वाराणासी शहर दालमंडी मे बनारस की मश्हूर शब्बेदारी अंजुमन हैदरी की जनाब हकीम काजिम साहब के एमामबारगाह में अकीदत के साथ हुई जिसमे हिन्दुस्तान के मशहूर मौलाना सैय्यद जफर रिज्वी साहब ,छोलिस ने पहली मजलिस को खिताब किया और नौहा मातम अंजुमन आबिदिया चौहट्टा लाल खां ने किआ शब्बेदारी की दूसरी मजलिस मौलाना जनाब आजम मेंहदी सुल्तानपुर साहब ने खिताब किआ और नौहा मातम अंजुमन गुलजारे अब्बासिया शिवाला ने किया इस के बाद हिन्दुस्तान के मशहूर मौलाना सैय्यद गजनफर अब्बास साहब मुजफ्फरनगर ने खिताब किआ और अंजुमन जव्वादिया ने नौहा मातम किआ फज्र की अजान होने के बाद आखरी मजलिस मौलाना जनाब ईर्शाद अब्बास रिज्वी साहब लखनऊ ने जनाबे सकीना के मसाएब पढ़े जिसके बाद अंजुमन हैदरी ने अलम व जनाबे सकीना की तुर्बत उठाए और सीनाजनी नौहा पढ़ा सभी जायरीनो की आंखे आंसूओं से तर थी