अगर बात करें खीरी जिले के कस्ता विधानसभा सीट की तो यह सन 2008 के परिसीमन में पहली बार अस्तित्व में आई जिसकी विधानसभा संख्या सीट नंबर 143 एलॉट की गई
कस्ता विधानसभा सीट आरक्षित सीट है। जोकि धौरहरा की 5 लोकसभा सीटों में से सीट का एक हिस्सा है
यह एक ग्रामीण कस्बा है जो कभी मुगल काल से लेकर ब्रिटिश भारत तक मालगुजारी का मुख्य केंद्र रहा है जहां से नेपाल नजदीकी देश व क्रांतिकारियों का शहर शाहजहांपुर होने के कारण भारी मात्रा में यातायात व माल का आवागमन होता रहता था यहां स्थित प्राचीन नहर कोठी तथा राजा महमूदाबाद के कोठार दर्शनीय स्थल अभी तक खंडहर मौजूद हैं तथा कस्ता विधानसभा के कस्बे को पास करते हुए प्राचीन नहर अपने आप में एक बड़ा इतिहास समेटे हुए हैं
प्राप्त जानकारी के अनुसार कस्ता में शिक्षण हेतु जिला पंचायत इंटर कॉलेज तथा सरकारी पशु चिकित्सालय तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी उपस्थित है, जूनियर प्राथमिक विद्यालय तथा प्रशासनिक कार्यों के लिए कस्ता में पुलिस चौकी का भी निर्माण है यदि सरकारी बैंक की बात करें तो यहां पर एक शाखा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की भी देखने को मिल जाएगी प्राइवेट बैंकों में कस्ता में इलाहाबाद व पंजाब नेशनल की भी शाखा उपस्थित हैं व्यापार अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में कस्ता ईटों के व्यापार, मत्स्य बीज पालन, दूध व मांस साग तथा सब्जी का व्यापार प्रमुख माना जा रहा है यह सरदार बाहुल्य क्षेत्र भी रहा है जिसमें कृषि के कार्यों को बखूबी अंजाम दिया जाता है कस्ता कस्बा हलवाई मिष्ठान व फल तथा खस्ता मूंगफली के क्षेत्र में विशेष योगदान रखता है इसके साथ में ही कस्ता कॉलोनी भी एक नई बस्ती बसी है जिसमें अधिकतर मुस्लिम समुदाय के लोग निवास कर रहे हैं जहां पर प्रख्यात जयगुरुदेव जी का आश्रम भी मौजूद है भौगोलिक दृष्टि से विधानसभा कस्ता पठारी क्षेत्र रहा है जिसमें बलुई मिट्टी अधिकता में देखी जाती है जबकि महज 1 किलोमीटर की दूरी पर ही एक सरायान नदी बहती है तथा महज दूसरी ओर 5 किलोमीटर की दूरी पर एक दूसरी कठिना नदी भी बहती है जिसका अपना एक इतिहास है क्षेत्रीय लोगों के मतानुसार तथा इतिहासकार भारत के क्रांतिकारी राजा लोने सिंह की तोप लक्ष्मीनिया के द्वारा अंग्रेज से हार के बाद कठिना नदी में ही छलांग लगाई गई थी कस्ता अनेक प्रकार के धार्मिक मठ व मंदिर के साथ साथ में मस्जिद व दरगाह भी उपस्थित हैं जहां सभी धर्मों के पर्व बहुत ही उल्लास उत्साह के साथ मनाए जाते हैं कभी भी अराजकता का माहौल नहीं पनपने पाया कस्बा होने के नाते रोजमर्रा की चीजें रोजाना ही बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाती है इसके अतिरिक्त सप्ताह में दो बार क्षेत्रीय व्यापारियों के लिए भी बाजार लगाई जाती है यहां पर अनेक प्रकार के छोटे अस्पताल व क्लीनिक उपलब्ध हैं जिसमें बंगाली चांदसी दवाखाना बहुत ही पुराना माना जाता है तथा छोटे बच्चों के लिए प्राइवेट शिक्षण संस्थान कैरियर कान्वेंट व अन्य भी उपस्थित हैं वाहनों को देखते हुए विधानसभा कस्ता में कुल 4 पेट्रोल पंप का भी निर्माण हुआ है
प्राप्त जानकारी के अनुसार सन 2021 में गठित बहुआयामी शिक्षा तकनीकी अनुसंधान ऑर्गनाइजेशन के माध्यम से जिसका शाखा कार्यालय भी यहीं पर है जिसके माध्यम से नेहरू युवा केंद्र का भी निर्माण किया गया है
संस्था के माध्यम से राजनीतिक पार्टी बहुआयामी का भी अधिकारिक कार्यालय विधानसभा कस्ता में ही स्थापित किया गया है
