बदायूं/उत्तर प्रदेश : आचमन फाउंडेशन व शब्दिता के संयुक्त तत्वावधान में संस्कृति को बढ़ावा देने की एक नयी पहल पत्र लेखन पर आधारित वृहद गोष्ठी का आयोजन डॉ. सोनरुपा विशाल के आवास नमन पर किया गया। डॉ. सोनरुपा विशाल ने बताया पत्र सदियों से संप्रेषण का सिद्ध माध्यम है । इंसान ने जब लिखना सीखा तभी से पत्र लिखे जाने लगे।पत्र भावनाओं के आदान प्रदान का सर्वश्रेष्ठ माध्यम रहा है।डाकिये की ख़ाकी पोशाक ,लाल लैटर बॉक्स ,गोंद से लिफाफे चिपकाते हम लोग।चिट्ठियों के ऊपर लगे डाक टिकट को कितनी सुथराई से निकालते थे हम लोग। इन्हें एकत्र करते थे। पोस्ट कार्ड पर रंग बिरंगे स्केच से लिखे संदेश। कब ये दिन स्मृति में बदल गये पता ही नहीं चला।साथ ही हमारी भावनाओं का प्रकटीकरण कब मोबाइल और सोशल साइट्स के आधीन हो गया हम जान ही न पाए। बस इसी संदर्भ को लेकर गोष्ठी आयोजित की गई ।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया गया। सरस्वती वंदना कु. अपूर्वा ने प्रस्तुत की। डॉ सोनरुपा विशाल ने अपने पत्र वाचन में पत्नी द्वारा स्मृतियों को संजोते हुये पलों का चित्रण किया।डॉ. दीप्ति जोशी -एक पत्र आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी के नाम लिखकर नारी शक्ति व उनके कार्यकाल में हुई योजनाओं के क्रियान्वन हेतु आभार को संजोया हुआ एक पत्र पढ़ा।

डॉ. गायत्री प्रियदर्शिनी ने ‘ख़त – मॉं के नाम’ पढ़ते हुए कहा -वो सब जगहें जहॉं तुम थीं वहॉं अब ताले जड़े हैं।
डॉ. शुभ्रा माहेश्वरी ने ‘मां की पाती बेटी के नाम’ द्वारा छात्रावास में जाने वाली बेटी को हिदायतें देते हुए आज की दुनिया से रूबरू कराया।
मधु राकेश ने एक ख़त सहेली के नाम… प्यारी रंजू (रंजना)…को पत्र पढ़ा।
शिल्पी अनूप ने नज़्म ‘ख़त ख़ुद के नाम’ग़ैर ज़रूरी ख़त’पढ़ते हुए कहा –
मन की दीवारों पर सीलन ये पुरानी है
इस ख़त के ज़रीये ख़ुद को धूप
लगानी है ।

ममता ठाकुर ने मेरा पत्र : सखियों के नाम पढ़ा-
‘पत्र मित्रों के पास होने का एहसास होते थे।
पत्र नहीं आते तो हम कितना उदास होते थे’।
मधु अग्रवाल ने भगवान् जी के नाम ‘शुकराना’ से भरपूर लिखा खत पढ़ा।

सरला चक्रवर्ती ने ‘प्रकृति मां के नाम’ लिखा पत्र पढ़ते हुए कहा प्रकृति मां आपने हमें बहुत कुछ दिया पर हमने आपका सब कुछ छीना है।

डॉ. ममता नौगरैया ने श्री राम को लिखा पत्र पढ़ते हुए कहा –
त्रेतायुग की मैं रामायण हूं
कागज़ों पर लिखा एक ग्रंथ हूं।

मंजुल शंखधार जी ने ‘पिता के नाम पत्र’ लिखकर अपनी स्मृतियों को संजोया।

नन्हीं वैभवी ने राखी पर भाई को लिखे पत्र को पढ़ा।

ऊषा किरन मिनोचा ने पुराने दिन मे लिखे जाने पत्र की याद दिलाई व सबसे पत्र लिखने का संकल्प लेने को कहा।उन्होंने आगरा में रह रही अपनी सखी को लिखा पत्र पढ़ा।

मधु शर्मा ने अपने कालेज समय में अपनी सीनियर रही सहेली को लिखे पत्र ‘प्रिय सखि’ का वाचन किया।

शारदा बावेजा ने पत्र की ऑडियो भेज कर गोष्ठी में सहभागिता की। उनका पत्र उनकी नई नवेली बहू और दामाद के प्रति उनका स्नेह और उनके संस्कारवान और सुंदर व्यक्तित्व को दर्शाता हुआ था।

कार्यक्रम में अलग अलग विषयों को इंगित करते पत्र लेखन और फिर उनका वाचन किया गया जो एक अलग ही प्रयोग सिद्ध हुआ। कार्यक्रम के अंत में मंजुल शंखधार जी ने पुराने दिन याद दिलाये । कार्यक्रम का संचालन व संयोजन डॉ. सोनरुपा विशाल ने किया।

✒️ Alok Malpani Editor in chief (MD News Bareilly Zone)

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