भारत पेंशनर्स समाज” की चुनाव परिणाम पर तीखी प्रतिक्रिया।

रोहित सेठ

वाराणसी। देश के 20 लाख से अधिक पेंशनर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले “भारत पेंशनर्स समाज,नई दिल्ली” के ज्वाइंट सेक्रेटरी जनरल श्री अमिय रमण ने एक वार्ता मे पत्रकारो से हालिया चुनाव परिणाम पर प्रतिक्रिया पूछने पर बताया कि तमाम कर्मचारी एवं पेंशनर्स संगठन सरकार से बहुत ही छोटी मांग जैसे आठवे वेतन आयोग का गठन,18 माह के बकाया डीए एरियर भुगतान,पुरानी पेंशन योजना बहाल करने तथा कर्मचारी हित मे माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसलो को समान मामलो मे लागू करने का आग्रह करती रही है। संगठनो ने सरकार को चेताया भी कि देश मे सरकारी कर्मचारी तथा रिटायर्ड 4 करोड है।यदि इनके परिवार के कुनबे को जोड़ा जाय तो यह लगभग 12करोड होता है।यानी कि देश की कुल आबादी का लगभग 10% वोटिग पावर इनके पास है। सरकार ने इसको अनसुना किया जबकि बंगाल,पंजाब हिमाचल, तामिलनाडु आदि कई गैर भाजपा शासित प्रदेश सरकारो ने इनकी मांगो को पूरा किया। इन सब के बावजूद सरकार का छोटी मांगो पर ध्यान न देना चुनाव परिणामो मे खतरे की घंटी साबित हुई है। वेतन आयोग का गठन प्रायः तीन वर्ष पूर्व होता है। इस हिसाब से 1-1-26 से लागू वाला 8वा वेतन आयोग 1-1-23को ही गठित हो जाना चाहिए। डेढ वर्ष से अधिक गुजरने को ही लेकिन सरकार इस पर संसद मे पूछे गए सवाल पर जबाब देती है कि ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नही है। एक ओर सरकार कार्मिक,जन परिवेदना, कानून एवं न्याय पर गठित संसद की स्थाई समिति के110वी रिपोर्ट की सिफारिशो को वित्त का अभाव बताकर ठंडे बस्ते मे डाल देती है,बुज़ुर्गो को ट्रेन मे मिलने वाली रियायत को बहाल करने से मना कर देती है,वही दूसरी ओर कई ट्रिलियन इकोनॉमी का दावा करती है। अन्ततः इस विरोधाभासी प्रोपेगेंडा को सब समझ चुके है। सभी सेवारत एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियो को यह उम्मीद है कि नयी सरकार उनकी भावनाओ का संग्यान लेकर छोटी छोटी मांगो को तत्काल पूरा करेगी।

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