शास्त्रार्थ में गोविन्दानन्द पराजित और डा परमेश्वरनाथ मिश्र विजयी घोषित ॥
रोहित सेठ
जिस किसी को भी यह अभिप्रेत हो
जयपत्र
श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी ने जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज को मठाम्नाय महानुशासनम् के अनुसार अयोग्य बताते हुए उनका समर्थन करने वाले काशी के विद्वानों को मठाम्नाय महानुशासनम् पर शास्त्रार्थ करने के लिए चुनौती दी थी । श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी की चुनौती को स्वीकार करते हुए जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर जी के मुख्तारेआम श्री राजेन्द्र मिश्र द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति के माध्यम से विश्ववविश्रुत विद्वान श्री रामजन्मभूमि विवाद में माननीय हाईकोर्ट इलाहाबाद तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय भारत में ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य महास्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज की संस्था श्री रामजन्मभूमि पुनरुद्धार समिति की ओर से ३० सम्पूर्ण दिनों तक ५०० से अधिक पुस्तकों से प्रमाण प्रस्तुत कर बहस कर हिंदुओं को विजय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉ० पी० एन० मिश्र ‘मंडन मार्तंड” ने उनकी चुनौती को स्वीकार करते हुए शास्त्रार्थ के लिए उन्हें ३ विकल्प दिया था । एक विकल्प के अनुसार शीघ्र शास्त्रार्थ हेतु श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी को श्री मिश्र जी को कोलकाता से वाराणसी आवा-गमन तथा वाराणसी में होटल में प्रवास की उचित व्यवस्था करके वाराणसी बुलाना था परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी के स्रोतों से ही ज्ञात हुआ है कि वे वाराणसी से अन्यत्र चले गए हैं ।
वाराणसी शास्त्रार्थ हेतु मुझे निर्णायिका के रूप में नामित किया गया था। वाराणसी में शास्त्रार्थ हेतु आवश्यक शर्तों का परिपालन किये बिना श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी द्वारा वाराणसी से पलायन कर जाने के कारण मैं निर्णायिका श्रीमती रेखा मिश्र एतद्द्वारा श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी को पराजित और डॉ० पी० एन० मिश्र ‘मंडन मार्तंड” जी को विजयी घोषित करती हूँ।
विदित हो कि श्री मिश्र जी श्री गोविंदानंद सरस्वती जी को दूसरा अवसर देने के पक्षधर हैं । उनके द्वारा पूर्व में दी गई शर्त के अनुसार यदि आज श्री गोविंदानंद सरस्वती जी शंकर मठ हावड़ा में उपस्थित होकर उनसे शास्त्रार्थ नहीं करते हैं तो यहाँ के निर्णायक डॉ० प्रज्ञानानंद सरस्वती स्वामी जी महाराज, व्याकरणाचार्य, वेदांततीर्थ, शास्त्रचक्रवर्ती (बी.एच.यू. की पी.एचडी. उपाधि) उन्हें पराजित घोषित कर देंगे। और यदि वे आते हैं तो शर्त के मुताबिक विमान से कोलकाता और वहाँ से वाहन द्वारा हावड़ा शंकरमठ आने-जाने के मार्गव्यय का भुगतान श्री मिश्र जी करेंगे। आवासीय व्यवस्था शंकरमठ में ही रहेगी।