विश्वविख्यात बाँसुरी वादक गुरु पंडित भोलानाथ प्रसंन्ना की स्मृति में दो दिवसीय विशेष आयोजन।

रोहित सेठ

वाराणसी। बनारस घराने के उत्कृष्ट विश्वविख्यात बाँसुरी वादक गुरु पंडित भोलानाथ प्रसंन्ना की स्मृति में दो दिवसीय विशेष आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन कमानी सभागार में 6 – 7 अक्टूबर को आयोजित होगा। पंडित भोलानाथ प्रसंन्ना बाँसुरी के बेहतरीन कलाकार थे। जिन्होंने बाँसुरी के ऊपर कई प्रयोग किये और आज उन्ही के इस खूबसूरत लगन और प्रयास से बाँसुरी पूरी दुनिया मे लोग बजा रहे हैं। पंडित भोलानाथ प्रसन्ना ने संगीत जगत में बहुत नाम किया और संगीत के क्षेत्र में एक ऐसे साज का आविष्कार किया जो सबके दिलों को मोह लेता है। उस साज का नाम बांसुरी है और ऐसे ऐसे नायाब हिरे जैसे शिष्य तैयार किये, जो आपकी इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे है। जिसमे आपके शिष्य पद्मभूषण हरिप्रसाद चौरसिया, ग्रैमी अवार्ड से अलंकृत पंडित अजय प्रसंन्ना, अनगिनत बहुत ऐसे नाम है जो पूरी दुनिया में संगीत की पूजा कर रहे हैं। जब भी आपके सुयोग्य शिष्य मंचों पर प्रस्तुति देते हैं तो बड़े ही आदर और सम्मान के साथ पंडित भोलानाथ प्रसंन्ना का नाम पहले लिया जाता है। क्योंकि आज यह उन्हीं का सब है की बांसुरी पूरी दुनिया में बज रही है। धन्य है बनारस घराना ऐसे महापुरुष संगीत जगत में जन्म लिए और इस संगीत को बहुत ही आगे ले गए उन्हें की याद में यह कार्यक्रम पंडित अजय प्रसंन्ना जो कि उनके सुयोग्य शिष्य हैं और पंडित जी के पुत्र भी हैं। गुरु की याद में हर वर्ष दिल्ली में यह सुंदर आयोजन हर वर्ष करते हैं, अपने गुरु अपने पिता को याद करते हैं और ऐसे शिष्य जो संगीत की अविरल धारा को आगे ले जा रहे हैं। यह दो दिवसीय संगीत के अविरल धारा गुरु भोलानाथ बाँसुरी उत्सव में कई कलाकार भी हाजिरी लगा रहे हैं। जिनमें पद्म विभूषण पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, पद्म भूषण डॉक्टर एन राजन, पद्मश्री सोभा मुदगल, ग्रेमी अवार्ड से अंलकृत पंडित अजय प्रसंन्ना बनारस घराने के पद्म भूषण पंडित राजन साजन, के पुत्र रितेश, रजनीश कई सारे ऐसे कलाकार हैं जो इस दो दिवसीय कार्यक्रम में अपनी हाजिरी अपने गुरु को चरणों में अर्पित कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। तथा अपने गुरु का सम्मान करते हुए उनसे आशीर्वाद भी लेते हैं। संगीत घराने में गुरु शिष्य परंपरा बहुत ही आदर और सम्मान के साथ आज भी देखा जाता है। इस परंपरा में लोग आज भी अपने गुरुओं का पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं। संगीत घराना वह परंपरा है जो प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा का निर्माण कर रहे हैं.

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