मंत्री जी का रिचार्ज ( एक कहानी )


हमारी जेब में मात्र ₹70 थे! क्योंकि पिछले हफ्ते राष्ट्रीय पुस्तक मेले में जाना हुआ था ₹200 जेब में थे 1100 रु खाते में कुल ₹1010 की किताबें खरीद लाया जिसमें कुछ धार्मिक और कुछ साहित्यिक थी! करीब ₹290 बचे थे उसमें से 220 रु 9 तारीख से 14 तारीख तक खाने पीने में खर्च हो गए! ये कहो कि साइकिल से मेला गया था तो किराया ही बच गया!

11 तारीख को ही रिचार्ज खत्म हो गया था अब न व्हाट्सएप चल रहा था न फेसबुक ना ही किसी को फोन कर पा रहा था, बस दोस्तों की याद आ रही थी कब किसी का फोन टपक पड़े, एक आध फोन आ भी जाते थे उनमें कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था जिससे मदद के लिए कहा जाए! हम जहां रहते हैं वहां एक लड़का जो सुबह ही काम पर चला जाता है और रात्रि 10:30 बजे आता है, वह भी दूसरे की नौकरी करता है भला बेचारे के पास पैसे कहां रखे!
एक चाचा रहते हैं जो दिलेर हैं लेकिन बेचारे 3 दिन से गांव गए हैं, एक और भाई समान दोस्त है, जो ड्यूटी करके बीच-बीच आ जाते हैं, सरकारी कर्मचारी हैं, ईमानदार हैं अच्छे व्यक्ति हैं लेकिन रिचार्ज की व्यवस्था उनसे भी नहीं हो पाई, मैंने सोचा बाबू जी से कहूंगा सो कहा भी लेकिन वह बेचारे मजबूर थे ₹100 दे रहे थे सो मैंने लौटा दिए, तकलीफ उन्हें भी हुई चले गए, ऐसा लग रहा था अगले दिन जब ड्यूटी पर जाएंगे तो रिचार्ज की व्यवस्था हो जाएगी!

मेरे कई मित्र हैं जो अधिकतर सरकारी नौकरी में हैं भला उनको अपने काम और बचे खुचे समय में बीवी से ही फुर्सत नहीं, एक आध की शादी नहीं हुई है तो काम के दबाव में व्यस्त हैं तिथि परभी बात हो जाती है एक दूसरे को मुबारकबाद दे देते हैं या व्हाट्सएप पर संदेश पहुंचा देते हैं!
सब हमको बड़ा नेता या कुछ बड़ा करने की सोच वाला समझते हैं सो मुझे भी मर्यादा बनाए रखना है सबसे रिचार्ज की बात कहीं भी नहीं जा सकती!

बीच-बीच में अरविंद कुमार गुप्ता का फोन आता रहता है वह मुझे ऑनलाइन शेयर मार्केट से पैसा कमाने कभी कुछ करने कभी कुछ करने की सलाह देते रहते हैं लेकिन बेचारे कंजूस इतने 2 साल लड़का पैदा हुए हो गए हैं आज तक पार्टी नहीं दे पाए हां एक बार छोला भटूरा खवाया था चलो उसी को दावत मान लेते हैं वैसे तो एक समोसा भी नहीं खिला पाते, गाड़ी से अगर कहीं छोड़ने की बात कह दो तो वह पेट्रोल का पाठ पढ़ा देते हैं, खैर उनसे हमारी 6 साल से पक्की दोस्ती है!
आज सुबह रिचार्ज के लिए उनसे कहा तो वह भी बेचारे कंगाल निकले, जबकि वह अपने निजी घर में रहते हैं!

