बिसौली/बदायूं : सगुण हो या निर्गुण साकार हो या निराकार व्यक्ति जिस रूप में भगवान को खोजता है प्रभु उसी रूप में प्राप्त होते हैं। जो सभी को अपनी ओर खींचने की क्षमता रखता है उसी को श्रीकृष्ण कहते हैं। उक्त उद्गार जगदगुरु स्वामी रामचंद्राचार्य महाराज ने अग्रवाल धर्मशाला में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सांतवे दिन व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि नाम में तो बहुत कुछ छिपा होता है। महाराज जी ने कहा कि आज के दौर में नामकरण संस्कार का महत्व ही खत्म हो चला है। जिसकी जैसी मर्जी हो वैसा नाम रख लेते हैं। ऋषि वशिष्ठ ने प्रभु राम और ऋषि गर्ग ने भगवान कृष्ण का नामकरण किया। दोनों ऋषियों ने प्रभु के कान में उनका नाम बताते हुए उनकी और अपनी लाज रखने की गुहार लगाई। कान्हा के नामकरण संस्कार का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि ऋषि गर्ग गोकुल में पधारे जहां नंदबाबा और यशोदा मां ने उनका खूब आदर सत्कार किया। ऋषि गर्ग ने बताया कि वो पास के गांव में एक बालक का नामकरण करने आए हैं और रास्ते में मिलने के लिए इधर आ गए। यह सुनकर यशोदा मां ने उनसे अपने बालक का भी नामकरण करने का अनुरोध किया। ‘बोलो गोविंदा बोलो गोपाला’ भजन पर श्रद्धालुओं ने मगन होकर नृत्य किया। कथा सुनने पंडाल में कृष्णकांत अग्रवाल, विष्णुकांत अग्रवाल, सुरेश अग्रवाल, डा. प्रवीन शर्मा, रविप्रकाश अग्रवाल, विपिन अग्रवाल, धर्मेंद्र गुप्ता, प्रमोद शर्मा, संजय अग्रवाल, ऋतु अग्रवाल, सरिता, विमला, अमरीश अग्रवाल, प्रियांशु, मानवी आदि मौजूद रहे।
✍️ रिपोर्ट : आई एम खान संवाददाता बिसौली