Aditya L1:भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पूरे देश को फिर से गर्व करने का मौका दिया है। इसरो के आदित्य-एल1 ने पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से सफलतापूर्वक बचकर पृथ्वी से 9.2 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर ली है। यह लगातार दूसरा मौका है। जब इसरो ने किसी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर भेजने में कामयाबी हासिल की है।
अदित्य एल1 चला लंग्रेज पॉइंट की ओर
अब आदित्य-एल1 अर्थ लैग्रेंज प्वाइंट1 (L1) की ओर अपना रास्ता तलाश रहा है। भारत के लिए आदित्य-एल1 का पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से सफलतापूर्वक बाहर जाना बड़ी उपलब्धि है।एल1 का मतलब ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1’ है, जहां अंतरिक्ष यान को स्थापित किया जाएगा। लैग्रेंजियन प्वाइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैग्रेंज से जुड़ा है। धरती और सूर्य के बीच में 5 लैग्रेंजियन प्वाइंट पड़ते हैं। इनमें से L1 और L2 पृथ्वी के सबसे पास हैं। L-1 अंतरिक्ष में विशिष्ट स्थानों का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां सूर्य और पृथ्वी जैसे दो खगोलीय पिंडों के गुरुत्वाकर्षण बल गुरुत्वाकर्षण संतुलन के क्षेत्र पैदा करते हैं। इन बिंदुओं के भीतर, एक अंतरिक्ष यान लगातार फ्यूल खपत की जरूरत के बिना स्थिर स्थिति बनाए रख सकता है।
आदित्य-L1 मिशन का लक्ष्य
‘आदित्य एल1’ को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था। इसरो के इस मिशन का लक्ष्य सूर्य-पृथ्वी के ‘एल1’ बिंदु पर सूरज के बाहरी वातावरण का अध्ययन करना है। इसरो के अनुसार, आदित्य-एल1 पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर रहकर सूर्य का अध्ययन करेगा। यह दूरी पृथ्वी और सूर्य की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है।