फोन में रिचार्ज था नहीं मैं दिन में कमरे में अकेला होता हूं बिस्तर पर पड़े पड़े समाज से दहेज प्रथा को खत्म करने, कभी विश्वविद्यालय और अस्पताल खोलने, कभी किसानों के कल्याण के लिए तरह-तरह की योजनाएं, कभी शासन प्रशासन से भ्रष्टाचार खत्म करने के तरीके, कभी आपस में मोहब्बत और सुलह करने की बातें, कभी चुनाव लड़ने की सोच, कभी राजनीतिक पार्टी तो कभी न्यूज़ चैनल सप्ताहिक पत्रिका दैनिक अखबार निकालने की बातें सो मैंने एक रोज 16 राजनीतिक पार्टियों के नाम लिख डाले, 3 सामाजिक संगठनों के नाम लिख डाले, न्यूज़ चैनल और सप्ताहिक पत्रिका व दैनिक अखबार का भी नाम लिख डाला और लगभग 10 किताबें लिखने की भी रह-रह कर इच्छा जागृत होती, नाम तो सबके पहले से ही तैयार हैं एक किताब छपने के लिए ISBN के लिए दोस्त ने अप्लाई भी कर दिया है! लेकिन फिर ये भी सोचता अगर किसी से रिचार्ज के पैसे मांगूंगा तो लोग कहेंगे रिचार्ज कराने के पैसे नहीं हैं और सपने इतने बड़े बड़े!

कल दिन में जब बिस्तर पर पड़ा था तो 5 तारीख को अपने गांव में होने वाले जलसे की मुझे याद आई तो मैंने खुद को मंच पर समझकर भाषण देना शुरू कर दिया काफी देर भाषण चला भाषण खत्म होने के बाद सब दाद दे रहे थे, तो मैंने भी दाद दी और सोचा ये भाषण तो बहुत अच्छा है, काश मुझे वहां भी बोलने को मिल जाता!
फिर बीच-बीच में सोचता तारिक साहब से ज्ञापन के लिए बात हुई थी उनका फोन नहीं आया!

आज खाना खाकर दोपहर में 11:00 बजे बिस्तर पर लेटा था कि रह-रहकर दोस्तों की याद आने लगी जिसमें सबसे ज्यादा सलीम मियां, नसीम और नईम याद आते जो पिछले 3 माह से हम से किनारा काटे हैं, लगता है नफरत करने लगे, लेकिन मैं एक पल भी उन्हें भूल नहीं पाता, तरह-तरह की कल्पना करता और सोचता काश उनका फोन आ जाए! कभी भाई की तो कभी मां-बाप या अन्य की याद आती,खैर इनसे तो गाहे-बगाहे बात हो जाती थी!
डॉ मुशीर को याद ही कर रहा था कि 11: 29 बजे उनका फोन आ गया, बात आगे बढ़ी तो बताया कि 2 दिन बाद ज्ञापन देना है मैं आपको भेज रहा हूं आप सबसे संपर्क करके सूचित कर दें, मैंने पहले तो हां हां कहा फिर रिचार्ज की बात बताई तो उन्होंने कहा करा लो फिर फोन करो, अब भला उनसे कैसे कहूं कि पैसे नहीं हैं!
कमरे में इधर-उधर देखा अलमारी देखा गुणा भाग लगाया रिचार्ज का कोई उपाय नहीं सूझा सोचते सोचते ही सो गया!

