रिपोर्ट:रोहित सेठ

वाराणसी ब्रेथ ईजी चेस्ट सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल अस्सी, वाराणसी के वरिष्ठ श्वांस एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. एस. के पाठक ने एक वार्ता में बताया – कि हर साल मार्च महीने के दूसरे बुधवार को धूम्रपान निषेध दिवस यानी नो स्मोकिंग डे मनाया जाता है। धूम्रपान के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को बताने और धूम्रपान छोड़ने के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। इस साल 2024 की थीम बच्चों को तंबाकू प्रोडक्ट्स से बचाना है।
डॉ. पाठक ने बताया कि – “प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में 4.9 मिलियन लोग धूम्रपान की वजह से मरते हैं, इसके अलावा दुनिया भर में 40 फीसदी बच्चे, 35 फीसदी महिलाएं और 33 फीसदी मर्द बिन चाहे सिगरेट का धुंआ पीते हैं, जिसे पैसिव स्मोकिंग कहते हैं I

डॉ. पाठक आगे बताते हैं कि पैसिव स्मोकिंग के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकलन के अनुसार पौने चार लाख लोग दिल की बीमारियों के कारण मरते हैं तो डेढ़ लाख से अधिक लोग सांस की बीमारी के कारण, इसके अलावा 37 हजार लोग अस्थमा से और साढ़े 21 हजार फेफड़े के कैंसर से मरते हैं I डॉ पाठक ने आगे बताया कि – “तम्बाकू एक धीमा जहर है जो सेवन करने वाले व्यक्ति को धीरे धीरे करके मौत के मुँह मे ढकेलता रहता है l लोग जाने अनजाने मे तम्बाकू उत्पादों का सेवन करते रहते है, धीरे धीरे शौक लत मेँ परिवर्तित हो जाता है और तब नशा आनंद प्राप्ति के लिए नहीं बल्कि ना चाहते हुए भी किया जाता है I” डॉ. पाठक आगे बताते हैं कि “धुम्रपान एवँ तम्बाकू खाने से मुँह् ,गला, श्वासनली व फेफडोँ का कैंसर के अलावा दिल की बीमारियाँ (Heart Disease ), धमनी काठिन्यता, उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure), पेट के अल्सर (Stomach Ulcer ), अम्लपित (Acidity) व अनिद्रा (insomnia) आदि रोगों की सम्भावना संभवतः हैं I”
डॉ. पाठक ने बताया – “धुम्रपान व गुटखा खाने वाले मुख्यत: वो होते है जो कभी दूसरों की देखा देखी, कभी बुरी संगत मे पडकर कभी मित्रो के दबाब में, कई बार कम उम्र मेँ खुद को बडा दिखाने की चाहत में तो कभी धुएँ के छ्ल्ले उडाने की ललक, कभी फिल्मों मे अपने प्रिय अभिनेता को धूम्रपान करते हुए देखकर तो कभी पारिवारिक माहौल का असर तम्बाकू उत्पादों की लत का कारण बनता हैl “

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