✍🏼 रिपोर्ट:राहुल राव(मध्यप्रदेश)
“रंग-गुलाल हाथ लिए है मस्तानों की टोली, अपने रंग में रंगने सबको आ गई देखो होली!” फाल्गुन माह में कई व्रत और त्यौहार मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक है होली का त्यौहार। पूरे भारत में होली का त्यौहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। लेकिन कान्हा की नगरी में होली का अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। मथुरा और ब्रज की होली, दुनिया भर में अपनी अनोखी छटा, प्रेम और परंपराओं के लिए जानी जाती है। यहां रंगों की होली बाद में खेली जाती है, पहले खुशियों के नाम पर महिलाएं, पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं और सब लोग खुशी से इस रस्म का पूरा आनंद उठाते हैं। इस रस्म को लट्ठमार होली कहा जाता है। बरसाना की लट्ठमार होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यह होली, राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक मानी जाती है। तो आइए जानते हैं, इस बार कब खेली जाएगी लट्ठमार होली….

लट्ठमार होली 2023
हर साल होली से कुछ दिन पहले, मथुरा में लट्ठमार होली का आयोजन किया जाता है। इस बार बरसाने में लट्ठमार होली, 28 फरवरी 2023 को खेली जाएगी। कहा जाता है कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने राधा रानी और गोपियों के साथ लट्ठमार होली खेलने की शुरुआत की थी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

ऐसे हुई थी लट्ठमार होली की शुरुआत
कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में नंदगांव के नटखट कन्हैया अपने सखाओं के साथ राधा रानी और अन्य गोपियों के साथ होली खेलने और उन्हें सताने के लिए बरसाना पहुंच जाया करते थे। वहीं, राधा और उनकी सखियां, कृष्ण और उनके सखाओं की हरकतों से परेशान होकर उन्हें सबक सिखाने के लिए उन पर लाठियां बरसाया करती थीं। ऐसे में उनके वार से बचने के लिए कृष्ण और उनके सखा, ढालों का प्रयोग करते थे। धीरे-धीरे उनका यह प्रेमपूर्वक होली खेलने के तरीके ने एक परंपरा का रूप ले लिया। तभी से इस परंपरा को निभाते हुए हर साल बड़े स्तर पर बरसाना में लट्ठमार होली का आयोजन किया जाता है।

नंदगांव और बरसाना के लोगों के बीच खेली जाती है लट्ठमार होली
लट्ठमार होली के दिन पूरे ब्रज में अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। बरसाना की लट्ठमार होली की शुरुआत एक दिन पहले, फाग आमंत्रण से होती है। बरसाना की एक सखी, फाग खेलने का आमंत्रण लेकर नंदगांव जाती है। बरसाना से फाग आमंत्रण, नंदगांव भेजा जाता है। फिर उसी दिन, एक पांडा, फाग आमंत्रण को स्वीकार करने का संदेश लेकर बरसाना पहुंचता है। जब वह फाग आमंत्रण की स्वीकृति का संदेशा, लाड़ली जी के मंदिर में भेजा जाता है तो वहां खुशी से उत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष बरसाना से नंदगांव में फाग आमंत्रण, 27 फरवरी को भेजा जाएगा।

पांडा को खाने के लिए लड्डू दिया जाता है और वह खुशी में आकर लड्डू लुटाने लगता है और फिर शुरू हो जाती है लड्डू होली। मंदिर में उपस्थित सभी भक्तों को प्रसाद में लड्डू दिए जाते हैं। उसके अगले दिन, नवमी तिथि को नंदगांव के हुरयारे, होली खेलने के लिए बरसाना पहुंचते हैं। वहां पर उनका स्वागत रंग, गुलाल, मिठाइयों आदि के साथ लट्ठ से होता है।

बरसाना की गोपियां, हुरयारों पर रंग-गुलाल डालती हैं और उन्हें लट्ठ से मारती हैं। हुरयारे, उनके लट्ठ से बचने का प्रयास करते हैं। इस तरह पूरे दिन होली खेली जाती है। मान्यता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण, गोपियों पर रंग डालते थे तो वो छड़ी लेकर उनको दौड़ाती थीं। वैसा ही कुछ दृश्य बरसाना में लट्ठमार होली के समय देखने को मिलता है।

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