विधानसभा कस्ता दिल्ली हाईवे हरदोई शाहजहांपुर मैगलगंज वाया लखीमपुर खीरी पास होता है विधानसभा कस्ता से नजदीकी रेलवे स्टेशन की दूरी लगभग 25 किलोमीटर सीतापुर जनपद का हरगांव रेलवे स्टेशन वह नजदीकी मैगलगंज रेलवे स्टेशन यातायात के क्षेत्र में खीरी जनपद के प्रसिद्ध गोला गोकरण नाथ से सरकारी रोडवेज बस डिपो सेवा कस्ता विधानसभा से होते हुए सीतापुर तक का सफर करती है। वही जनपद खीरी से लोकल बस जनपद हरदोई तक का सफर करवाती है विधानसभा कस्ता से लोकल बसों में सीतापुर व गोला गोकरण नाथ तथा मोहम्मदी की यात्रा आसानी से की जा सकती है विधानसभा कस्ता से ही महज 8 किलोमीटर दूर भारत के महान क्रांतिकारी स्वर्गीय राजा लोने सिंह जी का भी मित्तौलगढ़ का किला गढ़ी प्रसिद्ध है जिनके नाम पर अभी मात्र एक इंटर कॉलेज ही चल पा रहा है भविष्य में बहुआयामी राजनीतिक पार्टी के माध्यम से राजा लोने सिंह जी के नाम से विश्वविद्यालय स्थापित करने का विचार व शासन प्रशासन से मांग चल रही है। यदि बात करें चर्चित व्यक्तियों की तो एरा विश्वविद्यालय के बायो तकनीकी विभाग के विशेष शोधक व विज्ञान दार्शनिक तथा विज्ञान लेखक बहुआयामी प्रकाशक संस्था शिक्षा तकनीकी अनुसंधान के संस्थापक व बहुआयामी समाचार के संस्थापक तथा बहुआयामी राजनीतिक पार्टी के संस्थापक श्रीमान के एम आमिष जी का जन्म भी विधानसभा कस्ता में ही हुआ है
यदि बात करें कस्ता विधानसभा के राजनीतिक दृष्टि से तो साक्षरता दर इसमें लगभग 60.56 परसेंट लोग साक्षर निवास कर रहे हैं।
जो कि क्षेत्रफल की दृष्टि से 7680 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में सिमटा हुआ है जिसमें 421243 लोग निवास कर रहे हैं अगर बात करें मतदाताओं की तो कस्ता विधानसभा में अभी तक वर्तमान समय में 298955 वोटरस है
जिसमें प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पुरुष मतदाताओं की संख्या 157469 है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 134428 आंकी गई है।
एक अनुमान के अनुसार सन 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा तीन लाख पार कर जाएगा।
अगर जातिगत जनगणना देखें तो इसमें अनुसूचित जाति के लगभग एक लाख वोटर्स तथा ओबीसी के एक लाख 21000 वोटर्स तथा सामान्य वर्ग के 49000 वोटरस है जबकि अन्य मात्र 10000 वोटरस ही है
कस्ता विधानसभा में अभी तक केवल 2 बार चुनाव हुए जिसमें से एक 2012 में समाजवादी पार्टी के श्रीमान सुनील कुमार लाला ने जीत हासिल की जबकि 2017 दूसरी बार बीजेपी पार्टी के श्रीमान सौरभ सिंह सोनू ने जीत हासिल की।
प्रभावशाली नेताओं की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी में राज्यसभा सदस्य रहे जुगल किशोर विधानसभा कस्ता के ही निवासी हैं वर्तमान समय में उनके बेटे सौरभ सिंह सोनू को राजनीति विरासत में मिली है
यदि बात करें समाजवादी पार्टी के नेता की तो सुनील कुमार लाला 2012 में विधानसभा सीट जीतकर सदन पहुंचे और इनके द्वारा एक मितौली में तहसील की मान्यता कराई जो वर्तमान समय में जर्जर पड़ी हुई है योगी सरकार के चलते अभी तक कोई कार्य नहीं हो सका है जिसके लिए करोड़ों का बजट भी आवंटन किया जा चुका है जो प्रमुख चुनावी मुद्दा माना जा रहा है।
यदि अन्य मुद्दों की बात करें तो कस्ता विधानसभा के निवासी बालिकाओं के लिए महाविद्यालय की काफी लंबे समय से मांग कर रहे पर अभी तक कोई राजनेता ऐसा नहीं हो पाया जो इस मांग को पूरा कर सके।
कांग्रेस के कद्दावर नेता में से वंशीधर आज भी यहां से अपनी किस्मत आजमा चुके हैं पर कामयाबी हाथ नहीं आई बड़े व कद्दावर नेताओं में से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान अखिलेश यादव जी व बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो बहन कुमारी मायावती जी भी अपना प्रचार प्रसार करने के लिए कस्ता विधानसभा पर आ चुके हैं।तथा फिल्म जगत बॉलीवुड के स्टार राज बब्बर भी चुनाव प्रचार के लिए आ चुके हैं अनेक प्रकार के राजनेता चुनावी माहौल के वक्त विधानसभा में दिखाई देते हैं और कसता विधानसभा की भोली-भाली जनता को गुमराह करते रहते हैं पर मासूम जनता को सिर्फ अभी तक हाथ का अंगूठा ही देखने को मिल रहा है।