रिपोर्ट:आसिफ रईस
बिजनौर स्योहारा -चेतना सामाजिक संस्थान रजिस्टर्ड के संस्थापक और स्योहारा के वरिष्ठ पत्रकार श्री आरिफ जैदी ने फीता काट कर कैंप की करवाई शुरुआत। 67 लोगो की हुई जांच**। राष्ट्रीय वायरल हेपिटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम एनवीएचसीपी के अंतर्गत आउट रीच केंपो के तहत आज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्योहारा जनपद बिजनौर उत्तर प्रदेश पर हेपेटाइटिस जांच के वृहद शिविर का आयोजन किया गया ।जिसका उद्घाटन नगर के वरिष्ठ पत्रकार और चेतना सामाजिक संस्थान रजिस्टर्ड के संस्थापक श्री आरिफ ज़ैदी ने फीता काटकर कैंप की कार्रवाई शुरुआत। श्री आरिफ ज़ैदी द्वारा और उनके चेतना एनजीओ द्वारा भी हेपेटाइटिस को लेकर जन जागरूकता बाबत कैंपों का आयोजन किया जाता है और जांच शिवरों का भी आयोजन कराया जाता है ।चेतना संस्था के महासचिव और अमृत भारत योजना के तहत कार्य कर नगर विकास में अपना योगदान देने वाले एडवोकेट श्री अनुराग भटनागर और प्रचार सचिव श्री निकेश भटनागर भी इस दौरान साथ में उपस्थित रहे और अपनी 2 हेपिटाइटिस की जांच भी उन्होंने कार्रवाई। इस दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्योहारा जनपद बिजनौर उत्तर प्रदेश के अधीक्षक डॉक्टर बी के स्नेही ने हेपिटाइटिस के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार की पहल पर इन आउटरीच कैंपों का अयोजन किया जा रहा है। ताकि जनमानस को पीलिया और हेपिटाइटिस के बारे में विस्तार से जानकारी के साथ 2 निशुल्क जांच और इलाज भी मिल सके। हमारे जिले में 3 ट्रीटमेंट सैंटर चल रहे है जो क्रमशः सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धामपुर, नेहटौर और जिला अस्पताल बिजनौर में संचालित हो रहे है।आज 67 लोगो की जॉच की गई जिसमे 7 लोगों की रिर्पोट पॉजिटिव आई।इन सभी के सैंपल वायरल लोड के लिए जिले पर भेजे जा रहे है ।रिर्पोट पॉजिटिव आने पर निशुल्क दबा ट्रीटमेंट सैंटर से मुहैया करवाई जायेगी।अधीक्षक डॉक्टर बी के स्नेही ने हेपिटाइटिस के बारे में बताया कि
हेपेटाइटिस (Hepatitis) मूल रूप से लीवर से जुड़ी बीमारी है, जो वायरल इन्फेक्शन के कारण होती है। इस बीमारी में लीवर में सूजन आ जाती है। हेपाटाइटिस में 5 प्रकार के वायरस होते हैं, जैसे- ए,बी,सी,डी और ई। इन पांचों वायरसेस को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि इनके कारण ही हेपेटाइटिस महामारी जैसी बनती जा रही है और हर साल इसकी वजह से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। हेपेटाइटिस का टाइप बी और सी लाखों लोगों में क्रोनिक बीमारी का कारण बन रहे हैं क्योंकि इनके कारण लीवर सिरोसिस और कैंसर होते हैं। हेपेटाइटिस के बारे जागरूकता पैदा करने और जन्म के बाद बच्चे को वैक्सीन देकर उसे हेपेटाइटिस से बचाया जा सकता है।
