संग्रहालय विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष अवलोकन और व्यावहारिक अनुभव का माध्यम- कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ।

रोहित सेठ

वाराणसी संग्रहालय विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष अवलोकन और व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से सीखने का एक अनूठा अवसर प्रदान करते हैं।य़ह साँस्कृतिक कलाकृतियों और ऐतिहासिक वस्तुओं को संरक्षित करने में मदद करते हैं, जिससे वे भविष्य की पीढ़ियों के लिए उपलब्ध हो सके।इससे साँस्कृतिक जागरूकता और समझ को बढावा देते हैं।
उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने
अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर सभी को हार्दिक अवसर देते हुए परिसर स्थित पुरातत्व संग्रहालय में “काशी विरासत” के आलोक में तीन दिवसीय (18 मई से 20 मई)छाया चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन एवं (दिनांक 04 मई से 18 मई) तक होने वाले प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन होने के अवसर पर बतौर अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किया।

समस्त कार्यक्रम के आयोजन में संचालन डॉ रविशंकर पाण्डेय, संयोजक संग्रहालय अध्यक्ष डॉ विमल कुमार त्रिपाठी ने किया।
डॉ विशाखा शुक्ला धन्यवाद ज्ञापित किया।
विद्यार्थियों के द्वारा वैदिक, पौराणिक मंगलाचरण किया गया।
मंच पर आसीन अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन एवं माँ सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
कार्यक्रम संयोजक डॉ विमल कुमार त्रिपाठी ने सभी मंच पर आसीन अतिथियों का माल्यार्पण, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर अभिनंदन किया गया।
उक्त अवसर पर प्रो हीरक कांत चक्रवर्ती, प्रो राजनाथ, डॉ विशाखा शुक्ला, डॉ रविशंकर पाण्डेय, संदीप चौबे एवं विद्यार्थियो ने सहभाग किया।

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