महंगाई को दृष्टिगत रखते हुए किसान सम्मान निधि की राशि बढ़ाई जाए और किसान क्रेडिट कार्ड व सहकारी समितियों से लिया गया कर्ज माफ किया जाए!साथ ही गन्ना मूल्य ₹450 प्रति कुंतल किया जाए, फसल उत्पाद को न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खरीदने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए! अगर सरकार ऐसा करती है तो वाकई किसानों की हमदर्द हैं और उनकी आय दूनी करके जीवन स्तर सुधारना चाहती है!… किसान जब कुछ खरीदने जाता है तो उसे अधिकतम बिक्री मूल्य पर वस्तुएं मिलती हैं और उसके उत्पाद को न्यूनतम बिक्री मूल्य से भी कम कीमत पर खरीदा जाता! यही कारण है किसान दोहरी मार झेलता है!… सरकारी नौकरों के सामने किसान को फरियादी नहीं सम्मान की दृष्टि से देखा जाए, दफ्तरों में बिना रिश्वत के ससम्मान काम हो! थाना, ब्लाक, तहसील, अस्पताल, बैंक कहीं कोई गरीब किसान की सुनने वाला नहीं है हर जगह रिश्वत और सिफारिश वालों को सम्मान मिलता है और काम भी हो जाता है, बेचारे किसान को घृणा की नजर से देखा जाता है और उसका काम भी नहीं होता, किसान के वोटों से जो मलाई खाते हैं बेचारा किसान उनके दरवाजे पर भी हाथ जोड़े खड़ा है, नौकरशाही और नेताशाही दोनों खुद को सेवक न समझ कर शासक समझते हैं और आम किसान को अपनी प्रजा और उससे वैसा ही व्यवहार करते हैं जैसा राजतंत्र में होता था इससे कोई नेता या सरकार अछूती नहीं है सभी ऐसा ही करते हैं हर सरकार में किसान का शोषण होता है जो आज विपक्ष में हैं सत्ता में थे तब भी किसानों का यही हाल था! यह विचारणीय है उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जाए और किसानों का शोषण बंद हो! किसान भाइयों को अब वोट देते समय भीड़, भौकाल और नेता की प्रॉपर्टी न देखकर उसकी कथनी करनी और विचारों को देखें अगर वह पहले से ईमानदार होगा तभी बाद में ईमानदारी से काम करेगा अन्यथा अपना पेट भर के जनता को बेवकूफ ही बनाएगा!.. (अगर कोई खुद को किसान कह कर ढोंग करे तो उसे बैल हल और माची दें, उससे कहें इनको मचिया कर खेत जोत कर दिखाओ अगर वह हल चला लेता है तो वाकई किसान है वरना ढोंगी है!)….यह तभी संभव है जब किसानों के बीच से सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन की सोच पाले कोई कर्मयोद्धा ईमानदारी की पगड़ी बांधकर निकलेगा और सत्ता पर काबिज होगा किसान भाई ऐसे व्यक्ति को पहचाने और आंख बंद करके उसका साथ दें!… अगर इन मुद्दों को कोई उठाता है तो वह किसानों का हमदर्द है वरना सब बहती गंगा में हाथ धोकर राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं जिससे किसान भाई भी होशियार हो जाएं, किसी के बहकावे में न आएं! तीनों कानून के अमल पर मा० सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है.. भरोसा रखें!— *मोबीन गाज़ी कस्तवी*