
उत्तर प्रदेश 23 जून 2025 (सूरज गुप्ता)
कपिलवस्तु/सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में संविदा पर कार्य कर रहे थे, जिनकी स्थायी नौकरी कराने के नाम पर कुलपति के ड्राइवर, बस कन्डेक्टर पर रुपए लेने का आरोप लगाया गया था। परमजीत बोलेरो गाड़ी लगभग 02 माह से चला रहे थे, उसी विश्व विद्यालय में एक व्यक्ति शोहरत पुत्र श्याम सुन्दर ग्राम तिलकहना थाना मोहाना बस कन्डेक्टर का काम करता है तथा शोहरत का एक मित्र रोहित यादव पुत्र उदयराज यादव ग्राम मनिठहा थाना महाराजगंज जनपद जौनपुर भी एक गाड़ी चलाता है। जिसमे परमजीत उपरोक्त से शोहरत उपरोक्त ने 60,000 रुपये नौकरी विश्व विद्यालय में स्थायी कराने के नाम पर लिया तथा अस्थायी परमजीत गाड़ी चलाने लगा, लगभग 01 माह 20 दिन तक गाड़ी चलाया था, जिसका वेतन आदि भी जरिये विश्च विद्यालय बैंक ट्रेजरी से वेतन मिल रहा था। इसी बीच परमजीत जब सरकारी ड्राइवर नहीं बना तो अपना पैसा शोहरत से वापस मांगने लगा। शोहरत के साथ उसका एक साथी सन्तोष साकिन बर्डपुर् ओमकार स्वीट हाऊस) थाना मोहाना जनपद सिद्धार्थनगर इस 60,000 रुपये के लेन देन में सन्तोष भी सरीक रहा तथा उसी समय परमजीत से गांव के लोगों ने मिलकर पैसे दिये। जिसमे एक बार में शोहरत ने 50,000 रुपये दे दिया जैसा कि आवेदिका ने प्रार्थना पत्र में भी दर्शाया है तथा कुछ दिन समय मांगकर 10,000 रुपये ओ भी वापस कर दिया। यह जो भी लेन देन का कार्यक्रम किया गया। सन्तोष साकिन बर्डपुर (ओमकार स्वीट हाऊस) थाना मोहाना जनपद सिद्धार्थनगर की दुकान पर किया गया तथा 10,000 रुपये जो आवेदिका को मिला है। यह प्रार्थना पत्र में नहीं लिखी है, जबकि 10,000 रुपये ओ भी पा चुकी है। दोनों पक्ष को जब बुलाकर वार्ता किया गया, तो 80,000 रुपये जो प्रार्थना पत्र मे लिखा गया है।
आवेदिका के पति जितना भी गाड़ी चलाये थे पैसा उनको मिलता रहता था। आवेदिका स्वंय कुलपति महोदया (विश्च विद्यालय) जाकर बात चीत की। आवेदिका ने पूछताछ के दौरान यह भी बताया कि मेरा पूरा पैसा मिल चुका है, बस रोहित व शोहरत का कालेज से इन्ट्री से हटा दिया जाये तब जाकर मेरी इच्छा पूर्ण होगी, विश्व विद्यालय से ड्राइवरी से निकालना या भर्ती करना यह कार्य विश्व विद्यालय के कुलपति महोदय का है ना कि पुलिस का, आवेदिका विभिन्न प्रकार का तरीका बताकर विश्व विद्यालय से पैसे की मांग करती है। अगर आवेदिका को कुछ विश्व विद्यालय देता है, तो इसमे पुलिस को आपत्ति नहीं होगी जैसा कि आवेदिका ने लिखा है कि अस्थायी होने के नाते पति की मृत्यु हुई ऐसा नहीं है। ड्यूटी के अनुसार दिन में गाड़ी चलाये, सायं को घर गये तबियत खराब होने के कारण उनकी दूसरे दिन मृत्यु हो गयी। मृत्यु के बाद आवेदिका ने थाना स्तर पर कोई ऐसी सूचना भी नहीं दी कि पंचायतनामा आदि की कार्यवाही की जाये। आवेदिका द्वारा दाह संस्कार करने के 01 माह 15 दिन बाद कहने लगे कि पति की मृत्यु शोहरत के प्रताड़ना से हो गयी, ऐसी बात नहीं है। आवेदिका द्वारा अनावश्यक रूप से पैसा तथा नौकरी का फायदा विश्वविद्यालय से उठाना चाहती है। जबकि परमजीत संविदा पर 12,000 रुपये महीना गाड़ी चलाता था, जबकि आज भी कुलपति कहती है कि आवेदिका के पति के जगह तुम काम करो लेकिन आवेदिका लक्ष्मी ज्यादा पैसे की मांग करती है लेकिन जितना मांग करती है, कुलपति ने बताया कि इतना सम्भव नहीं है। यह सभी बात कुलपति से करके नहीं मानी और घर चली गयी और किसी के चढ़ावे में आकर विभिन्न जगहों पर प्रार्थना पत्र देकर नौकरी और पैसा की मांग गलत करती है। इस प्रार्थना पत्र में भी शिकायती लक्ष्मी ने किया है यह कार्य सिद्धार्थ विश्च विद्यालय कपिलवस्तु का है, जो दिया गया रुपया था वह मिल चुका है। आवेदिका के द्वारा प्रार्थना पत्र मे लगाये गये अन्य आरोप असत्य एंव निराधार है। प्रार्थना पत्र मे पुलिस स्तर से कोई कार्यवाही अपेक्षित नही है। आवेदिका के साथ का फोटो जांच आख्या में सलंग्न है। उक्त रिपोर्ट मधुसूदन यादव एसआई कपिलवस्तु ने कहा। वहीं पत्नी का कहना था कि शेष रुपए लेने के दबाव में पति परमजीत का अचानक तबियत बिगड़ने से मौत हो गई। जांच रिपोर्ट में यह तय हुआ है कि विश्व विद्यालय के कुलपति के ड्राइवर ने रुपया लिया था। इन दोनों पर क्या कार्यवाही हुई। अभी सार्वजनिक नहीं हुआ।