हेपाटाइटिस वायरल इन्फेक्शन के कारण होता है जो वायरस के अनुसार 5 प्रकारों में विभाजित किया गया है। ये 5 प्रकार दुनिया भर के लोगों के लिए चिंता का कारण बन गए है। हेपेटाइटिस ए– WHO के अनुसार हर साल 1.4 मिलयन लोग इस बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। ये दूषित भोजन और दूषित पानी के सेवन करन से होता है । हेपेटाइटिस बी- इन्फेक्टेड ब्लड के ट्रांसफ्यूशन और सिमेन और दूसरे फ्लूइड के इक्सपोशर के कारण यह संक्रमित होता है। हेपेटाइटिस सी- यह हेपेटाइटिस सी वायरस (HCV) के कारण होता है। `यह ब्लड और इन्फेक्टेड इन्जेक्शन के इस्तेमाल से होता है। हेपेटाइटिस डी- यह हेपेटाइटिस डी वायरस (HDV) के कारण होता है। जो लोग पहले से एचबीवी वायरस के इन्फेक्टेड होते हैं वे ही इस वायरस से संक्रमित होते हैं। एचडीवी और एचबीवी दोनों के एक साथ होने के कारण स्थिति और भी बदतर हो जाती है। हेपेटाइटिस ई- हेपेटाइटिस ई वायरस (HEV) के कारण यह होता है। दुनिया के ज्यादातर देशों में हेपेटाइटिस के संक्रमण का यही कारण है। यह विषाक्त पानी और खाना के कारण ज्यादा होता है। इसके अलावा हेपेटाइटिस को गम्भीरता के आधार पर भी पहचाना जाता है- एक्यूट हेपेटाइटिस- अचानक लीवर में सूजन होता है जिसका लक्षण छह महीने तक रहता है और रोगी धीरे-धीरे ठीक होने लगता है। एचएवी इन्फेक्शन के कारण आम तौर पर एक्यूट हेपैटाइटिस होता है। क्रॉनिक हेपेटाइटिस- क्रॉनिक एचसीवी इन्फेक्शन से 13-150 मिलयन लोग दुनिया भर में प्रभावित होते हैं। लीवर कैंसर और लीवर के बीमारी के कारण ज्यादा से ज्यादा लोग मरते हैं। एचइवी इन्फेक्शन क्रॉनिक रोगी का इम्यून सिस्टेम भी बूरी तरह से इफेक्ट होता है।
हेपेटाइटिस के कारण क्या हैं?
लीवर में सूजन होने के कारण हेपेटाइटिस रोग होता है। इस वायरल इन्फेक्शन के कारण जान को खतरा भी हो सकता है मतलब हेपेटाइटिस एक जानलेवा इंफेक्शन है। इसके कई कारण हो सकते हैं: वायरल इन्फेक्शन: खासकर, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी वायरल इंफेक्शन के कारण होता है। ऑटोइम्यून स्थितियां: अक्सर, शरीर के इम्यून सेल से यह पता चलता है कि लीवर की सेल्स को डैमेज पहुंच रहा है। शराब पीना: अल्कोहल हमारे लीवर द्वारा डायरेक्टली मेटाबोलाइज़्ड होता है, जिसके कारण यह शरीर के दूसरे भागों में भी इसका सर्कुलेशन होने लगता है। इसलिए, जब कोई बहुत अधिक शराब या अल्कोहल का सेवन करता है, तो उस व्यक्ति के लिए हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है। दवाइयों का साइड-इफेक्ट्स: यह भी एक कारण है हेपेटाइटिस का। कुछ विशेष दवाइयों के ज़्यादा सेवन से लीवर सेल्स में सूजन होने लगती है और हेपेटाइटिस का रिस्क बढ़ जाता है।
हेपेटाइटिस के लक्षण क्या हैं ?
अक्यूट हेपेटाइटिस की शुरुआत में बहुत स्पष्ट लक्षण नहीं दिखायी पड़ते हैं। लेकिन, इंफेक्शियस और क्रोनिक हेपेटाइटिस में ये समस्याएं काफी स्पष्ट तरीके से लक्षण के तौर पर दिखायी पड़ती हैं:
जॉन्डिस या पीलिया
यूरीन का रंग बदलना
बहुत अधिक थकान
उल्टी या जी मिचलाना
पेट दर्द और सूजन
खुजली
भूख ना लगना या कम लगना
अचानक से वज़न कम हो जाना
हेपेटाइटिस का निदान क्या है?
