काशी की पांडित्य परम्परा के संरक्षण हेतु शास्त्रार्थ सभा का आयोजन।

रोहित सेठ

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्रार्थ परम्परा का पुनरुज्जीवन : विद्या और तर्क की प्राचीन धारा फिर से प्रवाहित–कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा।

छात्रों को प्रशिक्षित एवं विद्या निपुण बनाने के शास्त्रार्थ का आयोजन- वेदांत शिरोमणि प्रो रामकिशोर त्रिपाठी।

भारत की सांस्कृतिक ,शैक्षणिक तथा वैदिक विद्याओं की धरोहर का प्रतीक, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, एक बार फिर अपनी प्राचीन शास्त्रार्थ परम्परा को व्यवस्थित रूप से पुनः प्रारम्भ करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। यह परम्परा भारतीय ज्ञान-विज्ञान की अमूल्य धरोहर है, जिसमें तर्क, विमर्श, और शास्त्रों पर आधारित विचारों का आदान-प्रदान होता है। विश्वविद्यालय का यह प्रयास न केवल संस्कृत भाषा और शास्त्रों के अध्ययन को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि आधुनिक युग में तर्कसंगत तरीके से वैदिक ज्ञान के महत्व को भी स्थापित करेगा।
उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने आज
अपरान्ह 1:00 बजे यज्ञशाला में आयोजित शास्त्रार्थ सभा में अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किया।

शास्त्रार्थ की परम्परा और महत्व
कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि शास्त्रार्थ भारतीय ज्ञान-परम्परा का वह अनूठा माध्यम है, जिसमें विद्वानों द्वारा तर्कपूर्ण रीति से विभिन्न दार्शनिक, धार्मिक, और वैदिक विषयों पर गहन चर्चा , विमर्श और वाद-विवाद के अनन्तर सम्वाद स्थापित कर वैदिक विद्याओं के गूढ रहस्यों को आत्मसात किया जाता है।
पुनः आरम्भ की जा रही प्रक्रिया।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने शास्त्रार्थ परंपरा को पुनः जीवित करने के लिए विभिन्न चरणों में योजना तैयार की है। इसके अंतर्गत, विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए नियमित शास्त्रार्थ प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। साथ ही, विशिष्ट विद्वानों को आमंत्रित कर विशेष सत्रों और संगोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देश-विदेश के संस्कृत विद्वान और विशेषज्ञ भाग लेंगे।

शास्त्रार्थ सभा में संयोजक वेदांत शिरोमणि प्रो रामकिशोर त्रिपाठी ने बताया कि इस संस्था के द्वारा शास्त्रार्थ अक्षुण्ण रूप से चलती रही है,।इसी तरह तर्क शास्त्र में गंभीर चिंतन पर छात्रों ने विषय पर विमर्श किया

उस दौरान डॉ दिव्य चेतन ब्रह्मचारी, डॉ मधुसूदन मिश्र, डॉ कुंजबिहारी द्विवेदी एवं विद्यार्थियो में शालिनी पाण्डेय, साक्षी पाण्डेय, अवधेश शुक्ल, विनीत ठाकुर एवं विशाल शर्मा ने आदि सहभाग किया।

आचार्यों के द्वारा माँ सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।

प्रो महेंद्र पाण्डेय, डॉ विजय कुमार शर्मा,डॉसत्येंद्रकुमार, डॉ ज्ञानेन्द्र साँपकोटा,डॉ अखिलेश कुमार आदि उपस्थित थे।

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