पदोन्नति कर प्रत्येक विद्यालय में प्रधानाध्यापक अनिवार्य रूप से रखा जाये। सनत कुमार सिंह।
रोहित सेठ
वाराणसी। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ वाराणसी के वरिष्ठ शिक्षक नेता सनत कुमार सिंह ने बताया संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशचंद्र शर्मा एवं महामंत्री संजय सिंह ने माननीय शिक्षा मंत्री जी को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि उ०प्र० बेसिक शिक्षा परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया गतिमान है। सनत कुमार सिंह ने बताया कि संघ की मांग है कि समायोजन की प्रक्रिया में शिक्षकों से प्राप्त आपत्तियों के जैसे सरप्लस प्रधानाध्यापक का चिन्हांकन समायोजन की प्रक्रिया में ऐसे प्राथमिक विद्यालय जहाँ छात्र संख्या 151 से कम है, में कार्यरत प्रधानाध्यापक को सरप्लस के रूप में चिन्हांकन करते हुये समायोजित करने की प्रक्रिया गतिमान है।शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 जो कि उ०प्र० सरकार द्वारा वर्ष 2011 से लागू किया गया है, में प्राथमिक विद्यालय में 150 छात्र संख्या तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय में 100 छात्र संख्या होने पर ही प्रधानाध्यापक की तैनाती का नियम बनाया गया है जो कि पूर्णतः शिक्षा एवं शिक्षक हित में नहीं है, क्योंकि किसी भी संस्था के संचालन हेतु उसके प्रधान का होना आवश्यक है। इस नियम पर संघ के प्रांतीय पदाधिकारियों ने आरम्भ से ही आपत्ति दर्ज करायी है जिस पर समय-समय पर सरकारों द्वारा सहमति प्रदान की गयी है। वर्ष 2011 में जब शिक्षा का अधिकार अधिनियम उ०प्र० में लागू किया गया तब माननीया सुश्री मायावती जी के मुख्यमंत्रित्व वाली सरकार थी। संघ के प्रतिनिधि मण्डल ने तत्कालीन सचिव बेसिक शिक्षा उ०प्र० शासन से वार्ता की एवं अवगत कराया कि कोई भी विद्यालय प्रधानाध्यापक की अनुपस्थिति में संचालन किया जाना सम्भव नही है, क्योंकि कोई भी सहायक अध्यापक प्रधानाध्यापक पद के अतिरिक्त उत्तरदायित्व का प्रभार स्वीकार नही करेगा। तत्कालीन सचिव उ०प्र० शासन ने संघ के उपरोक्त अनुरोध को स्वीकार किया तथा प्रदेश में किसी भी प्रधानाध्यापक का समायोजन नही किया गया । वर्ष 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश में माननीय श्री अखिलेश यादव जी के नेतृत्व वाली सरकार थी। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रतिनिधि मण्डल ने तत्कालीन माननीय बेसिक शिक्षा मंत्री श्री रामगोविन्द चौधरी जी से प्रत्येक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर तैनाती की माँग की। माननीय श्री रामगोविन्द चौधरी जी ने संघ के अनुरोध से सहमत होते हुये व स्वीकार किया कि कोई भी विद्यालय प्रधानाध्यापक की तैनाती के बिना सुचारू रूप से संचालित नही हो सकता। वर्तमान समय में आवश्यकता वाले विद्यालयों की संख्या सरप्लस शिक्षकों की संख्या के सापेक्ष प्रकाशित की जा रही है जबकि जनपद में आवश्यकता वाले विद्यालयों की संख्या अधिक है। संघ की मांग है कि जनपद में आवश्यकता वाले समस्त विद्यालयों की सूची प्रकाशित किया जाये एवं शिक्षकों से प्राप्त आपत्तियों के निस्तारण के उपरांत ही समायोजन प्रक्रिया लागू किया जाये। ऐसा न किये जाने से शिक्षकों में काफी आक्रोश है