ब्याज पर ब्याज चढ़ता रहा, कर्ज में दबता रहा परिवार, जमीन बेची, बाइक भी गिरवी रखी, नहीं उतर सका कर्ज

पुलिस ने ब्याज पर रुपया देने वाले 12 साहूकारों को हिरासत में लिया

बिजनौर। ब्याज पर ब्याज चढ़ता रहा और पुखराज कर्ज में दबता चल गया। चार साल पहले बड़ी बेटी की शादी के लिए कर्ज लिया, इसके बाद उसे चुकाने के लिए नया कर्ज लेता रहा। अब गांव के साहूकारों और दो फाइनेंस कंपनियों का उस पर कर्ज है। पुखराज, उसकी पत्नी और बेटा तीनों कर्ज में डूबे थे। बेटे ने भी एक साहूकार के यहां अपनी बाइक को गिरवी रखकर 25 हजार का कर्ज लिया था।

नूरपुर के गांव टंडेरा के रहने वाले पुखराज ने अपनी पत्नी और दो बेटियों के संग जहर निगल लिया। फिलहाल पुखराज जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है, जबकि उसकी पत्नी और दोनों बेटियां दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं।

पुखराज बेहद ही मुफलिसी में गुजर बसर रहा था। उसके हिस्से में दो बीघा पुश्तैनी जमीन आई थी, जिसे उसने सालों पहले बेच दिया था। अब गांव के बाहर घर के नाम पर उसकी झोंपड़ी है। तिरपाल से बनी झोपड़ी और अंदर का नजारा उसकी गरीबी की दास्तां बयां कर रही है। पुखराज थोड़ा-बुग्गी चलाकर मजदूरी करता था, उसका बेटा सचिन भी मजदूरी करता है। जितनी मजदूरी मिलती थी, उसमें परिवार चलाना और चार लोगों की दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी एक मुसीबत है। ऐसे में कर्ज की दलदल से वह निकल ही नहीं पाया। दस दिनों से अदा नहीं कर पाया।


कर्ज की किस्त पुखराज की पत्नी ने चांदपुर में स्थित स्वाभिमान एजेंसी (फाइनेंस कंपनी) से पचास हजार रुपये का कर्ज लिया था। मय ब्याज के 24 मासिक किस्तों में यह रकम जमा करनी थी। अब तक 16 किस्त जमा हो चुकी थी। इस महीने की 15 तारीख को 17वीं किस्त जमा होनी थी। मगर वह जमा नहीं कर पाया। रिकवरी एजेंट से उसने 25 तारीख तक हर साल में किस्त जमा करने का वादा भी किया था। अब 25 तारीख भी बीत गई। ऐसे में रिकवरी एजेंट वसूली के लिए आता। किस्त जमा करने को लेकर ही दो दिनों से पुखराज और उसके बेटे में झगड़ा चल रहा था। बताया गया कि बेटा सचिन भी मजदूरी करता है, जोकि घर कोई पैसा नहीं दे रहा था।

क्या कहा कप्तान ने

बृहस्पतिवार की सुबह भी बाप बेटे में झगड़ा भी हुआ।
जहरीला पदार्थ निगलने की बजह से महिला और उसकी दो बेटियों की मौत हुई है। इस परिवार पर करीब छह लाख रुपये का कर्ज था। मामले की जांच की जा रही है। कर्ज देने वाले कुछ लोगों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। जांच कर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।-अभिषेक झा, एसपी, बिजनौर
आर्थिक तंगी में अपने भी हो गए दूर ।पुखराज सिंह तीन भाई है लेकिन सभी अलग-अलग रहते हैं। बड़े भाई कैलाश, छोटे भाई परवीन सिंह के परिवार अलग हैं। काफी समय से आपस में तीनों भाइयों में बोलचाल बंद है। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले दो दिन से पुखराज व उसके बेटे सचिन में गाली गलौज हो रही थी। बताया गया कि कर्ज को लेकर ही दोनों में विवाद हो रहा था। अब पुखराज की गरीबी को देखते हुए कोई उसकी मदद को भी आगे नहीं आता था।

कई जगहों से ले रखा था कर्ज

पुखराज और उसके परिवार पर एक जगह नहीं बल्कि कई जगहों का कर्ज था। गांव के साहूकारों से भी कर्ज ले रखा था। इसके साथ साथ राजा का ताजपुर स्थित बालाजी फाइनेंस कंपनी का भी कर्ज बताया जा रहा है, जोकि गांव-गांव महिलाओं का समूह बनाकर कर्ज देती है।

