..**सीडीओ बोले… एक की तो जान चली गई अब पांच को तो बचा लो**बिजली जाते ही मशीन से लेकर पंखे, एसी सब बंद, डीजल की एक बूंद न**एक साल पहले बीमार हुआ सरफराज सुबह दस बजे मां सलमा के साथ मेडिकल आया था**अंकुल प्रजापति*बिजनौर। मेडिकल अस्पताल के डायलिसिस विभाग में बिजली चले जाने पर सरफराज की डायलिसिस रुकी तो उसकी मां चिल्लाई जेनरेटर चला दो वरना मर जाएगा मेरा लाल।लेकिन जेनरेटर डीजल नहीं होने के कारण नहीं चल सका और सरफराज की मौत हो गई तो डायलिसिस विभाग में जांच कर रहे सीडीजी चिल्ला उठे एक की जान चली गई अब इन पांच मरीजों को तो बचा लो। कैन में एक बूंद भी डीजल न होने पर अपने ही बाबू को फोन करके बोले यहां 50 लीटर डीजल जल्द भेजो, पांच जिंदगियों का सवाल है।शुक्रवार दोपहर तीन बजे सीडीओ पूर्ण बोरा डायलिसिस विभाग का निरीक्षण कर रहे थे कि तभी महिला सलमा दौड़कर वहां आई। बिजली न होने पर डायलिसिस बीच में ही रुकने पर अपने बेटे की जान बचाने की गुहार लगाने लगी। सीडीओ मौके पर पहुंचे तो देखा कि बिजली के जाते ही सब कुछ ठप हो गया। मरीज गर्मी में बिलबिला रहे थे। उन्होंने जेनरेटर चलाने को कहा तो कर्मचारी बोले, डीजल ही नहीं है। मैनेजर डीजल के पैसे नहीं देते। वार्ड से बाहर आकर डीजल की कैन देखी तो उसमें एक बंद डीजल नहीं था। तब तक साढ़े तीन बज चुके थे। सलमा बेटे सरफराज की हालत बिगड़ने की बात कहकर रोने लगी।स्टाफ और चिकित्सक वार्ड की ओर दौड़े। तब तक सरफराज बेहोश हो चुका था। मॉनिटर पर उसकी धडकन रुकी नजर आई। उसका आधा ब्लड अभी मशीन में ही था, जो उसे चढ़ाया जाना था। वहां तैनात कर्मचारियों ने सीपीआर देना शुरू किया और चिकित्सक केवल हाथ लगाकर देखने के अलावा कुछ न कर सके। सीडीओ पूर्ण बोरा कर्मचारियों को निर्देश देते हुए युवक को बचाने की जद्‌दोजहद में जुट गए। स्टाफ सरफराज को उठाकर इमरजेंसी ले जाया गया, लेकिन वह तो दम तोड़ चुका था। सीडीओ बदहाल व्यवस्था को देख तिलमिला उठे। मौके पर देखा कि पांच और लोगों की डायलिसिस बिना बिजली के अटकी हुई थी। सीएमएस मेडिकल अस्पताल डॉ मनोज सेन का कहना है कि करीब दो वर्ष पूर्व व्यवस्था खराब होने पर मेरे द्वारा कंपनी का भुगतान रोका था। दो वर्ष से प्राचार्या ही भुगतान और यहां की सारी व्यवस्थाएं देख रही है। बाक्स घोर लापरवाही हो रही है, कोई सुनने वाला नहींडायलिसिस विभाग में मौजूद एक तीमारदार शादाब ने आरोप लगाया कि यहां कोई सुनने वाला नहीं है। बिजली जाती है और जेनरेटर चलता ही नहीं। इनके पास एक बूंद डीजल नहीं था। जब पूछा तो बोले, मैनेजर डीजल के पैसे नहीं देते ती कैसे आएगा। इस तपती गर्मी में मशीन तो बंद होती है, साथ में बंद वार्ड में बिना पंखा, एसी के मरीजों का दम तक घुटने लगता है।हर जगह मिली गंदगी, टूटे पाइप और टूटी सीलिंगसीडीओ पूर्ण बोरा ने पूरा डायलिसिस विभाग देखा। वहां बेड के पास गंदगी के ढेर लगे थे। डायलिसिस में इस्तेमाल होने वाले मेडिकल यंत्र बुरी हालत में रखे हुए थे। सीलिंग टूटी गई है और कूड़ा बिखरा पड़ा था। जहां मेडिकल मंत्रों को धोया जाता है, वह एरिया भी गंदा पड़ा हुआ था।