तिरुपति देवस्थानम के प्रसाद में मासाहार की मिलावट जेहाद का हिस्सा – डॉ गीता रानी

रोहित सेठ

अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र कुमार द्विवेदी ने आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध मंदिर तिरुपति देवस्थानम के प्रसाद के मछली का तेल और अन्य जानवरों की चर्बी की मिलावट को जेहाद का हिस्सा बताया। उन्होंने दोषियों की पहचान कर उन्हें फांसी की सजा देने की मांग की है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र कुमार द्विवेदी ने कहा कि तिरुपति देवस्थानम प्रसादम प्रकरण के उजागर होने से करोड़ों हिंदुओं की न केवल धार्मिक आस्था आहत हुई है, वरन मासाहारी प्रसाद ग्रहण करने से उनका धर्म भी खंडित हुआ है। यह प्रकरण जेहाद से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत से मुक्त होने के बाद खंडित भारत में इस्लामिक और ईसाई मिशनरियां हिन्दू संस्कृति को समाप्त करने के लिए सक्रिय रही हैं। दोनो मिशनरियों का उद्देश्य हिन्दू संस्कृति को समाप्त कर भारत को अपनी अपनी जनसंख्या के आधार पर मुस्लिम राष्ट्र और ईसाई राष्ट्र के रूप में बांटना रहा है। हिन्दू महासभा आरंभ से ही ईसाई और मुस्लिम मिशनरियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करती रही है, लेकिन वोट बैंक के नाम पर सत्ता के लोभी राजनीतिक दल हिन्दू महासभा की मांग को अनदेखा करते रहे।
हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बी एन तिवारी ने आज जारी बयान में यह जानकारी देते हुए कहा कि भारत के देवस्थलों की प्रबंध समितियों में गैर हिंदुओं को शामिल करने की परंपरा को समाप्त करना ही ऐसी घटनाओं की पुनरावृति को रोकने का एकमात्र उपाय है। उन्होंने कहा कि भारत को ईसाई अथवा इस्लामिक राष्ट्र बनाने वालों का स्वप्न हिन्दू महासभा कभी पूरा नहीं होने देगी। हिन्दू महासभा भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करवाएगी।
जारी बयान के अनुसार हिन्दू महिला सभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर गीता रानी ने दोषियों को फांसी की सजा की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि दोषी किसी भी जाति, पंथ, संप्रदाय, धर्म या राजनीतिक दल से क्यों न हों, उन्हे फांसी पर लटकाकर हिन्दू विरोधी ताकतों और मिशनरियों को कड़ा संदेश देना वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रसाद में जानवरों की चर्बी और तेल मिलाने वालों को स्मरण रखना चाहिए था कि 1857 में कारतूस में गाय की चर्बी मिलाने के कारण ही मंगल पांडे के नेतृत्व में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आरंभ हुआ था, जिसकी बदौलत 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश हुकूमत का अंत हुआ। उन्होंने हिन्दू समाज से 1857 की क्रांति का स्मरण करते हुए भारत में मिशनरियों और जेहाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए हिन्दू महासभा के धर्मयुद्ध को सशक्त बनाने और ग्राम तथा मोहल्ला स्तर पर धर्मयुद्ध आरंभ करने का आह्वान किया।

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