वृद्ध पीड़िता की नहीं सुनी गई कोई बात जिलाधिकारी से लगाई न्याय की गुहार
फफूंद कस्बे के गांव बरौआ का मामला
औरैया
जिलाधिकारी के आदेश को दर किनार कर नायब तहसीलदार ने एक मुकदमे में नया आदेश कर दिया । दूसरे पक्ष की नायब तहसीलदार ने कोई बात नहीं सुनी तो पीड़िता ने जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर नायब तहसीलदार के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही किये जाने के साथ साथ पारित आदेश को निरस्त करने की गुहार लगायी है ।
थाना क्षेत्र के ग्राम बरुआ निवासिनी सरला देवी मिश्रा पत्नी स्वर्गीय राम भगत मिश्र ने जिलाधिकारी को दिए प्रार्थना पत्र में कहा है कि उसके विरुद्ध एक मुकदमा दीपा बनाम शिव भगत नायब तहसीलदार औरैया के यहां विचाराधीन था जिसमें पीड़िता को न्याय की उम्मीद नहीं थी क्योंकि पीड़िता द्वारा अपनी बात सक्षम न्यायालय में कहने का प्रयास किया गया तो सक्षम अधिकारी द्वारा उसको डांट डपट दिया गया और यह कहा गया कि तुम जैसे न जाने कितने लोग मेरे यहां आते हैं और इसी तरीके की गलत गलत बातें किया करते हैं । पीड़िता ने जब यह कहा कि में बुजुर्ग महिला हूं और मेरे द्वारा आपसे ऐसी कौन सी बात कह दी गई कि जिससे आप इतने आग बबूला है उस समय मेरे साथ मेरा पुत्र गिरधर भी था । इतनी बात होने पर पीड़िता ने कहा कि मुझे अब आपसे न्याय की उम्मीद नहीं है इसलिए आप मेरे मुकदमें में कोई भी आदेश निर्गत मत करिए । इस पर नायब तहसीलदार द्वारा डांटते हुए कहा गया कि तुम्हारे कहने से कोई काम नहीं होगा जो मेरी मर्जी होगी मैं करूंगा क्योंकि मैं पीठासीन अधिकारी हूं। इस बात की शिकायत जब पीड़िता ने लिखित रूप से 18 अप्रैल को जिलाधिकारी से की तो जिलाधिकारी द्वारा नियमानुसार उक्त प्रकरण की जांच कर कार्रवाई किए जाने का आदेश निर्गत किया था इसके बावजूद भी पीठासीन अधिकारी द्वारा उपरोक्त आदेश को भी नजरअंदाज कर दिया गया और विधि विरुद्ध रूप से नाजायज मंशा रखते हुए विपक्षी को अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से व्यक्तिगत रूप से पक्षकार बनकर बगैर किसी साक्ष्य को लिए 28 जून को एक पक्षीय आदेश पारित कर दिया गया । जिससे स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है कि सक्षम अधिकारी द्वारा जानबूझकर अपने निजी लाभ को देखते हुए ऐसा कार्य किया गया जो कि पूर्ण तया गलत है । पीठासीन अधिकारी द्वारा किए गए इस कार्य से अपूर्णनीय क्षति हुई है जिसकी भरपाई भविष्य में संभव ना होगी । जबकि पीड़िता द्वारा दिया गया स्थानांतरण प्रार्थना पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है जिसमें नियत तिथि 1 जुलाई है । इस बात का भी कथन सक्षम अधिकारी से किया गया था परंतु पीठासीन अधिकारी ने जानबूझकर किसी भी बात को संज्ञान में नहीं लिया वहीं यह भी कहा गया कि डीएम का आदेश होगा बना रहेगा मैं किसी डीएम के आदेश को नहीं मानूंगा मैं जो चाहूंगा वह करूंगा ।
पीड़िता ने जिलाधिकारी से गुहार लगाते हुए कहा है कि तहसीलदार पवन कुमार से उपरोक्त वाद से संबंधित मूल पत्रावली तलब कर आदेश का परिशीलन कर पीठासीन अधिकारी के विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई किए जाने के साथ-साथ उनके द्वारा पारित आदेश दिनांक 28 जुलाई को निरस्त कर पीड़िता को सुनवाई का मौका दिलाए जाने का आदेश पारित करने की गुहार लगायी है ।