रिपोर्ट: राहुल राव
धैर्य की जीत…
सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में थीं, लेकिन उनका मन धरती पर था। तकनीकी खराबी के कारण उनकी वापसी में देरी हो गई। 9 महीने अकेले रहना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। हर दिन उन्होंने खुद को मजबूत बनाए रखा, रिसर्च जारी रखी और इंतजार किया।
हर सुबह उनका नया जन्म होता था क्योंकि हर रात उनके लिए एक मौत के समान थी। सुबह का इंतजार होता था। जीवन असंभव सा दिखने लगा था लेकिन साहस, धैर्य, हिम्मत और अनुभव उनके काम आया। सुबह शाम दिन में ईश्वर के प्रति अगाध श्रद्धा, स्तुति, प्रेम और साधना के बल पर अडिग रही।

धरती पर लोग उनकी बहादुरी की कहानियां और किसी सुन और सुना रहे थे। परिवार ही दुनिया भर में उनके प्रशंसक दिन प्रतिदिन आसमान में शून्य की ओर ताकते और सोचते जहां पर होगी सुनीता अंततः वह दिन आया, जब उनके साथी उन्हें लेने पहुंचे। उन्होंने धैर्य, साहस और आत्मविश्वास से दुनिया को सिखाया कि कठिनाइयों के आगे झुकना नहीं चाहिए—अगर मन में दृढ़ निश्चय हो, तो कुछ भी असंभव नहीं…..