बेटा लेकर आया जहर पिता ने पत्नी और बेटियों संग निगाला

बताया जा रहा है कि जहरीला पदार्थ सचिन लेकर आया था, जोकि कर्ज को लेकर हो रहे झगड़े के बीच खुद निगलने की धमकी दे रहा था। उक्त जहरीला पदार्थ पुखराज ने छीन लिया। इसके बाद सचिन मजदूरी करने कहीं चला गया, उसके लौटने से पहले ही पुखराज, उसकी पत्नी और दो बेटियों ने जहार निगल लिया।


मनमाने ब्याज दर पर दे रहे कर्ज

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के समांतार बनाकर कर्ज दे रहीं कंपनियां।

बिजनौर। यूं तो सरकार की ओर से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को समूह बनाकर रोजगार के लिए कर्ज दिया जाता है। मगर इससे इतर फाइनेंस कंपनियों ने भी समूह बनाकर कर्ज देने का फंडा अपना लिया है। कई बार ग्रामीण महिलाओं को यह पता ही नहीं होता कि समूह बनाने वाली संस्था सरकारी है या प्राइवेट फाइनेंस कंपनी। इन कंपनियों के रिकवरी एजेंट तय तारीख तक किस्त लेने महिलाओं के घर पहुंचते हैं।

गांव टंडेरा के पुखराज ने परिवार समेत जहर निकल लिया तो अफसरों ने पूरे मामले की पड़ताल की। पड़ताल में सामने आया कि पुखराज की पत्नी को स्वाभिमान एजेंसी के माध्यम से कर्ज दिया गया था। उक्त फाइनेंस कंपनी ने पुखराज की पत्नी समेत अन्य छह महिलाओं को समूह बनाकर कुल साढ़े तीन लाख का कर्ज दिया। जोकि मासिक किस्तों में अदा होना है।

महिलाओं का समूह बनाकर कर्ज देने का यह अकेला मामला नहीं है। बल्कि जिले के प्रत्येक गांव में गरीब महिलाओं को इस तरह से कर्जदार बनाया जा रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि महिलाओं को कर्ज देने में प्राथमिकता इसलिए भी अपनाई जा रही है, क्योंकि उनसे वसूली आसान होती है। अगर रिकवरी एजेंट घर पहुंचेगा तो महिला घर पर जरूर मिलेगी और किस्त की अदायगी करनी होगी, या नहीं करने पर कुछ ना कुछ आश्वासन जरूर देना पड़ेगा।

मजदूर ही नहीं किसानों को भी फंसा रही फाइनेंस कंपनियां एक ओर फाइनेंस कंपनियों की ओर से गरीब महिलाओं को कर्ज दिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर बड़ी फाइनेंस कंपनियां और साहूकार किसानों को भी फंसा रहे हैं। बैंक से कर्ज नहीं मिलने की स्थिति में किसान साहूकार या फाइनेंस कंपनी के पास पहुंचता है तो उसकी जमीन का बैनामा कराकर कर्ज बांटा जा रहा है। कई मामलों में मूल रकम से चार से पांच गुष्णा तक रकम वसूली जा रही है। फाइनेंस कंपनियां जमीन का बैनामा वापसी करने में भी आनकानी करती हैं या किसी को और बेच देती हैं।


रिकवरी एजेंट की दस्तक दे रही टेंशन

लोगों का कहना है कि गरीब परिवारों की महिलाओं के नाम पर फाइनेंस कंपनियों से आसानी से कर्ज मिल जाता है। अब कर्ज लेकर पूरा परिवार उक्त रकम को खर्च करता है या किसी काम में लगा लेता है। लेकिन अदायगी के लिए जिम्मेदार महिला ही होती है। लोगों का कहना है कि रिकवरी एजेंट की दस्तक से ही उस स्थिति में महिलाएं घबराने लगती हैं, जब उनके पास किस्त का पैसा नहीं होता।

रिकवरी एजेंट बने हैं दूसरे जिलों के युवक

महिलाओं को कर्ज देने वाली फाइनेंस कंपनियों में रिकवरी एजेंट के रुप में दूसरे जिलों के दबंग युवक काम कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है किस्त अदायगी में देरी होने पर उक्त एजेंट महिलाओं के छोटे मोटे आभूषण भी उतरवा ले जाते हैं।

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