रामसनेहीघाट / बाराबंकी
आत्म कल्याण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जो कुछ करना होता है उसी का नाम उपासना एवं साधना है, इसे दो पहियों पर चलने वाली आत्मिक प्रगति यात्रा भी कह सकते हैं,जिस प्रकार इंद्रियजनय वासनाओं और मनोवांछाओं की तृष्णा की पूर्ति भौतिक साधन सामग्री के आधार पर होती है उसी प्रकार आंतरिक समाधान संतोष आनंद उल्लास की असीम शांति भरी स्थिति अध्यात्म विज्ञान के आधार पर उपार्जित संपदाओं से होती है।
यह बात रामसनेहीघाट गायत्री शक्तिपीठ पर शुरू हुए नवचेतना जागरण गायत्री महायज्ञ के प्रथम दिन आद्यशक्ति गायत्री- युगशक्ति गायत्री पर आध्यात्मिक चर्चा करते हुए हरिद्वार शांतिकुंज युग तीर्थ से पधारे टोली नायक राजकुमार भृगु ने कहीं। उन्होंने कहा कि नर से नारायण, पुरुष से पुरुषोत्तम, लघु से महान एवं आत्मा से परमात्मा बनने का अवसर इसी पथ पर चलने से मिलता है,पशु को देवता बनाने की स्थिति इसी प्रयास द्वारा संभव होती है।
उनहोने कहा कि आत्म कल्याण के पथ पर अग्रसर करने वाले अध्यात्मिक विधि विज्ञान की दो धाराएं हैं आत्म दर्शन और विश्व दर्शन। इन्हें आत्मबोध एवं तत्व बोध भी कहते हैं आत्मबोध के अंतर्गत आत्म सत्ता के स्वरूप धर्म चिंतन एवं कर्तव्य की वस्तुस्थिति समझी समझाई जाती है और तत्वबोधिनी शरीर एवं उनके साथ आत्मा के पारस्परिक संबंधों और कर्तव्यों का निरूपण किया जाता है।उन्होंने कहा कि उच्च स्तरीय गायत्री साधना में साधकों को आत्मबोध और तत्व बोध दोनों साधनों का समन्वय करना पड़ता है।
इससे पूर्व सतगुरु ज्ञान गंगा सदग्रंथ शोभायात्रा के उपरांत शक्तिपीठ पर आयोजित कार्यक्रम में राम शंकर सिंह ने कहा कि यह युग संधि की बेला है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है। परमपूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने कहा है कि यह समय बहुत महत्वपूर्ण है सामान्य दिनों में तो व्यक्ति सामान्य ढंग से कामकाज करता है लेकिन जब कोई आकस्मिक आपदा आती है तो सब कुछ छोड़कर केवल उस आपदा को समाप्त करने की दिशा में चल पड़ता है।आज वही समय है कि हम दुष्ट प्रवृत्ति और दुषचिंतन को समाप्त करने के लिए घर घर जाकर युग शक्ति गायत्री की उपासना का संदेश दें क्योंकि गायत्री ही वह महाशक्ति है जो व्यक्ति के विचार में परिवर्तन करते हुए उसे अध्यात्म के रास्ते पर ले जा सकती है।उन्होंने उपस्थित महिलाओं का आह्वान किया कि 21वीं सदी नारी सदी का संदेश पूज्य गुरुदेव ने दिया था जो आज पूरी तरह से दृष्टिगोचर हो रहा है उन्होंने कहा कि इस युग परिवर्तन में महिलाओं की सबसे बड़ी भूमिका है इसलिए उन्हें आगे आकर इस कर्तव्य को अपने हाथों में लेना होगा।
इससे पूर्व सुबह 9 बजे सद्गुरु ज्ञान गंगा सदग्रंथ शोभायात्रा निकाली गई जो भिटरिया स्थित हनुमान मंदिर परिसर से शुरू होकर गायत्री शक्तिपीठ रामसनेहीघाट में समाप्त हुई। इस दौरान मानव मात्र एक समान एक पिता की सब संतान, हम बदलेंगे युग बदलेगा, हम सुधरेंगे युग सुधरेगा, के जयघोष के साथ महिलाओं ने सर पर सदग्रंथ धारण किया तथा शक्तिपीठ पर पहुंची जहां हरिद्वार से पधारी टोली द्वारा संक्षिप्त उद्बोधन के बाद प्रसाद का वितरण किया गया।
मुरारी यादव बाराबंकी जिला संवाददाता