श्रावण के अंतिम सोमवार एवं पूर्णिमा पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रांगण में आज निभाई जा रही है वर्षों पुरानी परंपरा।
रोहित सेठ
पंच बदन प्रतिमा के पंच गव्य स्नान से शुरू हुआ उत्सव।
वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में वर्षों पुरानी परंपरा की शुरुआत आज मंदिर प्रांगण में श्री विश्वनाथ जी की पंच बदन प्रतिमा के पंचगव्य स्थान के साथ शुरू हुई। विद्वान 11 अर्चकों, ट्रस्टी गण व अन्य गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में विधि विधान पूर्वक पंच बदन मूर्ति का पंचगव्य स्नान पूर्ण कराया गया। इस दौरान शंख वादन और डमरू वादन भी हुआ जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया। डमरू वादन तथा शंख की स्वरलहरी के साथ ही बाबा के प्रतिमा की आरती संपन्न की गयी।
अब इसके उपरांत भगवान श्री विश्वनाथ, माता पार्वती जी तथा भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा का विविध प्रकार के फूलों से सुंदर श्रृंगार कराया जाएगा तथा शोभायात्रा के पूर्व मंदिर प्रांगण में बाबा की प्रतिमा का भव्य झांकी दर्शन कराया जायेगा जिसमे संत महात्मा, जनप्रतिनिधि, काशीवासी आदि सभी सम्मिलित होंगे। तत्पश्चात सांयकाल काशीवासी और श्रद्धालु गण बाबा की पंचबदन प्रतिमा को पालकी पर विराजमान करके गर्भगृह में ले जाएंगे और पूर्ववर्ती परंपरा के अंतर्गत बाबा को मां पार्वती जी और भगवान श्री गणेश जी के साथ झूले पर विराजमान कराया जाएगा।
मंदिर गर्भ गृह में झूला उत्सव रात तक चलेगा जिसके दर्शन सभी लोग कर सकेंगे। यह काशीवासियों की अपनी परंपरा है जिसमे सबका स्वागत है। काशी वासी आज ज्यादा संख्या में आते हैं तो उनके द्वार की समयावधि भी बढ़ाई जाएगी ताकि अपने बाबा के मनमोहक श्रृंगार का दर्शन सभी लोग कर सकें।