बदायूं/उत्तर प्रदेश : प्रकृति फाउंडेशन मेरठ (रजि.)के बैनर तले गुरुवार को वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. ममता नौगरैया के बदायूं स्थित आवास पर “एक शाम प्रकृति के नाम” कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बदायूं के जाने-माने साहित्यकार, शिक्षाविद, कलाविद आदि ने अपने विचारों को साझा किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ कमला माहेश्वरी व आयोजिका डॉ ममता नौगरैया के द्वारा गणेश जी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया गया। असिस्टेंट प्रोफेसर सरला देवी चक्रवर्ती, प्रमिला गुप्ता, सरिता सिंह, डॉ उमा सिंह गौर , नेहा शरद गुप्ता , मधु अग्रवाल,डॉ शुभ्रा माहेश्वरी आदि ने मां शारदे को पुष्पार्पित किये। कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ ममता नौगरैया ने कहा- प्रकृति के प्रति जागरूक होने का बोध कराती है। पानी रे पानी तू कैसा पानी। हम पानी खर्च इसी तरह करते रहे तो जल हो जायेगा लोप, वह दिन दूर नहीं तब बरसेगा सबपर क्रोध। सब मिलकर विचारें, सोचें पानी की मात्रा घटती रोज।।

असिस्टेंट प्रोफेसर सरला देवी चक्रवर्ती ने क्षिति, जल, पावक, गगन, समीर पंच तत्वों को प्रकृति का स्वरूप बताते हुए कहा कि मानव और प्रकृति का गहरा नाता है। जहां प्रकृति है, वहां जीवन है और जब हम अपने लालच के वसीभूत होकर अपनी इसी प्रकृति को क्षति पहुंचाते है तो इसका हमारे जीवन पर भी असर पड़ता है। डॉ उमा सिंह गौर ने कहा कि प्रकृति हमें लाभ देती है।हम अपने घर की छतों पर ही सही गार्डन बना सकते हैं। सरिता सिंह ने काव्यमय प्रस्तुति देते हुए कहा -“चलो हरेक दिन एक उत्सव मनायें ,घर आंगन बाग वन तरुवर लगायें । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं डॉ कमला माहेश्वरी ने कहा -“आओ पौध रुपाएं हम , आओ पौध लगाएं हम .पौध रोप कर सींचें पोषें,पूरा शज़र बनाएं हैं । देखन में लगते छोटे ये ,काम घनेरे हैं इनके पर्यावरण शुद्ध कर देता उत्सर्जित विष पी जनके । रक्षा-स्त्रोत सरिस शिव से ये, जीवन धन सरसाएं हम। पौध रोप कर सींचें पोषें, पूरा शज़र बनाएं हम। नेहा शरद गुप्ता ने पेड़ लगाने व पेड़ से होने वाले लाभों को गिनाया।डॉ शुभ्रा माहेश्वरी ने अपनी क्षणिका देते हुए कहा -” आओ चलो स्टेटस के लिए कुछ फोटो खिचाते हैं। अपने आसपास का ही एक पौधा दिखाते हैं।।ओढ़ कर झूठ की चादर पहन दिखावे का चश्मा, चलो पोस्ट के लिए सैल्फी बढ़िया सी खिंचाते हैं। प्रमिला गुप्ता ने कहा प्रकृति जहाँ हमें जीवन प्रदान करती है तो वहीं हमारे विनास का कारण भी बन सकती है। अगर हम समय रहते अपने पर्यावरण के प्रति नहीं चेते तो वह दिन दूर नही जब हर तरफ विनास का मंजर होगा।मधु अग्रवाल ने कहा वेदों के अनुसार वृक्ष और वनस्पतियां पर्यावरण संरक्षण के लिए परम् आवश्यक है। वृक्षों को देवरूप मानकर वैदिक ऋषियों ने इन वृक्षों की अनेक प्रकार से स्तुति की है। अन्त में कार्यक्रम संयोजिका डॉ ममता नोगरिया ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।

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