अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के पूर्व “सप्ताहव्यापी योग शिविर” का उद्घाटन॥
रोहित सेठ
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 का थीम है कि महिला सशक्तिकरण के लिए योग – कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा.
अगर हमें योग के पथ पर चलना है तो यह भी ध्यान रखना होगा कि “अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रम्हचर्य, अपरिग्रह,सोच,संतोष, तप स्वध्याय” अर्थात जब तक यह दस चीजों को नहीं समझेंगे, अमल नहीं करेंगे,अपने जीवन में योग को उतारने का प्रयास नहीं करेंगे तब तक मात्र आसन से कल्याण नहीं होगा।
उक्त विचार संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 21 जून 2024 को अंतराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में प्रारम्भ हुये सप्ताहव्यापी योग शिविर के उद्घाटन में कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने बतौर अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किया।
कुलपति प्रो.बिहारी लाल शर्मा ने करते हुए कहा कि यहाँ से अध्ययन कर योग प्रशिक्षक लोग बाहर निकले और लोगों को केवल आसन के महत्व को न समझाये बल्कि यम और नियम को समझाएं, आध्यात्मिक लाभों के बारे में जागरूकता लाना और योग के माध्यम से स्वयं एवं समाज के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा कर उनका सशक्तिकरण किया जाना है। हम ऐसा ही संकल्प लेकर इस योग यात्रा का प्रारम्भ करेंगे।
वैश्विक स्तर पर भारत की ब्रांडिंग कर संपूर्ण विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के महत्व को समझना।
कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत की ब्रांडिंग कर संपूर्ण विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की भागीदारी सुनिश्चित करना है।अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 का थीम है कि ” महिला सशक्तिकरण के लिए योग ।” यह थीम महिलाओं के समग्र कल्याण में योग की भूमिका पर जोर देती है और महिलाओं के जीवन पर योग के परिवर्तनकारी प्रभाव को बढ़ावा देती है, शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक माध्यमों से उनके सशक्तिकरण पर जोर देती है।इसका उद्देश्य योग के आध्यात्मिक लाभों के बारे में जागरूकता लाना और योग के माध्यम से स्वयं एवं समाज के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा कर उनका सशक्तिकरण किया जाना है। वैश्विक स्तर पर भारत की ब्रांडिंग कर, संपूर्ण विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की भागीदारी सुनिश्चित करना है।
कुलपति प्रो.शर्मा ने कहा कि योग हम सभी के जीवन का मूल आधार है अगर हम इसे पूरे परिवार के साथ और पूरे मनोयोग से प्रतिदिन करें। यह केवल रस्म अदायगी न बनकर रह जाय,केवल 21 जून को योग दिवस मनाये और फिर भूल जाएं। अन्यथा हमारे परम्परा के साथ अन्याय होगा। इसलिये सभी जागरूक हो,योग के सूक्ष्म से सूक्ष्म महत्व को लोगों को बता सके उसके लिए विश्वविद्यालय ने “सप्ताहव्यापी योग शिविर”कार्यक्रम चलाकर स्वयं व दूसरों को भी जागरूक किया जा रहा है।
प्रभारी कुलसचिव एवं वेदांत के आचार्य प्रो.रामकिशोर त्रिपाठी ने योग के महत्व के बारे में समझाते हुए कहा कि योग हर क्रिया योग है चाहे वह भक्ति योग हो ज्ञान योग हो ।
प्रो.रामपूजन पांडेय ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना के लिए मसौदा प्रस्ताव भारत द्वारा प्रस्तावित किया गया था और रिकॉर्ड 175 सदस्य देशों द्वारा इसका समर्थन किया गया था। इस प्रस्ताव को सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महासभा के 69वें सत्र के उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में पेश किया था, जिसमें उन्होंने कहा था: “योग हमारी प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। योग मन और शरीर, विचार और क्रिया की एकता का प्रतीक है जो और हमारे कल्याण के लिए मूल्यवान है।
ज्योतिष विभाग के आचार्य प्रो.अमित कुमार शुक्ल चाहे वह भक्ति योग हो ज्ञान योग हो । अन्य वक्ताओं में प्रो.रामपूजन पांडेय ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की स्थापना के लिए मसौदा प्रस्ताव भारत द्वप्रो.अमित कुमार शुक्ल ने कहा कि “योगः कार्य: कौशलम’ जीवन में योग एक कौशल की भांति है जो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में क्रिया है वह योग ही है और चित्त की प्रवृत्ति हमें गलत रास्ते पर ले जाती हैं जिसे हम योग के माध्यम से चित्त को सही दिशा में ले जाने की प्रेरणा देता है।
वैदिक, पौराणिक मंगलाचरण- मंच पर आसीन अतिथियों के द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया।
उक्त कार्यक्रम के प्रारंभ में कार्यक्रम के समन्वयक /संचालक प्रो. राघवेंद्र जी दुबे ने सभी अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन करते हुए बताया कि यह योग शिविर महिला सशक्तिकरण के थीम पर आधारित है जो कि एक सप्ताह चलेगा।21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के साथ संपन्न होगा।
उक्त कार्यक्रम में अखिलेश कुमार मिश्र, सुशील कुमार तिवारी, आदित्य कुमार, सुरेश कुमार, अमित कुमार मिश्र छात्र व छात्रायें उपस्थित थे।