जैसे ही आंख लगी कि योगी बाबा से सामना हुआ अभिवादन करने के बाद उन्होंने मुझे मंत्री बनाने की बात कही सो मैं तुरंत राजी हो गया, आनन-फानन में मुझे एमएलसी बनाया गया और मंत्री की शपथ दिला दी, योगी जी कहीं चले गए एक अधिकारी मेरे साथ हो लिया थोड़ी देर मैं उनके कमरे पर ही रुका तब तक गाड़ी और गार्ड आ गए फिर मैंने दौरा शुरू किया शाहमीना शाह, देवा शरीफ, महादेवा का दौरा करते… अचानक एक प्रोग्राम में पहुंचा जहां मंच पर तारिक साहब एक कोई लड़का जो हलीम भाई की जगह पर था एक कोई और आदमी कुल 4 लोग मंच पर थे सामने सैकड़ों की तादात में जनता! तारिक साहब भाषण दे रहे थे कि इतने में ही किसानों की एक टोली आई जो विरोध प्रदर्शन करने के लिए सामने ही एक बड़ी होर्डिंग लगाने लगी, होर्डिंग देख पुलिस वाले दौड़े और उसे नीचे उतारने लगे इतने में ही किसानों व पुलिस में झड़प होने लगी पुलिस वाले बेचारे अपना फर्ज निभा रहे थे कि कहीं मंत्री जी नाराज न हो जाएं और किसान बेचारे अपना दर्द सुनाना चाहते थे सो पार्टी के कार्यकर्ता और नेता सुनना नहीं चाहते थे! मुझसे नहीं रहा गया मैं तो आज ही नया नया मंत्री बना था मेरे मन में तो किसानों का ही दर्द चल रहा था और मैं उसी पर काम करना चाहता था, मैंने माइक छीन ली और यह फिक्र नहीं की कि मेरी कुर्सी चली जाएगी और बोला मेरे किसान भाइयों मैं भी एक किसान हूं मैंने कलम पकड़ने से पहले फावड़ा, हंसिया, खुरपा और बैलों की रस्सी पकड़ी है, मैं आप के दर्द को समझता हूं मैं आपकी हर समस्या को दूर करने की कोशिश करूंगा मैं आज ही गन्ना मूल्य बढ़ाने की घोषणा करता हूं और आज ही कानून पारित होगा कि कोई भी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे नहीं खरीदी जाएगी दूध खोया फल सब्जी आदि को भी इसमें शामिल किया जाएगा गन्ना बेचने के लिए अब 3 दिन सेंटर पर लाइन में नहीं लगना पड़ेगा, पर्ची का इंतजार खत्म, बैंक में अब बाबू तुम्हें सम्मान देगा, थाना, ब्लाक, कोर्ट कचहरी कहीं भी बाबू अब तुमसे पैसा नहीं मांगेगा, छोटे किसानों के बच्चों को स्नातक तक मुफ्त शिक्षा दी जाएगी, जिस घर में कोई सरकारी नौकरी में नहीं है ऐसे प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी, अस्पतालों में तुरंत भर्ती और मुफ्त इलाज होगी, नहर और नदियों से सिंचाई व्यवस्था को और सुदृढ़ किया जाएगा साथ ही जो डीजल और इंजन की बीमारी से परेशान हैं उन्हें अब सरकारी टेबुल के माध्यम से पानी दिया जाएगा, पूरे प्रदेश में ₹7000 प्रति माह के हिसाब से टेबुल ऑपरेटर रखे जाएंगे जो किसानों के ही बच्चे होंगे, छोटे किसान ट्रैक्टर के चक्कर में न पड़ें, बैल पालें मिश्रित खेती करें गाय, भैंस बकरी, मुर्गी आदि पालें पूरे प्रदेश में फिर से पशु बाजार और मेले लगेंगे जिनमें बाहर से भी व्यापारी आकर जानवर खरीदेंगे केंद्र सरकार से बात करके विदेशों को भी निर्यात शुरू कर दिया जाएगा ताकि जानवरों की कीमत बढ़ सके और कोई छुट्टा न घूमे!
प्यारे किसान भाइयों सब्जी, फलों की भी खेती करो, दलहन तिलहन चाहे खाने भर का ही बोएं, साथ ही हरी मिर्च मूली गाजर चुकंदर प्याज लहसुन आदि चाहे अपने खाने भर का ही लगाएं लेकिन लगाएं जरूर मौका पड़े तो बेच भी लें और फलदार वृक्ष लगाएं जैसे अमरूद आम पपीता आदि जिन्हें खुद खाएं और बेच भी लें! यहां तक कि एक किसान को नमक और कुछ मसालों के अलावा खाने-पीने की कोई वस्तु खरीदनी ही न पड़े! मेरा दावा है, किसान खुशहाल हो जाएगा तरक्की करेगा, किसानों की तरक्की ही देश की तरक्की होगी!…

अब तक सैकड़ों किसान सभा में बैठ चुके थे होर्डिंग और विरोध प्रदर्शन भूल गए और जिंदाबाद जिंदाबाद के नारे लगाने लगे!

