प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में प्रदेश का सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग किसानों को फसलों की सिंचाई हेतु भरपूर पानी मुहैया करा रहा है। नहरे प्रदेश के कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए नहरें अमूल्य निधि है। फसलों की सिंचाई के संसाधनों में नहरों से सिंचाई को सबसे अच्छा साधन माना गया है। नहर प्रणाली से कई लाभ होते हैं। नहरों के पानी से धरती में वाटर रिचार्ज होता रहता है। पशु-पक्षियों, वन्य जीवों को पीने का पानी मिलता रहता है। नहरों के किनारे वृक्षारोपण कर वनाच्छादन बढ़ाया जाता है। मछली व अन्य जलीय जीवों की संख्या में वृद्धि होती है। तालाब, पोखरों में पानी भरा जाता है। किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर पानी मिलता है। इसीलिए विभिन्न लाभों को दृष्टिगत रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने नहरों के सुधार, निर्माण सहित वांछित जल भण्डारण हेतु बांधों के निर्माण पर विशेष बल दिया है।
उत्तर प्रदेश का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 240.93 लाख हे0 है। जिसमें कुल कृषि योग्य क्षेत्रफल 188.40 लाख हे0 है तथा 165.73 लाख हे0 पर कृषि होती है। रबी एवं खरीफ फसलों को मिलाकर प्रदेश का बोया गया क्षेत्रफल 259.65 लाख हे0 होता है। किसानों को सिंचाई के लिए प्रदेश में 74660 किमी0 लम्बी नहर प्रणालियों एवं 34401 राजकीय नलकूपों, 29 पम्प नहरों, 253 लघु डाल नहरों एवं 69 जलाशयों से लगभग 93.92 लाख हे0 क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। प्रदेश में ऊपरी गंगा नहर, पूर्वी गंगा नहर, निचली गंगा नहर, मध्यगंगा नहर, शारदा नहर, गण्डक नहर, शारदा सहायक नहर, अपर यमुना नहर, सरयू नहर, बेतवा नहर, अपर आगरा नहर प्रमुख नहर प्रणालियॉ हैं। सिंचाई साधनों में उत्तरोत्तर वृद्धि हेतु प्राकृतिक जल संसाधनों का उपयोग कर वृहद, मध्यम एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं के सृजन एवं निर्माण हेतु प्रदेश सरकार निरन्तर प्रयासरत है।
वर्तमान सरकार के पूर्व 2016-17 तक प्रतिवर्ष उपलब्ध होने वाली अल्प धनराशि से मात्र लगभग 30,000 किमी0 नहरों की सिल्ट सफाई ही हो पाती थी। किन्तु विगत तीन वर्षों में वर्ष 2019-20 में 46822 किमी0 व वर्ष 2020-21 में 45942 किमी0 एवं वर्ष 2021-22 में 50891 किमी0 नहरों की सिल्ट सफाई कराई गई जो कि अब तक का रिकार्ड है। इन तीन वर्षों में नहरों की सिल्ट सफाई का अभूतपूर्व अभियान चलाकर सुनिश्चित की गई तथा टेल तक पानी पहुॅचाया गया। सरकार के इस कार्य से किसानों द्वारा प्रशंसा की गई है।
प्रदेश में वर्ष 2016-17 में सिंचाई विभाग द्वारा प्रदेश के कुल 82.58 लाख हे0 क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई थी, जिसे विगत पॉच वर्षों में बढ़ाकर वर्ष 2020-21 में 93.92 लाख हे0 तक पहुंचाया गया। निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं के पूर्ण होने पर प्रदेश में 21.37 लाख हे0 भूमि की अतिरिक्त सिंचन क्षमता में वृद्धि हुई है और इस वृद्धि से प्रदेश के 37.35 लाख कृषक लाभान्वित हुए हैं।
विभाग में नहरों पर निर्मित पुल-पुलियों के जीर्णोंद्धार/मरम्मत के लिए अलग से कोई धनराशि की व्यवस्था न होने के कारण पुल-पुलिया उत्तरोत्तर क्षतिग्रस्त होते जा रहे थे, जिससे कृषि कार्यों एवं सामान्य आवागमन में व्यवधान उत्पन्न होने लगा था। वर्तमान सरकार द्वारा प्रदेश में नहरों पर निर्मित क्षतिग्रस्त पुल-पुलियों के लिए प्रथम बार रू0 300 करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराकर प्रदेशव्यापी महाअभियान चलाकर 25050 पुल-पुलियों का जीर्णोद्धार, पुर्ननिर्माण व नवनिर्माण कराया गया।
प्रदेश में स्थित नालों/ड्रेन्स की सफाई अल्प उपलब्ध धनराशि के कारण पहले मात्र 1500 से 1600 किमी0 प्रतिवर्ष ही हो पाती थी। वर्तमान सरकार द्वारा प्रथम बार सभी ड्रेनों की पूरी लम्बाई में सफाई कराने के लक्ष्य के अंतर्गत लगभग छः गुना धनराशि की व्यवस्था से विगत दो वर्षों में 25975 किमी0 की लम्बाई में ड्रेनों की सफाई कराई गयी। वर्ष 2021-22 में भी कुल 23043 किमी0 लम्बाई में ड्रेनों की सफाई कराई गई है।
विगत वर्षों में विभाग द्वारा 2248 नये राजकीय नलकूपां का निर्माण किया गया है। जिससे लगभग एक लाख हे0 अतिरिक्त सिंचन क्षमता का सृजन किया गया। प्रदेश सरकार किसानों को अधिक से अधिक सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराते हुए कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी करा रही है।
✍️ ब्यूरो रिपोर्ट आलोक मालपाणी बदायूं