ऐसा लगता है देश में कानून सिर्फ संसाधनहीन गरीबों, छल कपट से मुक्त लोगों व राजनीतिक रूप से उभरते नौजवानों के लिए ही है!
आखिर क्या कारण है जिन धाराओं में उपरोक्त प्रकार का व्यक्ति वर्षों जेल में बंद रहता है, जमानत नहीं मिलती, उन्हीं या उससे भी गंभीर धाराओं में अमीर, छल कपट युक्त झूठा, सत्ता की हनक वाले या शासन प्रशासन में पकड़ रखने वालों को कुछ महीने में ही या बिना जेल जाए ही जमानत मिल जाती है!

एक गरीब आदमी अगर अपने बचाव में सामने वाले की गलती पर ही उसके थप्पड़ मार दे या किसी अपराध पर कोई झूठ ही उसका नाम लिखा दे तो पुलिस उसे 3 दिन थाने में बैठाकर यातना देती है, रिश्वत भी लेती है! और बाद में 151 या अन्य धाराओं में मुकदमा भी लिख देती है!
लेकिन एक दूसरा वर्ग है जो वास्तव में अपराध करते हैं, पुलिस लीपापोती करने लगती है या अगर f.i.r. भी हो गई तो ऐसे पूछताछ करती है जैसे ससुर और दमाद में बात होती है!

देश का संविधान समान न्याय और बराबरी की बात करता है!

क्या व्यावहारिक रूप से मौजूदा व्यवस्था में समान न्याय और बराबरी है? अगर नहीं तो देश के नागरिक और राजनीतिक दल इसके खिलाफ जोरदार आवाज क्यों नहीं उठाते?

जो लोग संविधान की दुहाई देते हैं वह भी उसके मुताबिक सबको समान न्याय क्यों नहीं देते?

यह तब तक होता रहेगा जब तक हम जाति धर्म व आपसी गुटबाजी में बटकर पैसे वाले( अधिक पैसा तो ठगी, कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार, मिलावटखोरी, मुनाफाखोरी, बेईमानी, मक्कारी से ही आता है जो व्यक्ति पहले ही भ्रष्ट है वह विधायक /सांसद बनने के बाद इंसाफ और ईमानदारी की बात क्यों करेगा? क्योंकि वही सबसे पहले उसकी गिरफ्त में आता है!) भौकाली, माफिया, झूठा, वादाखिलाफ और जिनके कोई सिद्धांत या विचार नहीं हैं ऐसे लोगों को उनकी गाड़ियों की संख्या, हरजा खर्चा, उनके महंगे कपड़े व आलीशान घर, उनके साथ खरीदे हुए लोगों की संख्या, नौकर चाकर आदि को देखकर वोट देते रहेंगे!
तब तक कहीं व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा बस मंत्री और विधायक आवास की नेम प्लेट बदल जाएगी!

इसलिए चेहरे और नाम नहीं व्यवस्था परिवर्तन के लिए वोट दें!
व्यवस्था परिवर्तन वही कर सकता है जिसके अपने विचार हैं, सिद्धांत हैं,ईमानदार है, ऐसे लोगों के पास अपना खर्च चलाने का भी पैसा नहीं होता है! जनता उन्हें चिन्हित करे, चंदा दे और वोट देकर अपना प्रतिनिधि बनाए!
वरना लुटो और लुटवाओ के रास्ते पर चलकर ही जीवन समाप्त हो जाएगा!

मेरे जैसा कोई भी नौजवान इस दोहरी व्यवस्था से आहत होकर इसमें सुधार करवाने की कोशिश जरूर करेगा क्योंकि वह वास्तव में संविधान /कानून का पालन करता है और उसके लिए सबसे पहले राष्ट्र है!

  • लेखक- आपका भाई/दोस्त- मोबीन गाज़ी कस्तवी
    सोशल & पॉलीटिकल एक्टिविस्ट, थिंकर,राइटर!
    9455205870

By admin_kamish

बहुआयामी राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष

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