मैं घर आ गया सुबह जब सो कर उठा तो आंख अखबार पर ही खुली… पहले पेज पर मोटी मोटी हेडिंग थी विरोध करने आए किसान बने मंत्री के मुरीद!

दूसरी खबर में लिखा था मोदी जी ने कहा मेरे राजनीतिक जीवन में पहली बार कोई ऐसा मंत्री मिला है जो मेरे अनुरूप जमीन पर काम कर रहा है अब विकास की रफ्तार धीमी नहीं पड़ेगी!

मैं खुश हुआ और जल्दी दौरे पर निकल पड़ा, रास्ते में एक नौजवान बैलों से खेत जोत रहा था लेकिन बैल आना कानी कर रहे थे मैं उतरा उसके पास गया माची के गांते ठीक किए हल को ठीक से नारा और खेत जोत कर दिखाया और कहा ऐसे जोतो फिर उसे ₹1000 दिए और कहा मेरे जेब में ज्यादा रुपए नहीं है इतने में बैलों के लिए खरी दाना ले लेना और तुम भी कुछ खा लेना!
आगे बढ़ा तो एक किसान बैलगाड़ी सड़क पर चढ़ा रहा था कि इतने में उच्चक हो गई, मैं झट से गाड़ी से कूद पड़ा सिपाहियों को लगाया कहा उच्चक उठाओ मैं बैल हाँकता हूं… इस तरह बैलगाड़ी सड़क पर चढ़ा दी!

अब चुनाव प्रचार शुरू हो चुका था, मोदी जी बहुत खुश थे प्रदेश की जनता सब विदेश से पढ़े नेताओं को और जाति धर्म की उनकी गंदी राजनीति को भूल चुकी थी!
सो वोट पड़े और हमारी पार्टी को मिली पूरी 403 सीटें! जो 400 का दावा कर रहे थे बेचारों को 4 सीटें भी नसीब नहीं हुई! अब क्या था मोदी जी ने जीत का पूरा श्रेय मुझे दिया, कहा 5 महीने की मेहनत में ही इतनी बड़ी जीत और मुझे मुख्यमंत्री की शपथ दिला दी, मैंने जमीन पर दरे बिछवाए और सादगी से शपथ ली, मुख्यमंत्री बन गया!
अब किसान, मजदूर, बेरोजगार, कर्मचारी, व्यापारी, अधिकारी सब खुश थे लेकिन नेता परेशान!

मेरी भी रिचार्ज और लखनऊ में रहने की समस्या खत्म हो गई, दो दो फोन थे और सरकारी आवास, दोस्तों का भी तांता लगा था!

इतने में आंख खुल गई, घड़ी देखा तो 2:40 बज चुके थे, फोन उठाया फिर रिचार्ज की याद आई और मुशीर भाई से किया हुआ वादा! फिर दोस्तों की याद आई इतने में फोन बजा जो गुप्ता जी ने मिलाया था, मैंने अपने ख्वाब (सपने) के बारे में बताया तो उन्होंने कहा वाह वो तो तुम बनोगे ही!
लेकिन पहले रिचार्ज की व्यवस्था करो, मैंने फिर उनसे कहा उन्होंने असमर्थता व्यक्त कर दी, भाई का नंबर कान्फ्रेंस पर मिलवाया तो बंद बताया, चाचा का मिलवाया तो बोले ही नहीं! फिर गुप्ता से बात होती रही और मैंने ये कहानी लिखनी शुरू कर दी, थोड़ी देर में गुप्ता ने भी काल समाप्त कर दी!
(14/10/2021 को लखनऊ में)
धन्यवाद!
— लेखक – मोबीन गाज़ी कस्तवी
कस्ता, लखीमपुर खीरी,उ.प्र., भारत!
9506197546,9455205870

By admin_kamish

बहुआयामी राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष

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