इस तरह के कार्यक्रमों से संस्कृत को आमज़न एवं सरल भाषा बनाया जा सकता है- प्रो हरि प्रसाद अधिकारी।

रोहित सेठ

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में “संस्कृत सप्ताह” के अंतर्गत संस्कृत गीत/श्लोक प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने एक से बढ़कर एक संस्कृत गीतों की प्रस्तुति की।

प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के भुवन चंद्र कुड़ाई प्रथम, अंकिता श्रीवास्तव द्वितीय और नित्यानंद शर्मा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

निर्णायक की भूमिका में विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ कुंज बिहारी द्विवेदी और डॉक्टर कुप्पा स्वामी विल्वेश
रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए तुलनात्मक धर्म दर्शन विभाग के प्रोफेसर हरि प्रसाद अधिकारी ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताएं हमें जीवन में आगे बढ़ने का अवसर देती हैं। संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत इन कार्यक्रमों के आयोजन का उद्देश्य संस्कृत की सेवा संस्कृत संस्कृत का संरक्षण और प्रचार प्रसार है। विद्यार्थियों को इसमें बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए और इससे भी अच्छा प्रदर्शन करने का प्रयास करना चाहिए।

कार्यक्रम में डॉ मधुसूदन मिश्र, डॉ विजय कुमार शर्मा, डॉक्टर नितिन आर्य, अखिलेश कुमार मिश्रा, डॉक्टर आशीष मणि त्रिपाठी, कंचन पाठक, हरिशंकर चतुर्वेदी, पूनम चौबे, मासूमा ईरन आदि की उपस्थिति रही। संचालन डॉक्टर कुंज बिहारी द्विवेदी ने किया।

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