए शासन को मांग पत्र भेजा है। सीएमओ से बातचीत कर ट्रामा सेेंटर से ब्योरा मांगा है। ब्योरा मिलने पर शासन को भेजा जाएगा। इससेे बाद शासन से समुचित संसाधन उपलब्ध होने पर ट्रामा सेंटर चल सकेगा। – डॉ.वाणी गुप्ता, मेडिकल कॉलेज प्राचार्य, हरदोई
ट्रामा सेंटर में इतने स्टॉफ की थी तैनाती
ट्रामा सेंटर में गंभीर मरीजों के बेहतर इलाज के लिए आर्थोपैडिक सर्जन, एनेस्थेटिक, हृदयरोग विशेषज्ञ, सर्जन, तीन संविदा डॉक्टर, नौ एमटी डब्लू, नौ नर्सिंग स्टॉफ, दो लैब टेक्नीशियन, चार एक्सरे टेक्नीशियन, दो सफाई कर्मी, एक चौकीदार की तैनाती की गई थी।
यह उपलब्ध थे उपकरण
ट्रामा सेंटर संचालन के लिए 20 बेड की व्यवस्था की गई थी। 6 वेंटीलेटर, एक्सरे मशीन, ऑपरेशन कक्ष, पैथालॉजी की सुविधाएं उपलब्ध थी।
गायब हो गए उपकरण
कोरोना की दूसरी लहर में ट्रामा सेंटर के प्रभारी डॉ. नवनीत आनंद की कोरोना से मौत होने के बाद से अस्पताल का संचालन पूरी तरह बंद हो गया। यहां पर तैनात डॉक्टर कुछ तो 100 शैया अस्पताल में ट्रांसफर लेकर चले गए। वहीं संविदा डॉक्टर इस्तीफा देकर सरकारी अस्पतालों में चले गए। अन्य स्टॉफ को जिला अस्पताल मेें शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद से संचालन पूरी तरह ठप हो गया। सूत्रों के माने तो ट्रामा सेंटर बंद होने के बाद बेड, वेंटीलेटर, एसी आदि उपकरण गायब हो गए।

रिपोर्ट:पुनीत शुक्ला

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