शाहजहांपुर – ईंट-भट्ठा के संचालन में प्रदूषण नियंत्रण के तय मानकों की जमकर अनदेखी हो रही है। निर्देश के बावजूद पुराने डिजाइन की चिमनी से ही ईंटों को पकाया जा रहा है। इससे निकल रहे विषैले धुएं से आसपास के खेत जहां बंजर हो रहे, हैं, वहीं वातावरण पर भी प्रतिकूल असर डाल रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दूसरी चिमनी लगाना अनिवार्य कर दिया, लेकिन निगोही में कई भट्ठा संचालक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। विकास के रफ्तार के बीच पर्यावरण को नजर अंदाज कर दिया जा रहा है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई संग अन्य पहलुओं पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। निगोही क्षेत्र में कई भट्ठे तो ऐसे हैं जोकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों को नजरअंदाज कर रहे हैं। खनन विभाग संग प्रशासनिक अधिकारियों से तालमेल बिठाकर भट्ठों का संचालन किया जा रहा है। एनजीटी और राज्य सरकार की ओर से भी बिना अनुज्ञप्ति के भट्ठा संचालन पर रोक है बावजूद इसके उसे चलाया जा रहा है। सबसे अधिक बुरी हालत तो वहां है जहां बस्तियों के बीच में ही भट्ठा संचालित है। हर जगह मानक के विपरित भट्ठों का संचालन हो रहा है। ईंट-भट्ठा संचालन से पहले जिला खनन विभाग से अनुज्ञप्ति लेने के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन के लिए आधे दर्जन सरकारी विभाग से एनओसी लेने की अनिवार्य शर्तें हैं, लेकिन, अधिकांश भट्ठा संचालक बिना एनओसी लिए ही विभागीय पदाधिकारी की मिलीभगत से संचालित कर रहे हैं। इसी तरह पर्यावरण संतुलन के लिए पुरानी चिमनी को हटाकर नई चिमनी बनाने के लिए कहा गया था लेकिन वह भी कई संचालकों ने अभी तक नही बनवाई है भट्ठों के प्रदूषण से खेती लायक जमीन बंजर हो जाती हैं और फसलों पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ता है। पर्यावरण के खतरे के साथ ही हरियाली का नुकसान पहुंचा है। फलदार पेड़ों में फल नही आते हैं और ऊंचाई वाले पेड़ो केला, आम के बाग आदि पर इसका खासा असर पड़ता है।