‘तेरे आने से तेरी याद आती है, तेरे जाने से तेरी याद जाती है’।
मुख्य अतिथि डॉ चन्द्रभान सुकुमार- पूर्व जिला जज एवं अन्तर्राष्टीªय गजलकार।
हास्य कवयित्री डॉ. पूर्णिमा भारती के पुण्य तिथि पर आयोजित हुआ कवि सम्मेलन।
रोहित सेठ
वाराणसी महानगर के लंका स्थित होटल किंग्स-बनारस में साहित्यिक संस्था रसवर्ष के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं अन्तर्राष्ट्रीय हास्य कवि डॉ. चकाचैथ ज्ञानपुरी के अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश पत्रकार परिषद राष्ट्रीय राजेश मिश्रा एवं नवनिर्माण सेवा ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष नूतन सिंह के प्रमुख संयोजन में ख्यातिलब्ध हास्य कवयित्री-डॉ. पूर्णिमा भारती के तृतीय पुण्यतिथि के अवसर पर ‘‘ अखिल भारतीय- कवि सम्मेलन एवं श्रद्धांजलि सभा सपन्न हुआ।
कवि इन्द्रजीत निर्भीक के संचालन एवं द ट्रू मिरर के संपादक, कालीशंकर उपाध्याय के स्वागत संयोजन में डॉ. पूर्णिमा भारती को श्रद्धाजलि अर्पित करने के उपरान्त अन्तर्राष्ट्रीय गजलकार एवं पूर्व जिला जज-प्रयागराज ने कहा कि ‘‘तेरे आने सेे तेरी याद आती है, तेरे जाने से तेरी याद जाती है, विशिष्ट अतिथि त्रय-शायर सलीम शिवालती नें ‘‘ऐसी करवट जमाने ने ली, ऐब अब हुनर हो गए, डॉ पूनम श्रीवास्तव ने कजरी, सावन मास सुहावन, देहियाँ साले रेे-सुन्दरी, संवरिया चिरता जियरा मे हमारे, देहिया साले ऐ हरि, शायर अमर आजमी ने डॉ0 पुर्णिम भारती हास्य रस की सरताज थी, हर दिल को हँसाती जिन्दादिली आवाज थी, शायरा डॉ. नसीमा निशाने-जाने की अब-आस किसे है, जीते जी मार गए तुम, इन्द्रजीत निर्भिक ने-डॉ0 पूर्णिमा भारती सचमुच महान थी, रहती थी धरा पर लेकिन उनकी सोच आसमान थी, रीतू दिक्षित ने कहा चल सखी खेले कजरिया ना, जाने कब अईहे सावरियां ना, संगीता श्रीवास्तव नेे- हास्य रस की अनुपम अनोखी सम सामयिक-डॉ० पूर्णिमा भारती, धारथी, डॉ० सुबाषचन्द्र डॉ. उदय शंकर भगत, राज बनारसी, कुमार लक्ष्मीकान्त, सन्नी बघेल पुल्लू, अनुपम भट्टाचार्य, लक्ष्मी भट्टाचार्य, सरफराज खान, धर्मराज ठाकुर ने काव्य रस से सराबोर कर दिया। अध्यक्षता करते हुए अन्तर्राष्ट्रीय कवि डॉ. चकाचैंध ज्ञानपुरी- ने कहा कि भीगीं पलके लुप्त हो चुकी अब उनकी आवाज हास्य रस की माहिर थी डाॅ0 पूर्णिमा भारती साहित्य जगत की थी सरताज।
लुप्त है, शरीर बुलंद है। आज भी उनकी आवाज उनकी धुन की माहिर डाॅ0 पुर्णिमा भारती की महान है। धन्यवाद आभार-राजेश मिश्रा ने किया।