संजीव जायसवाल जी* लेखक और निर्देशक है।  इनकी फिल्म *शूद्र द राइजिंग* 23 जुलाई 2012 में बड़े पर्दे पर रिलीज नहीं होने दी जबकि यह सामाजिक फिल्म थी।  समाज की कुरीतियों को, समाज की संस्कृति, वर्ण व्यवस्था को दर्शाती थी।  जो एक सामाजिक फिल्म थी उसकोभारत के फिल्म थिएटर में चलने नहीं दिया गया। या यूं कहें कि थिएटर के *मालिकों* ने नकार दिया यह उनकी घटिया *मानसिकता* दर्शाता है। 1. जबकि भारत में तमाम सामाजिक और ऐतिहासिक फिल्में बनाई जाती हैं और बखूबी सराहा भी जाता है फिल्मों का मकसद अधिकतर समाज में चल रही कुरीतियों को दिखाना और थोड़ा बहुत एंटरटेनमेंट करना होता है। 2. पर देश का दुर्भाग्य है कि जब हमारे बहुजन समाज के लोग जो कि *मूलनिवासी* हैं अपने समाज की सामाजिक अर्थव्यवस्था दुर्दशा को दर्शाते हैं तो अगड़ी जाति के लोग उसे पर्दे पर चलने नहीं देते? 3. क्योंकि इन्हें डर है कि कहीं यह सच्चाई पूरे भारत वासियों को पता चल गई तो अगड़ी जातियों क्या होगा। बहुजन समाज के लोगों के  साथ आज भी ऐसी घटनाएं भारत के विभिन्न राज्यों में घटित होती रहती हैं।  जिन पर कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता, क्यों?4. बहुजन समाज की बहुत सी फिल्में है जिन्हें लोगों को जरूर देखनी चाहिए।  जिनको इन फिल्मों से दूर रखा गया। 
 *तमाम फिल्में हैं जैसे -*

 1.रमाबाई भीमराव अंबेडकर

2. शूद्र द राइजिंग

3. तीसरी आजादी

4. शूद्र से खालसा

5. भीम गर्जना

6. दलित

7. सरपटम (तमिल) हिंदी में भी है

8. परियेरम पेरूमल (तमिल

9. असुरन

10. फ्रैन्डी

11. मुलाकर्म

12. काशीराम

13. गिद्ध (1984)

14. बैंडिट क्वीन 1994

ऐसी बहुत सी फिल्में बायोग्राफी और सत्य घटनाओं पर आधारित सामाजिक शोषण के विरुद्ध अन्याय के खिलाफ हैं।  जिनको एक विशेष वर्ग के लोग चलने नहीं देते और खुले में विरोध करते हैं। 
अभी हाल ही में आई फिल्म *हुड़दंग* आरक्षण के खिलाफ है।  एससी, एसटी ,ओबीसी विरोधी है।  उसके बावजूद यह फिल्म बड़े पर्दे पर रिलीज़ हुई इसका कोई विरोध नहीं हुआ। इस बात को भारतवासियों को समझना होगा।  कि हर पग पर बहुजन समाज से संबंधित कोई फिल्म नाटक कुछ भी आए उसे रोकना ही  अगड़ी जाति के लोगों का मकसद है।  और वह कामयाब भी होते हैं।  सबसे बड़ा कारण हमारा खुद का अपना समाज है,  जोकि सच्चाई से मुंह फेरे हुए हैं। आखिर कब तक आप यूं नजरअंदाज करते रहेंगे?  *संजीव जायसवाल* जी की फिल्म कोटा द रिजर्वेशन 8 अप्रैल को रिलीज होने वाली थी। इसको बड़े पर्दे पर नहीं रिलीज किया गया यह दुख की बात है। इसलिए मेरा भारत के सभी मूल निवासियों से निवेदन है की *7247248449* ज्यादा से ज्यादा मिस कॉल कीजिए ताकि यह फिल्म *22 अप्रैल 2022* को सभी को सिनेमाघरों में देखी जा सके 
और मेरी सभी भारत वासियों से एक भारी अपील है कि आने वाले *14 अप्रैल को बाबासाहेब आंबेडकर जी* की फिल्म *जय भीम* रिलीज होगी।  उसी दिन केजीएफ( K G F ) भी रिलीज होगी तो ज्यादा से ज्यादा जय भीम फिल्म देखिए ताकि हमारे समाज के ज्यादा से ज्यादा लोग *जागरूक* हो सके।
मेरे द्वारा लिखे गया इस लेख में कोई भी त्रुटि हो तो क्षमा कीजिएगा।  *जय भीम नमो बुद्धाय*  *धर्मेंद्र कुमार कनौजिया सोशल* *एक्टिविटीज*  *9582448403*

By admin_kamish

बहुआयामी राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष

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