जनपद में भारत रत्न बाबा साहब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर जी की 131वीं जयंती धूमधाम एवं हर्षोल्लास से मनाई गई। बाबा साहब के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर लोगों को चलना चाहिए। उनके विचारों पर चलने से देश का भला होगा। उनका विचार था कि सभी को समान अधिकार मिले और सभी लोग शिक्षित बने। गुरुवार को कलेक्ट्रेट स्थित अटल बिहारी बाजपेयी सभागार में अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व संतोष कुमार वैश्य, अपर जिलाधिकारी प्रशासन ऋतु पुनिया एवं अतिरिक्त मजिस्ट्रेट प्रवर्धन शर्मा सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारियों ने  बाबा साहब के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी। अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व ने कहा कि बाबा साहब की सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी, उनके बताए गए विचारों पर चलें। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने समाज को एक समान जोड़ने का कार्य किया है। भारतीय संविधान बनाने में बाबा साहब का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि उनका विचार था कि समाज में समता होनी चाहिए। सभी को बराबर का समान, अधिकार एवं न्याय मिलना चाहिए। डॉ. अम्बेडकर जी का पूरा जीवन संघर्ष, सत्यनिष्ठा, लगन व वंचित वर्ग के प्रति करुणा का प्रतीक है। उन्होंने व्यक्तिगत जीवन मे अनेक बाधाओं व कष्टों को सहा किंतु कभी भी अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुए। सार्वजनिक जीवन मे उन्होंने अश्पृश्यता व भेदभाव का कड़ा विरोध किया। उन्होने कहा कि महापुरूषों के जीवन का अनुसरण करते हुए व्यक्ति को उनके द्वारा बताए गए रास्तों पर चलकर देश, प्रदेश की तरक्की, खुशहाली के लिए अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए।

एडीएम प्रशासन ने बाबा साहब के जन्म दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि संविधान में समाज के हर वर्ग, जाति को बराबर का दर्जा दिया गया है। जिस व्यक्ति को जो जिम्मेदारी सौंपी गई है उसे समय से निभाए। बाबा साहब चाहते थे कि गरीब व्यक्तियों को किसी प्रकार की समस्या न होने पाए। डॉ0 भीमराव अंबेडकर साहब की इच्छा थी कि संविधान को मजबूत बनाना हैं। प्रत्येक वर्ग को एकजुट होकर समाज के लिए योगदान करते रहें। उन्होंने कभी अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया। आज हम एक सफल लोकतंत्र के रूप में दुनिया भर में सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं तो इसके पीछे उस संविधान की सबसे बड़ी भूमिका है, जिसके शिल्पकार डॉ. अम्बेडकर हैं। उन्होंने आगे कहा कि एक अच्छा लोकसेवक और एक अच्छा नागरिक बनने के लिए हमे डॉ भीमराव अंबेडकर की जीवनी व उनकी लिखी किताबों को पढ़ना चाहिये।

अतिरिक्त मजिस्ट्रेट ने कहा कि देश में उनका बहुत बडा योगदान है। उन्होने कहा कि नारी शक्ति, शिक्षा, मताधिकार सहित आदि  अधिकार दिलाने में उनका योगदान हैं। भारत एक विविधता भरा देश है और तत्कालीन समय मे यह अनेक विषमताओं से जूझ रहा था। ऐसी परिस्थिति में इन विविधताओं को स्वीकारते हुए अखंड राष्ट्र का निर्माण बहुत बड़ी चुनौती थी। लेकिन डॉ. अम्बेडकर के नेतृत्व में प्रारूप समिति ने न सिर्फ इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना किया बल्कि एक ऐसे संविधान का निर्माण किया जो “विविधता में एकता“ जैसे भारतीय मूल्य का साकार रूप था। भारत को एक राष्ट्र के रूप में खड़ा करने में संविधान की अतुलनीय भूमिका है।

✍️ ब्यूरो रिपोर्ट आलोक मालपाणी बदायूं

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