पंडित राजेश अग्निहोत्री भागवताचार्य ने बताया कि कथा किसे सुननी चाहिए।
रोहित सेठ
मथुरा वृन्दावन रोड जयसिंहपुरा स्थित गायत्री तपोभूमि के सामने स्थित नारायण दास धर्मशाला में विराजमान ठाकुर गोपाल जी महाराज के प्रांगण में चल रही शिवपुराण कथा में भागवताचार्य पंडित राजेश अग्निहोत्री ने कहा कि कथा वास्तव में जिनको सुननी चाहिए बो तो कथा में आते ही नहीं हैं बो कथा से दूर रहते हैं क्योंकि उनके पास कथा सुनने के लिए समय ही नहीं है। कथा नवयुवकों को सुनना बहुत आवश्यक है परन्तु उनकी कथा में रुचि ही नहीं है इसलिए माता पिता को चाहिए कि जब वह कथा सुनने जायें तो अपने छोटे छोटे बच्चों को साथ लेकर जाएं जिससे कि कम से कम उनकी आदत तो पड़े कथा में जाने की। यदि एक शब्द भी कथा का उनके कान में पड़ गया तो उनका परिवर्तन हो जायेगा। बच्चे भगवान का ही स्वरूप होते हैं, उनके अन्दर किसी प्रकार का छल कपट नहीं होता है ,कोई मांग नहीं होती है न कोई राग होता है और न किसी से द्वेष होता है।वही छोटे बच्चे जब बड़े होकर ( जबान) नवयुवक बनते हैं तो उनमें अच्छी आदतें पड़ चुकी होती हैं और समझदार होते हैं और धर्म एवं भक्ति की तरफ़ उनका झुकाव रहता है। अग्निहोत्री जी ने सती प्रसंग सुनाते हुए कहा कि सती जी मां भगवती का ही अवतार थीं और वह सब जानती थीं उनको भी मालूम था कि प्रभु श्री राम ब्रह्म हैं फिर भी उन्होंने जो कुछ किया जान-बूझ कर किया था। उन्होंने शिव जी की बातों पर विश्वास नहीं किया और शिव जी से सीता माता की परीक्षा नहीं ली ऐसा कहकर झूठ भी बोलता ।इस प्रसंग के माध्यम से उन्होंने संसार की माताओं को शिक्षा दी कि जो पत्नी पति पर विश्वास नहीं करती है, झूठ बोलती है , आज्ञा पालन नहीं करती है तो उसका अपने पति से वियोग हो जाता है। अंत में पार्वती जी के साथ शिव विवाह हुआ।