बी एच यू मे भारतीय भूभौतिकीय संघ
का 61 वां वार्षिक अधिवेशन भव्य रूप से हुआ आरंभ।

रोहित सेठ

वाराणसी भारतीय भूभौतिकीय संघ (आईजीयू) का 61 वां वार्षिक अधिवेशन आज बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), वाराणसी में भव्य रूप से आरंभ हुआ। यह प्रतिष्ठित अधिवेशन पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान तथा भूभौतिकी विभाग, बीएचयू द्वारा संयुक्त रूप से 3 से 5 दिसंबर, 2024 तक आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष का विशेष विषय है, मौसम और जलवायु के विशेष संदर्भ में पृथ्वी प्रणाली विज्ञान में प्रगति।

उद्घाटन सत्र में प्रमुख अतिथि के रूप में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. सरस्वत, एम्. ओ.ई.एस सचिव व आईजीयू के अध्यक्ष डॉ. एम. रविचंद्रन, आईजीयू के माननीय सचिव डॉ. अभय राम बंसल, भूभौतिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. जी.पी. सिंह और पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान के निदेशक प्रो. ए. एस. रघुवंशी व प्रो. आर. के. मॉल, संयोजक (आईजीयू) उपस्थित थे।

संगोष्ठी का उ‌द्घाटन स्थानीय आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. ए.एस. रघुवंशी की अध्यक्षता में हुआ। इसके बाद प्रो. जी.पी. सिंह ने भूभौतिकी विभाग के 60 वर्षों के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला। आईजीयू के सचिव डॉ. अभय राम बंसल ने संघ की उपलब्धियों और पहलों पर आधारित विवरण प्रस्तुत किये।

आईजीयू के अध्यक्ष डॉ. एम. रविचंद्रन ने अपने प्रेरणादायक अध्यक्षीय संबोधन में पृथ्वी प्रणाली विज्ञान की महत्ता और मौसम व जलवायु से जुड़े चुनौतियों पर विचार साझा किए। मुख्य अतिथि डॉ. वी. के. सरस्वत ने एआई/एमएल तकनीकों के उपयोग से सतत समाधान विकसित करने में अंतःविषय अनुसंधान की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उद्घाटन सत्र में भौतिकी और संबद्ध विज्ञानों में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किए गए। कार्यक्रम का समापन प्रो. आर. के. मॉल, आईजीयू के संयोजक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन और राष्ट्रगान के साथ हुआ।

डॉ. एम. रविचंद्रन, अध्यक्ष, आईजीयू की अध्यक्षता में प्रो. के. आर. रामनाथन मेमोरियल लेक्चर का आयोजन हुआ, जिसमे एनआरएससी के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने जलवायु परिवर्तन में आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए अंतरिक्ष तकनीकी के उपयोग व आपदा प्रबंधन समर्थन कार्यक्रम पर चर्चा की। इसके बाद, सीएसआईआर- एनजीआरआई के प्रो. हर्ष के. गुप्ता ने भारतीय महासागर सुनामी चेतावनी प्रणाली पर मुख्य वक्तव्य दिया।

तकनीकी सत्र में विविध विषयों मुख्यतः भारतीय परिप्रेक्ष्य में जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा परिदृश्य, जलवायु मॉडलिंग और सिमुलेशन, हिमालयी क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधियां, भूभौतिकीय मानचित्रण, चुंबकीय स्रोत और ऊष्मा प्रवाह, पूर्व-भूकंपीय विसंगतियों की मशीन लर्निंग आधारित पहचान, भूकंपीय तरंगों के लिए सीमित भिन्नता पूर्ण तरंग मॉडलिंग पर चर्चा हुई।

संगोष्ठी के प्रथम दिन का समापन बीएचयू के परफॉर्मिंग आर्ट्स संकाय के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ, जिसने सभी उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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