बाक्स डायलिसिस का पूरा कार्य संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी देख रही है। संपूर्ण जिम्मेदारी कंपनी को ही है। यह सेंटर पीपी मोड पर चल रहा है। व्यवस्था सुधारने के लिए कई बार कंपनी को कहा जा चुका है। उर्मिला कार्या, प्राचायां, मेडिकल कॉलेजबाक्स डायलिसिस विभाग में गंदगी के साथ ही चिकित्सा यंत्र, दवाई और अन्य सामान बेहद गंदगी भरे माहौल में रखे थे। बिजली न होने पर मशीन से लेकर पंखे तक बंद थे। एक मरीज की मौत हमारे सामने ही हुई। यह बेहद गंभीर मामला है। इसमें कार्रवाई की जाएगी। – पूर्ण बोरा, सीडीओ, बिजनौरबाक्स न वैरीफिकेशन, न व्यवस्था की जांच सीधे हो रहा भुगतानबिजनौर। डायलिसिस को लेकर मेडिकल अस्पताल के प्राचार्या से लेकर सीएमएस तक सवालों के घेरे में हैं। कंपनी को लगातार भुगतान हो रहा है, लेकिन न व्यवस्था का वैरीफिकेशन हो रहा है और न ही कमियों को दूर कराया जा रहा है।। जांच हुई तो लापरवाही से ज्यादा इसमें भ्रष्टाचार सामने आ सकता है। सीडीओ पूर्ण बोरा ने सीएमएस मनोज सेन और प्राचार्या उर्मिला कार्या दोनों से कंपनी को काम देने पर सवाल किए। उनसे एमओयू मांगा तो पता चला किसी के पास उसका पत्र ही नहीं था। दोनों ओर से एक दूसरे के पास पत्र होने की बात कही गई। सीएमएस मनोज सेन ने बताया कि जब से प्राचार्या आई हैं, तब से उनके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। इस कंपनी के भुगतान में उनसे वेरीफिकेशन नहीं कराया जाता, जबकि एमओयू सीएमए‌स से ही हुआ था। उधर, प्राचार्या ने कंपनी की जिम्मेदारी होना बताया। साथ ही कहा कि मरीजों की संख्या के हिसाब से ही भुगतान नियमानुसार हुआ है।बाक्स बिना जांचे परखे कैसे हुआ नवीनीकरणसीडीओ पूर्ण बोरा ने अपने कार्यालय में कंपनी से संबंधित सभी फाइल मंगवा ली। फयलों में देखा गया तो पता चला कि पिछले ही साल कंपनी का काम का रिन्युअल किया गया। इसमें शासनादेश है कि सीएमएस से भी संस्तुति होगी, जबकि उस पत्र पर केवल प्राचार्या के ही हस्ताक्षर हैं।बाक्स इस तरह हुआ पूरा घटनाक्रम12 बजे सांसद प्रतिनिधि को किसी मरीज ने डायलिसिस में समस्या होने की जानकारी दी 1 01 बजे सांसद प्रतिनिधि विजय चौहान वहां पहुंचे और खराब व्यवस्था के फोटो लेकर सीडीओ से शिकायत की02 बजे : सीडीओ पूर्ण बोरा नेप्राचार्या डॉ. उर्मिला कार्यों औरसीएमएस डॉ. मनोज सेन, कंपनी के कर्मचारियों को ऑफिस बुलाया03 बजे : सीडीओ पूर्ण मेडिकलअस्पताल के डायलिसिस विभाग में निरीक्षण करने पहुंचे03.30 बजे डायलिसिस मशीनबंद होने के चलते मरीज सरफराज की मौत हो गई

By admin_kamish

बहुआयामी राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष

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