सनातन धर्म के रक्षणार्थ संगठित होने का हजारों हिन्दुओं का निर्धार !

रोहित सेठ

सनातन संस्था के रौप्य महोत्सव के उपलक्ष्य में ‘सनातन धर्म पर हो रही टीका-टिप्पणी को उत्तर देने के लिए, इसके साथ ही सनातन धर्म का गौरव बढाने के लिए’ रविवार श्याम को पुणे में 9 हजार से भी अधिक हिन्दुओं ने एकत्र आकर ‘सनातन गौरव दिंडी’ निकाली । इसमें 20 से भी अधिक विविध संप्रदाय-संगठन सम्मिलित हुए थे । पुणे शहर में अनेकानेक स्थानों पर रंगोली बनाकर और दिंडी (फेरी) पर पुष्‍पवृष्टि कर मान्यवरों ने दिंडी का सम्मान किया ।

       प्रारंभ में पुणे के ‘श्रीमती लक्ष्मीबाई दगडूशेठ हलवाई दत्त मंदिर’के विश्वस्त श्री. राजेंद्र बलकवडे एवं ‘श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति ट्रस्ट’के उपाध्यक्ष श्री. सुनील रासने के हस्तों धर्मध्वज पूजन कर, भिकारदास मारुति मंदिर से (महाराणा प्रताप उद्यान से) ‘सनातन गौरव दिंडी’का भक्तिमय वातावरण में और देवी-देवताओं के जयघोष से प्रारंभ हुआ ।

इस दिंडी में सनातन संस्‍था की सद़्‍गुरु स्‍वाती खाडये, पूज्य गजानन बळवंत साठे, पूज्य (श्रीमती) संगीता पाटिल, पूज्य (श्रीमती) मनीषा पाठक आदि संतों की वंदनीय उपस्‍थिति थी । इसके साथ ही ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर विचार मंच’के  महामंत्री श्री. विद्याधर नारगोलकर, ‘महाराष्ट्र गोसेवा’ अध्यक्ष श्री. शेखर मुंदडा, ‘श्री संप्रदाय’की महिला अध्यक्ष श्रीमती  सुरेखा गायकवाड, श्री. गायकवाड, ‘पतित पावन संगठन’ पुणे के अध्यक्ष श्री. स्वप्निल नाईक एवं ‘ग्राहक पेठ’के कार्यकारी संचालक श्री. सूर्यकांत पाठक, सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस एवं हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र संगठक एवं महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के राज्य समन्वयक श्री. सुनील घनवट उपस्थित थे ।

इस समय सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने कहा,‘सनातन संस्था गत 25 वर्षाें से निस्वार्थभाव से सनातन हिन्दू धर्म की सेवा कर रही है । सनातन धर्म पर मंडराते संकटों के विरोध में खडी है, सनातन धर्म पर आरोपों का खंडन करना, हिन्दुओं को धर्मशिक्षा देकर धर्माचरण के लिए प्रेरित करना, सभी को एकत्र कर धार्मिक एकता के लिए और धर्मरक्षा के लिए सनातन संस्था ने अविरत काम कर रही है । आज कोई भी उठता है और सनातन धर्म को डेंग्यू-मलेरिया की उपमा देकर सनातन धर्म के निर्मूलन की बात करता है, इसके लिए अनेकानेक परिषदें आयोजित की जाती हैं । हिन्दुओं को संगठित होकर अब उन्हें योग्य उत्तर देने की आवश्यकता है । इसके लिए सनातन संस्था के रौप्य महोत्सव के उपलक्ष्य में हिन्दुओं ने एकत्र होकर ‘सनातन गौरव दिंडी’ निकाली है ।’

देवी-देवता और संतों की पालकियों सहित 70 से भी अधिक पथक सम्मिलित !

प्रभु श्रीराम का जयघोष करते हुए निकाली हुई इस दिंडी में महाराष्ट्र की कुलदेवी श्री तुळजाभवानी माता, श्रीविठ्ठल-रुक्मिणीमाता, श्रीखंडोबा-म्हाळसादेवी, संत सोपानदेव, छत्रपति शिवाजी महाराज एवं सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की प्रतिमा युक्त और पुष्पों से सुसज्जित पालकियां दिंडी में सम्मिलित हुई थीं । नौ गज की साडी परिधान किए, हिन्दू संस्कृति के दर्शन करवानेवाली पारंपरिक वेश के साधक, कार्यकर्ता, तुलसी धारण किए हुए महिलाएं, छत्रपति शिवाजी महाराज, शिवाजी के मावळे (सैनिक), बाजीप्रभु देशपांडे, झांसी की रानी लक्ष्मीबाईं के वेश में बालक-बालिकाएं, इसके साथ ही ‘रणरागिनी’द्वारा दिखाए गए स्वरक्षा के प्रात्यक्षिक (Demo), इस दिंडी के मुख्य आकर्षण थे ! इस दिंडी में 70 से भी अधिक पथक, 20 से भी अधिक आध्यात्मिक संस्थाएं, संगठन, संप्रदाय, मंडल, मंदिरों के विश्वस्त सम्मिलित हुए थे । दिंडी के मार्ग में 12 से भी अधिक स्थानों पर  धर्मप्रेमी, समाज के विविध मान्यवर, प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने दिंडी का स्वागत कर, धर्मध्वज पूजन किया ।

वीर सावरकर स्मारक के सामने श्रीमती विमलाबाई गरवारे प्रशाला के मैदान में दिंडी का समापन हुआ । इस अवसर पर उपस्थित मान्यवरों ने अपना मनोगत व्यक्त किया । दिंडी के अंत में, सनातन संस्था के पुणे निवासी श्री. चैतन्य तागडे ने दिंडी में सम्मिलित लोगों का आभार व्यक्त किया ।

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