हरदोई……….कोविड के कारण दो सालों से बंद निशुल्क मृदा परीक्षण फिर से शुरू करने की तैयारी है। गांव-गांव जाकर कृषि विभाग के कर्मचारी खेतों की मिट्टी की सेहत जांचने के लिए नमूना एकत्र करेंगे। इसके बाद जिला मुख्यालय स्थित लैब में नमूनों की जांच की जाएगी।पूर्व में अभियान के दौरान जिले की मिट्टी बीमार मिली थी, जिसको लेकर विभाग की ओर से किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया गया था। अब एक बार फिर पता लगाया जाएगा कि मिट्टी की सेहत कैसी है।
दो वर्ष पूर्व जिले के विभिन्न क्षेत्रों से एकत्र किए गए 13,797 नमूनों की जांच की गई थी। इसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। जिले की कृषि भूमि में कार्बन एवं नाइट्रोजन का अनुपात बिगड़ा मिला था। कहीं कार्बन ज्यादा तो कहीं नाइट्रोजन कम थी। इन दोनों का सही अनुपात में रहना जरूरी होता है। इनका अनुपात बिगड़ने पर भूमि की उवर्रक शक्ति प्रभावित होने के साथ ही उत्पादकता पर असर पड़ता है।
डीडी कृषि डॉ. नंद किशोर ने बताया कि रासायनिक उर्वरकों का ज्यादा प्रयोग करने से उत्पादन तो बढ़ जाता है, लेकिन खेतों की मिट्टी की सेहत खराब होने लगती है। इससे उत्पादन गिरने लगता है। उत्पादन बढ़ाने के लिए रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग बढ़ाना उचित नहीं है। किसानों को जैविक खादों एवं हरी खाद का प्रयोग करना चाहिए। गोबर और घूरे से बनने वाली खाद का भी प्रयोग करना चाहिए।
यहां सेहत खराब मिली थी
संडीला, कछौना तथा बेंहदर, माधौगंज, मल्लावां तथा टड़ियावां, शाहाबाद, टोडरपुर ब्लाक क्षेत्रों के कुछ हिस्सों की कृषि भूमि की सेहत खराब पाई गई थी ।
खेतों की मिट्टी की निशुल्क जांच के लिए विभाग की ओर से कार्ययोजना बनाई जा रही है। जल्द ही नमूने एकत्र करने का कार्य शुरू होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट पुनीत शुक्ला