लक्षणों को ध्यान में रखते हुए और स्थिति की गम्भीरता के आधार पर डॉक्टर्स हेपेटाइटिस का निदान करते हैं। लीवर में सूजन, त्वचा की रंगत पीली होना, पेट में में फ्लूइड होना आदि को देखकर फिज़िकल एक्ज़ामिनेशन करने को कहते हैं। इसके लिए इन टेस्ट को करने की सलाह दी जाती है-
पेट का अल्ट्रासाउन्ड
लीवर फंक्शन टेस्ट
ऑटोइम्यून ब्लड मार्कर टेस्ट
लिवर बायोपसी
हेपेटाइटिस का उपचार क्या है?
अक्यूट हेपेटाइटिस कुछ हफ्ते में कम होने लगते हैं और मरीज़ को आराम मिलने लगता है। जबकि, क्रोनिक हेपेटाइटिस के लिए दवाई लेने की ज़रूरत होती है। लीवर खराब हो जाने पर लीवर ट्रांसप्लैनटेशन भी एक विकल्प है।
हेपेटाइटिस में डायट कैसी होनी चाहिए?
हेल्दी डायट की मदद से हेपेटाइटिस की समस्या को मैनेज करना आसान हो जाता है। हालांकि, स्थिति की गम्भीरता और लीवर की सूजन के आधार पर डायट निर्धारित की जाती है। साथ ही डायट से जुड़ी इन बातों का ध्यान रखने से भी मदद होती है। :
अपनी डायट में फूलगोभी, ब्रोकोली, बीन्स, सेब, एवाकाडो का समावेश करें।
प्याज़ और लहसुन जैसे पारम्परिक मसालों को अपने भोजन में शामिलकरें।
खूब पानी पीएं, ताज़े फलों का जूस पीएं।
अल्कोहल का सेवन कम करें, गेंहू का सेवन कम करें।
जंक फूड, मैदे से बने फूड्स, प्रोसेस्ड फूड और मीठी चीज़ों के सेवन से बचें।
भोजन को चबा-चबाकर खाएं। इससे, भोजन पचने में आसानी होगी।
एक साथ भारी भोजन करने की बजाय कम मात्रा में 4-6 बार भोजन करें।
हेपेटाइटिस से बचाव क्या हैं?
हेपेटाइटिस बी और सी की रोकथाम वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के प्रयाल करने से हो सकता है। इसके अलावा बच्चों को हेपेटाइटिस से सुरक्षित रखने के लिए लिए वैक्सीन्स दी जा सकती हैं। सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन [ Center for Disease Control and Prevention (CDC)] के अनुसार 18 साल के उम्र तक और उससे वयस्क लोगों को 6-12 महीने में 3 डोज़ दी जानी चाहिए। इस तरह उन्हें ,हेपेटाइटिस से पूर्ण सुरक्षा मिलेगी। साथ ही इन बातों का ख्याल रखें-
अपना रेजर, टूथब्रश और सूई को किसी से शेयर न करें, इससे इन्फेक्शन का खतरा कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
टैटू करवाते समय सुरक्षित उपकरणों का इस्तेमाल सुनिश्चित करें ।
कान में छेद करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि उपकरण सुरक्षित और इंफेक्शन-फ्री हैं। इस दौरान डॉक्टर विनय सैनी,राकेश कुमार , रहमत,वीर सिंह ,राजेश कुमार, योगेश कुमार, हरीश कुमार, प्रदीप रावत, बीपीएम प्रमोद कुमार, बीसीपीएम सुधीर कुमार, कोमल सिंह, प्रतिभा,सुनील कुमार, नाजिम ,राशी, अनम, नेहा, ज्योति,आरिफ,देवेंद्र कुमार , भोगराज , नृविंद, रामकुमार,मनोज कुमार,आदि लोग भी उपस्थित रहे।