स्वतंत्रता दिवस पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन ।
रोहित सेठ
बोधिसमाज एवं बोधिसत्व मिशन पत्रिका की ओर से आज दिनांक 18 अगस्त 2024 को पिछड़े वर्गों के स्वतंत्रता दिवस पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन दो सत्रों में विपासना केंद्र, थाई बौद्ध विहार, सारनाथ में किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ परम पूज्य भंते चंदिमा द्वारा तथागत बुद्ध और बहुजन महापुरुषों के प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पण के द्वारा किया गया। इसके पश्चात ‘भारत में प्रतिनिधित्व एवं आरक्षण की उत्पत्ति एवं विकास’ विषय पर वक्तागण श्रद्धेय शिवबोध राम पूर्व एमएलसी बीएसपी, डॉक्टर अमृतांशु, अध्यक्ष ऑल इंडिया ओबीसी एम्पलाइज फेडरेशन, अरुण कुमार प्रेमी राष्ट्रीय अध्यक्ष आबाजका, डॉक्टर के के उजाला एसोसिएट प्रोफेसर राजकीय डिग्री कॉलेज, दौलत राम निदेशक भारतीय जन सेवा आश्रम जौनपुर द्वारा अपने विचार रखे गए और यह बताया गया कि 17 अगस्त 1932 में घोषित कम्युनल अवार्ड पिछड़े वर्गों की स्वतंत्रता था अर्थात कम्युनल अवार्ड के द्वारा पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया किंतु 24 सितंबर 1932 में ही पूना पैक्ट के माध्यम से यह स्वतंत्रता अर्थात प्रतिनिधित्व समाप्त हो गया और बदले में आरक्षण का आरंभ हुआ जिसे आज धीरे-धीरे समाप्त करने का कार्य किया जा रहा है । इसके बाद बोधिसत्व बाबासाहब ने बौद्ध धर्म का मार्ग दिखाया कि यदि पिछड़ा वर्ग अपने आप को बौद्ध कहता है तो अपना प्रतिनिधित्व पुनः सुनिश्चित करने में सक्षम हो सकता है।
सेमिनार के दूसरे सत्र में विषय ‘1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट का आदेश संविधान के अनुरूप है या विपरीत’ पर वक्तागण डॉ आर. के. सोनकर कृषि वैज्ञानिक नागपुर, डॉक्टर बृजेश आस्थव बीएचयू, आर.पी. निगम संयुक्त प्रबंधक एयरपोर्ट, सुधीर धुसिया महासचिव यूबीआई एससी एसटी एम्पलाइज एसोसिएशन, डॉ जयप्रकाश सिंह पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बीएसपी, डॉक्टर देशराज शकरवाल राजस्थान, अरुण कुमार- प्रवक्ता नगर पालिका इंटर कॉलेज चंदौली द्वारा बताया गया कि 1 अगस्त 2024 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश संविधान के अनुरूप नहीं बल्की विपरीत है क्योंकि यह बहुत सारे उन नियमों का उल्लंघन करता है जो कि संविधान में वर्णित नहीं है जैसे की नौ जजो की बेंच के फैसले के विरुद्ध सात जजों की बेंच द्वारा फैसला देना, आरक्षण में क्रीमी लेयर को लागू करना और एक परिवार की एक ही पीढ़ी में आरक्षण का प्रावधान करना यह सभी फैसले बिना संविधान को समझे ही स्वेच्छा पूर्वक हिंदू तंत्र के अकॉर्डिंग दिए गए निर्णय है जो की पूरी तरह गलत है।
सभा का संचालन श्रद्धेय बुद्धप्रिय सुनील कुमार तथा डाॅ बृजेश कुमार भारतीय द्वारा किया गया।
उक्त अवसर पर ओम प्रकाश मौर्य जयप्रकाश मौर्य, शिवानंद, आर.डी प्रसाद, आरके प्रसाद, कृष्णायन, हरिशंकर, सुनील कुमार प्रसाद, राम हरख चौधरी, रामलौट आलोक सहित लगभग तीन सौ कर्मचारी उपस्थित रहे तथा अपनी बातें रखी।
कार्यक्रम को कुशलता पूर्वक संपन्न कराने में धम्मदर्शी, धम्मदीप, सत्यदर्शी, संघदर्शक, संघप्रिया, विमर्शिका धम्मदर्शिका, दिग्यज्योति, दुर्गविजय सहित बोधिसमाज के सैकड़ो नेतृत्व कर्ताओं ने अपना सहयोग प्रदान किया।