रोहित सेठ
🔵संस्कृत भाषा ही भारतीय संस्कृति का स्रोत है।– कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा।
🔵संस्कृत भाषा को राष्ट्रभाषा बनाये जाने पर जोर
संस्कृति का मूल संस्कृत भाषा है संस्कृत भाषा ही भारतीय संस्कृति का स्रोत है। संस्कृत भाषा में ही भारत के सांस्कृतिक विचार, उच्चादर्श, नैतिकमूल्य समाहित हैं। देश के यशस्वी- मनस्वी प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र दामोदर मोदी जी देश की साँस्कृतिक राजधानी एवं ज्ञान की राजधानी काशी से सांसद हैं,यह भारत की शाश्वत चेतना का जागृत केंद्र है।उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व में अध्यात्म और भारतीय संस्कृति समाहित है।संस्कृत देव भाषा है, ज्ञान,विज्ञान और अध्यात्म उत्थान में संस्कृत भाषा का अभूतपूर्व योगदान है।संस्कृत के प्रति अनुराग ही उनके वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को सिद्ध करती है।उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय ,वाराणसी के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने आज देश के यशस्वी प्रधानमन्त्री जी द्वारा संस्कृत के युवाओं को पुरस्कार और छात्रवृत्ति राशि देकर सम्मानित करने पर आभार व्यक्त किया साथ ही सम्मानित होने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए और उत्साह से कार्य करने का प्रोत्साहन देते हुए व्यक्त किया।
संस्कृत भाषा को जनभाषा बनाने की एक पहल है–
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि बीएचयू में काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार वितरित करना उनके संस्कृत के प्रति श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है।भारत विश्व गुरु संस्कृत और सनातन धर्म संस्कृति की बदौलत ही रहा है, आज पुनः प्रधानमन्त्री जी द्वारा हमारी पुरानी परम्पराओं को जागृत कर नई पीढ़ी और विश्व को अवगत कराने का सतत प्रयास किया जा रहा।संस्कृत भाषा को जनभाषा बनाने की एक पहल है, इसी से हमारे विचार की समृद्धि होगी और राष्ट्रीयता के साथ पुनः विश्व गुरु की तरफ उन्मुख होंगे।
आज संस्कृत के प्रति जागरूक होकर युवा पीढ़ी इस तरफ जुड़ रही है।–
कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि संस्कृत को सम्पूर्ण भारत में प्रतिष्ठित करने के संकल्प की शृंखला में काशी सांसद संस्कृत ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन भी इसी भावना का प्रतीक है। इससे आज संस्कृत के प्रति जागरूक होकर युवा पीढ़ी इस तरफ जुड़ रही है।
इस संस्था के द्वारा भी एक संदेश दिया जा रहा है कि संस्कृत भाषा तभी समृद्ध होगी जब “संस्कृत को राष्ट्र भाषा” घोषित किया जाय, इसी से भारतीयता और राष्ट्रीयता का प्रवाह होगा, तभी हमारी संस्कृति समृद्ध होकर वैश्विक पटल स्थापित होगी और पुनः विश्व गुरु बन सकेंगे।
पुनः प्रधानमन्त्री जी के प्रति विश्वविद्यालय परिवार और संस्कृत परिवार की तरफ से आभार व्यक्त करते हुये अभिनंदन ।