रिपोर्ट राहुल राव
(Madhya Pradesh buro)

बन रहें लत का शिकार..!! साथ बैठ कर सुख दुख की बातें अब हो रही हवा हवाई।
उपयोगिता के अलावा अनजाने में ही लोग मोबाइल फोन की अनुपस्थिति में असहज महसूस करने लगते हैं यदि कोई लगातार स्मार्टफोन का इस्तेमाल करता है तो वह नोमोफोबिया बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं इसका असर अधिकतर छोटे बच्चों में हो जाता है जो लगातार मोबाइल देखते रहते हैं।


मोबाइल की लत सभी को ऐसी लगी है कि मोबाइल हाथों से छूटता नहीं! नींद पर भी इसका प्रभाव देखा गया है अच्छी नींद के लिए जो समय होता है वह मोबाइल चलाने से प्रभावित हुआ है! बच्चे इसमें समाहित गेम में उलझे रहते हैं बच्चों को वीडियो आदि खाना खाते समय भी देखते रहते हैं महिलाओं द्वारा पहले के समय में साझा प्रयासों से काम करने खाद्य सामग्री बनाने साथ बैठ कर दुख-सुख की बातें करना में कमी आई है!वही लोगों का कार्यालयों में ज्यादा मोबाइल का उपयोग वाहन चलाते समय कंधे और कान के मध्य दबा कर मोबाइल पर बात करना मोबाइल पर नित्य संदेश एक दूसरे को भेजना और अगर नहीं दिया तो नाराजगी का उत्पन्न होना जैसी स्थिति निर्मित होना स्वाभाविक है!ये प्रक्रिया तनाव को जन्म देती है जिससे बीमारियां शरीर को लपेटे में ले लेती है! कुल मिलाकर सार यह है कि मोबाइल का हमें जरूरत के हिसाब से उपयोग करना चाहिए इसका ज्यादा उपयोग हमारी जीवन शैली के घरेलू आवश्यक कार्य की गति को धीमा करने के संग लत का शिकार बनाती जाती है।

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