भारत।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को वो कर दिखाया जो कोई नहीं कर सका। अमेरिका और चीन जैसे बड़े देश मुंह ताकते रह गए। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला भारत पहला देश बन गया है। अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए भारत का चंद्र मिशन Chandrayaan-3 बुधवार शाम 06:04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर अब विक्रम और रोवर क्या काम करेंगे?
रोवर ने शुरू किया अपना काम
500 मीटर घूमकर रिसर्च करेगा रोवर
सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर मॉड्यूल ने इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए 14 दिन का काम शुरू कर दिया है। चंद्रमा की सतह पर रोवर 14 दिन काम करेगा। जिसमें चंद्रमा की सतह के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए वहां प्रयोग करना शामिल है। ‘विक्रम’ लैंडर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर अपना काम पूरा करने के बाद अब रोवर ‘प्रज्ञान’ के चंद्रमा की सतह पर कई प्रयोग करने की बारी है।
चांद पर 14 दिन क्या करेगा प्रज्ञान रोवर?
इसरो के अनुसार, लैंडर और रोवर में पांच वैज्ञानिक उपक्रम (पेलोड) हैं जिन्हें लैंडर मॉड्यूल के भीतर रखा गया है। लैंडर और रोवर दोनों का जीवन काल एक-एक चंद्र दिवस है, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है। प्रज्ञान रोवर ने अपना काम शुरू कर दिया है। चांद की सतह की तस्वीरें भेजना भी शुरू कर दिया है। रोवर 14 दिनों तक चांद की सतह पर 500 मीटर घूमकर रिसर्च करेगा। लैंडर और रोवर में 8 कैमरे लगे हैं।
सोलर पैनल से चलता है रोवर
चंद्रमा की सतह पर असली काम प्रज्ञान रोवर का है। रोवर ही चांद से जुड़े रहस्य और जानकारी की खोज करेगा। इसीलिए इसे डार्क हॉर्स या छुपा रुस्तम कहा जा रहा है। रोवर सोलर पैनल से चलने वाला एक तरह का रोबोट है, जो सोलर पैनल से चलता है। इसलिए रात में काम नहीं करेगा। सब सही रहा था चांद पर 2 दिन तक काम कर सकता है। जो धरती पर 28 दिन होते हैं। इसमें लगे 2 हाईटेक नेविगेशन कैमरे चांद की सतह पर रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता खोजेंगे। चांद पर मैग्नेशियम, एल्यूमिनियम जैसे तत्वों की खोज करेगा साथ ही परखेगा कि चांद पर टिन, लोहा और कैल्शियम जैसे तत्व हैं या नहीं।