सेवा में,
महामहिम राष्ट्रपति महोदय भारत सरकार
प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली भारत सरकार
कृषि मंत्रालय नई दिल्ली भारत सरकार
राज्यपाल उत्तर प्रदेश सरकार
विषय: दिन पर दिन लगातार अराजकता का माहौल लखीमपुर जैसी घटना का नरसंहार देखते हुए कृषि से संबंधित तीनों कानून वापस अथवा संशोधन कराने के संबंध में।
महोदय,
कृषि कानून को लेकर जमीनी हकीकत की तहकीकात करने से जानकारी सामने निकल कर आ रही है कि किसान पिछले लगभग 1 वर्ष से अपने कारोबार व कृषि के धंधे को ठप करके जो कानून सरकार समझाने में किसानों को असमर्थ है वापसी की मांग को लेकर रोड पर धरना प्रदर्शन आंदोलन कर रहे हैं जिसको लेकर अनेक प्रकार की घटनाएं दिन पर दिन घटित होती जा रही हैं आपस में पार्टियों के किसान प्रकोष्ठओं के बीच अराजकतावाद व तनाव का माहौल बनता जा रहा है हाल ही में उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी में घटित हुई घटना शासन प्रशासन प्रणाली व सरकार की मानसिकता व कृषि के तीनों काले कानूनों पर एक बड़ा प्रश्न मार्क खड़ा कर रही है कृषि कानून को लेकर विषय दिन पर दिन चिंतनीय बनता जा रहा है यदि आंदोलन को नहीं रोका गया या कानून को वापस नहीं लिया गया तो भविष्य में स्थिति और खराब होने की आशंका है कृषि कानून को लेकर वर्तमान बीजेपी सरकार की मानसिकता पर किसान लगातार प्रश्न खड़ा कर रहे हैं
कानून में एमएसपी फसल उत्पादन के न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर सरकार स्पष्टीकरण देने में असमर्थ साबित हो रही है कृषि कानून के पारित होने पर अनेक प्रकार के राजनीतिक दलों ने सदन से वाकआउट कर दिया था ऐसे में सरकार के द्वारा कोरोना महाकाल में कोरॉना जैसी स्थिति का गलत फायदा उठाया गया और कानून ध्वनिमत से पारित कराया गया जबकि कृषि कानून को राज्य स्तर की सूची में रखा गया है साथ ही साथ समवर्ती सूची में भी ऐसे में यदि किसानों के कृषि कानून में हस्तक्षेप करना था तो किसानों का समर्थन लेना अति आवश्यक समझा जाना था
अतः कृषि कानून को लेकर अनेक प्रकार के प्रश्न सुझाए जा सकते हैं जिसका उत्तर सरकार और न्यायालय देने में असमर्थ दिखाई दे रही है।
अतः बहुआयामी राजनीतिक पार्टी के माध्यम से जो कानून सरकार किसानों को समझाने में असमर्थ रही है कि वापसी की मांग करती है। ताकि समस्त भारतवासियों के कारोबार पर कृषि कानून को लेकर प्रभाव ना पड़े और अपने कार्यों पर सुचारू होकर कार्य कर सकें।
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