उत्तर प्रदेश मे बेरोजगारी चरम पर,42 लाख नौकरी खोजने वालों के सापेक्ष मात्र 27100 नौकरियां उपलब्ध
उत्तर प्रदेश मे ज्यादातर परियोजनाएं लंबित,पिछले तीन वर्ष मे पूरे देश मे उत्तर प्रदेश मे सबसे ज्यादा सरकारी स्कूल बंद हुए
वर्तमान बजट मे अनुसूचित जाति व जनजाति के वर्ग के लोगों के लिए कुछ भी नहीं
महंगाई से जूझ रहे मध्यम वर्ग के लोगों के लिए भी कोई राहत नहीं
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समाजवादी पार्टी लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व समाजसेवी संस्था चला रहे ई०राहुल कुमार सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार के बजट 2022-23 को मात्र आंकड़ों वाला व बेहद निराशाजनक बताया है।श्री सिंह ने कहा कि सारे वादे मात्र आंकड़ों तक सिमट कर रह गये हैं जबकि जमीनी सच्चाई इससे कहीं अलग है।उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश मे बेरोजगारी की स्थिति पर सरकार की सेवायोजन वेबसाईट के वर्तमान आंकड़े ही सरकार की पोल खोल रहे हैं।वेबसाईट के अनुसार लगभग 42 लाख नौकरी खोजने वालों के सापेक्ष उत्तर प्रदेश मे मात्र 27100 नौकरियां उपलब्ध हैं जो कि बेहद कम है।यही हालात उत्तर प्रदेश मे जल जीवन मिशन का है।हर घर नल-हर घर जल,पहुंच रहा शुद्ध पेयजल का दावा करने वाली वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार का जल जीवन मिशन की प्रगति मे देश मे सबसे बुरा हाल है।अगर उत्तर प्रदेश मे जल जीवन मिशन के आंकड़ों की बात करें तो घरों मे नल कनेक्शन के मामले मे पूरे देश मे उत्तर प्रदेश का आखिरी स्थान है।उत्तर प्रदेश के मात्र 13.46% घरों मे नल कनेक्शन हैं जो कि पूरे भारत के औसत 48.51% से भी काफी कम है।
विकास का दावा करने वाली वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार की सभी विभागों की विभिन्न परियोजनाएं भारी मात्रा मे लंबित अवस्था मे चल रही हैं।अगर मुख्यमंत्री अनुश्रवण प्रणाली पर मौजूद विभिन्न विभागों के आंकड़ों पर नजर डाली जाये तो उत्तर प्रदेश सरकार के कुल 56 विभागों मे कुल 13661 परियोजनाएं संचालित है जिसमे 8769 परियोजनाएं लंबित अवस्था मे चल रही हैं।इन आंकड़ों के मुताबिक अभी तक मात्र 4892 परियोजनाएं ही पूर्ण हो पायी हैं।पिछले पांच वर्षों से ज्यादा से डबल इंजन सरकार होने के बावजूद 64 प्रतिशत से ज्यादा परियोजनाओं का लंबित होना वर्तमान सरकार की क्रियाशीलता पर भयंकर प्रश्नचिन्ह लगाता है।इनमे से कई परियोजनाएं अपनी तय समयावधि से ऊपर तक के समय पर लंबित अवस्था मे हैं।तय समयावधि से ऊपर जाने पर परियोजनाओं के खर्च मे भी वृद्धि होना तय है जिसका मुख्य कारण वर्तमान सरकार की निष्क्रियता है।वर्तमान सरकार की नाकामियों के कारण परियोजनाओं पर खर्च वृद्धि के कारण जनता का पैसा फालतू मे बर्बाद किया जा रहा है और डबल इंजन की सरकार मात्र खोखले विकास के दावे करने मे व्यस्त है।
यूडीआईएसई (UDISE) की साल 2018-19 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 50 हजार से अधिक सरकारी स्कूल बंद हो गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार सरकारी स्कूलों की संख्या 2018-19 में 1,083,678 से गिरकर 2019-20 में 1,032,570 हो गई। यानी कि देशभर में 51,108 सरकारी स्कूल कम हुए हैं।
उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की संख्या में 26,074 स्कूलों की गिरावट देखी गई। साल 2018 में सितंबर में यहां स्कूलों की संख्या 163,142 थी जो सितंबर 2020 में घटकर 137,068 हो गई जो कि पूरे देश मे सबसे ज्यादा गिरावट है।
इससे यह साबित हो रहा है कि मात्र बजट मे घोषणाएं की जा रही हैं जबकि जमीनी तौर पर प्रदेश पूरी तरह पीछे होता जा रहा है।
श्री सिंह ने कहा कि इस बजट मे न तो अनुसूचित जाति,जनजाति और न ही आम मध्यम वर्ग के लिए कुछ राहत है।महंगाई से पूरा प्रदेश कराह रहा है परंतु उत्तर प्रदेश सरकार मात्र घोषणाएं करने मे व्यस्त है।
*वाराणसी से ब्यूरो चीफ प्रियंक पटेल*