नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बैचलर ऑफ़ एजुकेशन (B.ED) और बेसिक ट्रेनिंग कोर्स (BTC) विवाद मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। बीटीसी धारको को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राहत मिली है तो वही B.Ed के अभ्यार्थियों को मायूसी भरी खबर लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपीई और केंद्र सरकार की एसएलपी को खारिज करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को वैध माना।न्यायालय ने प्राइमरी स्कूल से B.Ed धारकों को बाहर कर दिया है।सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से B.Ed करने वाले सभी उम्मीदवार अब प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने की दावेदारी से बाहर हो गए हैं।अब वे प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक नहीं बन पाएंगे। इस निर्णय के बाद आप केवल बीटीसी डिप्लोमा धारी ही प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बन सकते हैं। कोर्ट के इस फैसले का असर अब न केवल राजस्थान बल्कि देश के सभी राज्यों में देखने को मिलेगा।

जानिए पूरा मामला

राजस्थान सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के लिए एक भर्ती निकाली थी। जिसमें सरकार द्वारा बीएड अभ्यर्थियों को इस भर्ती के लिए अयोग्य घोषित किया गया था। राजस्थान सरकार के इस फैसले के खिलाफ अभ्यार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी राजस्थान सरकार के फैसले को सही बताया है। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध कुमार बोस की अध्यक्षता वाली बेंच ने राजस्थान सरकार की इस पॉलिसी को सही ठहराते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले पर अपनी मोहर लगा दी है।

NCTE के नोटिफिकेशन के बाद शुरू हुआ था विवाद

बीएड बनाम बीएसटीसी विवाद NCTE द्वारा वर्ष 2018 में जारी की गई एक अधिसूचना के बाद शुरू हुआ था।जिसमें कहा गया था कि राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा (REET) के लेवल-1 परीक्षा के लिए बीएड डिग्रीधारक इस शर्त पर योग्य होंगे। जबकि वे परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद 6 माह का ब्रिज कोर्स करेंगे। इसे लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय में पक्ष और विपक्ष दोनो तरफ से याचिकाएं दायर हुई थीं, जिसमें कोई फैसला नहीं आ पाया था।राजस्थान सरकार ने REET 2021 का नोटिफिकेशन जारी किया तो उसमें B.Ed डिग्रीधारकों कोई शर्त के साथ परीक्षा में बैठने का मौका दिया की आखिरी फैसला हाई कोर्ट के निर्णय के अधीन रहेगा।

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