संवाददाता अनुपम कुमार की रिपोर्ट

रामनगर बाराबंकी ।पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण से लागू हुआ तो 77 हजार से ज्यादा कर्मचारी नौकरी से हाथ धो बैठेंगे और डेढ़ करोड़ उपभोक्ताओं की बिजली महंगी हो सकती है।यह बात उ0प्र 0बिजली कर्मचारी संघ के संरक्षक रणधीर सिंह सुमन ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजी करण से लाखों कर्मचारी बेरोजगार हो जाएगे।पूर्वांचल डिस्कॉम में कर्मचारियों के कुल 44,330 पद हैं. इनमें 27000 संविदा कर्मी हैं और 17330 नियमित कर्मचारी हैं. अगर निजीकरण हुआ, तो 27000 संविदा कर्मी बेरोजगार हो जाएंगे. बड़े पैमाने पर लोगों तो रिवर्ट किया जाएगा और छंटनी भी होगी.दक्षिणांचल डिस्कॉम में कर्मचारियों के कुल 33,161 पद हैं. इनमें 23,000 संविदा कर्मी हैं और 10,161 नियमित कर्मचारी हैं. दक्षिणांचल का निजीकरण होने के बाद भी यह पद अपने आप खत्म हो जाएंगे. 23000 संविदा कर्मी यहां भी बेरोजगार होंगे. दक्षिणांचल में 8582 कर्मचारी हैं. यह कर्मचारी दक्षिणांचल डिस्कॉम के कर्मचारी हैं, इसलिए पावर कॉरपोरेशन में किसी नियम के तहत इनका प्रत्यार्पण नहीं हो सकता है. इनकी सेवाएं भी निजी कंपनियों के रहमो करम पर रहेंगी।यह किस तरह की मजहबी सरकार है जो लोगों के रोजगार छीन कर बेरोजगार कर रही है लौगो को भूख से तडप – तडप मरने लिए मजबूर कर रही है। दक्षिणांचल में कॉमन कैडर के अभियंताओं और अवर अभियंताओं की कुल संख्या 1579 है, चूंकि यह कॉमन कैडर के हैं, इसलिए इन्हें रिवर्ट किया जाएगा. इनकी नौकरी खत्म हो जाएगी.महंगी हो जाएगी बिजली:उत्तर प्रदेश में अभी तक 0 से 100 यूनिट तक 3.35 रुपए प्रति यूनिट की दर से वसूल किया जाता है, जबकि मुंबई में टाटा की दरें एक अप्रैल 2024 से 5.33 रुपए प्रति यूनिट हैं. उत्तर प्रदेश में 101 से 150 यूनिट तक 3.85 रुपए तो मुंबई में 8.51 प्रति यूनिट है. उत्तर प्रदेश में 151 से 300 यूनिट तक 5 रुपये प्रति यूनिट तो मुंबई में 8.51 रुपये पैसे प्रति यूनिट है. उत्तर प्रदेश में 301 से 500 यूनिट तक के लिए 5.50 रुपये प्रति यूनिट है, तो मुंबई में टाटा की दरें 14.77 रुपये प्रति यूनिट हैं. उत्तर प्रदेश में 501 यूनिट से ऊपर 7.50 रुपये हैं जबकि मुंबई में 15.71 रुपये प्रति यूनिट हैं।नहीं मिलेंगी ये सुविधाएं: कर्मचारियों को वर्तमान में रियायती दर की बिजली की सुविधा मिल रही है, वो 42 जनपदों में खत्म हो जाएगी. निजीकरण होने के बाद जिन कर्मचारियों की छंटनी हो जाएगी या जिन कर्मचारियों को निजी कंपनी रख भी लेगी, तो ऐसे कर्मचारियों को मेडिकल रीइंबर्समेंट की सुविधा नहीं मृतक आश्रित को सेवा में लेना भी खत्म हो जाएगा. निजी क्षेत्र में पूरे देश में ऐसा प्रावधान कहीं नहीं है. सबसे अधिक जोखिम भरे बिजली विभाग में मृत्यु होने पर कर्मचारियों के परिवार को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाएगा. सीपीएफ में जमा धनराशि निजी क्षेत्र में जाने के बाद उन्हें मिलेगी या नहीं यह भी कोई नहीं जानता।
बिजली कर्मचारी संघ अन्य संगठनों के साथ मिलकर एक बडा आंदोलन करने जा रही है। जिससे निजीकरण का कार्य रुकेगा और सत्तारूढ़ दल के दलाल बेनकाब होगें। इस अवसर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद सदस्य परवीन कुमार जिला सचिव बृजमोहन वर्मा कोषाध्यक्ष शिवदर्शन वर्मा किसान सभा के जिला अध्यक्ष विनय कुमार सिंह व बिजली कर्मचारी नेता मौजूद थे।

By admin_kamish

बहुआयामी राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष

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