अक्षय तृतीया एवं भगवान परशुराम जयंती उत्साह और विचार शुद्धि का पर्व है– कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा।

अक्षय तृतीया अनंत समृद्धि, नई शुरुआत, धर्मार्थ महत्व, आध्यात्मिक महत्व-

अक्षय तृतीया अनंत समृद्धि, नई शुरुआत, धर्मार्थ महत्व, आध्यात्मिक महत्व और साँस्कृतिक उत्सव का दिन है,भगवान परशुराम की जन्म जयंती भी आज ही है, जो ज्ञान, बहादुरी और निःस्वार्थ सेवा का प्रतीक है, जो भक्तों को उनके मार्ग पर चलने और आध्यात्मिक विकास और ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।य़ह पर्व उत्साह और विचार शुद्धि का पर्व है।

अक्षय काअर्थ है” शाश्वत” समृद्धि या “अविनाशी-
उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने आज अक्षय तृतीया एवं परशुराम जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार एवं संस्कृत समाज को उत्सव विचार से एक संदेश के माध्यम से दिया।

भगवान परशुराम बुद्धि, परोपकार और वीरता के प्रतीक—
कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि अक्षय काअर्थ है” शाश्वत” समृद्धि या “अविनाशी” और तृतीया का अर्थ तीसरा,जिसका समूल अर्थ तृतीया शाश्वत समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है।
भगवान परशुराम विष्णु के छठे अवतार थे, जिन्हें बुद्धि, वीरता परोपकार के लिए प्रतीक माना जाता है।इन्हें बुराई का नाश करने वाला था द्रोणाचार्य के गुरु के रूप में भी जाना जाता है।

राष्ट्रहित,देव भाषा संस्कृत के प्रति समर्पण का दिन है।

कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने आज के पवित्र दिन सभी को शुभकामनाएँ देते हुए नवीन विचार के साथ राष्ट्र निमार्ण और देव भाषा संस्कृत के प्रति समर्पण तथा जनहित विचारधारा के साथ भगवान परशुराम के जीवन दर्शन का अनुसरण करते हुए आत्मसात करें।

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