नहीं चेता प्रशासन तो जल्द ही दो सौ परिवार होंगे बेघर

रिपोट चंद्र हास वर्मा (लखीमपुर)*

जिला लखीमपुर खीरी की उत्तर सीमा पर घाघरा नदी के विनाश की लीला थमने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ बाढ़ महकमा माथुरपुर गांव की आबादी को बचाने के लिए कटान रोधक काम में दिन रात व्यस्त है। वहीं दूसरी तरफ घाघरा नदी करीब पांच सौ हेक्टेयर भूमि में लगी फसलों को तेजी के साथ निगलते हुए ग्राम पंचायत सुजानपुर के मजरा देवी पुरवा पहुंच गई है। यहां नदी और गांव की दूरी करीब पांच सौ मीटर शेष बची है। जिससे यहां के ग्रामीणों में बेचैनी बढ़ गई है।
घाघरा नदी दक्षिण दिशा में जिस तरह तेजी के साथ कटान करते हुए बढ़ रही है। और शासन प्रशासन के साथ-साथ बाढ़ महकमे के जिम्मेदार तमासबीन बने हुए हैं। ऐसी स्थिति में गांव देवी पुरवा, नौवापुर सानी, सुजानपुर, माथुरपुर, सहजदिया, लालापुर, मोटे बाबा, रामनगर बगहा, परौरी, अग्घरा तथा गुलरिहा आदि दर्जन भर से अधिक गांवों के ग्रामीण भूमि हो रहे हैं। देवी पुरवा निवासी कौशल राज, बीरबल, रामू भार्गव, लालता प्रसाद लल्लन महतिया, विदेश कुमार तथा रमेश कुमार आदि दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि घाघरा नदी पिछले एक माह के अंदर करीब पांच सौ हेक्टेयर भूमि को निगलकर आबादी के करीब आ गई है। यदि समय रहते कटान रोधक काम शुरू नहीं कराया गया तो जल्द ही गांव की आबादी घाघरा नदी की कोख में समा जाएगी और करीब दो सौ परिवार बेघर हो जाएंगे। उधर माथुरपुर में बाढ़ खंड के द्वारा युद्ध स्तर पर कराए जा रहे कटान रोधक काम के चलते घाघरा की लहरें थम गई हैं। यहां पिछले एक हफ्ते से कटान न होने से पलायन की तैयारी कर चुके ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।
देवी पुरवा के सामने अपने मूल स्थान से कटान कर घाघरा नदी करीब पांच सौ मीटर पीछे हो गई है। हलांकि गांव अभी कटान के जद में नहीं है। विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। माथुरपुर की तरह देवी पुरवा को बचाने के लिए पूरा प्रयास किया जाएगा।

अजय कुमार अधिशासी अभियंता बाढ़ खंड शारदानगर

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